IAS Gandharv Rathore: हमारे देश में हर साल लाखों उम्मीदवार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं. इसमें से बहुत से ऐसे उम्मीदवार होते हैं, जो बिना किसी कोचिंग के ही इस परीक्षा की तैयारी करते हैं. ऐसे उम्मीदवार परीक्षा की तैयारी से पहले अपने लिए एक पूरा रोड मैप तैयार करते हैं, जो उनकी परीक्षा को दौरान काफी मदद करता है. आज हम एक ऐसी ही अभ्यर्थी 'आईएएस ऑफिसर गंधर्व राठौर' की बात करेंगे, जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के ही यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में 93वीं रैक हासिल कर यह परीक्षा पास कर डाली थी. इसके अलावा बता दें गंधर्व ने कुछ टिप्स और सट्रेटेजी भी बताई है, जिसके जरिए कोई भी अभ्यर्थी बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर सकता है.


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ऐसे इकट्ठा किए नोट्स और स्टडी मटेरियल
गंधर्व बताती है कि वे उन्होंने दिल्ली में रह कर ही इस परीक्षा की तैयारी की थी. उन्होंने सबसे पहले दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर में स्ठित सभी कोचिंग इंस्टिट्यूट और बुक स्टोर्स का दौरा किया और सभी विषयों के जरूरी नोट्स इक्ट्ठा कर लिए. इसके बाद उन्होंने हर एक विषय के सिलेबस और स्टडी मटेरियल का आंकलन किया. उन्होंने इसके बाद परीक्षा की तैयारी क दौरान अपने उस साथियों की मदद भी ली, जो किसी कोचिंग इस्टिट्यूट में पढ़ा करते थे. गंधर्व कहती हैं कि अगर कोई अभ्यर्थी बिना किसी कोचिंग के इस परीक्षा की तैयारी करता है, तो उसे सबसे पहले सिलेबस को समझने की आवश्यकता है. वे करती हैं कि शुरू में आपको सिलेबस काफी बड़ा लग सकता है, लेकिन अगर आप इसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांट देंगे, तो आप इसे आसानी से कंपलीट कर लेंगे.


मेंस को ध्यान में रख कर की तैयारी 
गंधर्व कहती है कि अभ्यर्थियों को शुरू से ही मेंस को ध्यान में रख कर तैयारी करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि वो अपना 80 प्रतिशत समय मेंस की तैयारी में लगाती थी, जिसमें से आधा समय वे ऑप्शनल सब्जेक्ट को देती थी. क्योंकि ऑप्शनल सब्जेक्ट एक ऐसा सब्जेक्ट हैं, जो आपको सिविल सेवा की परीक्षा पास कराने में अहम रोल निभाएगा. इसके अलावा वो कहती है कि अभ्यर्थियों को अपनी अपनी प्रेजेंटेशन और कम्युनिकेशन स्किल पर भी काम करना चाहिए. गंधर्व ने पहले मेंस और ऑप्शनल सब्जेक्ट और फिर प्रीलिम्स की तैयारी की थी. 


इस तरीके से लिखें आंसर
उन्होंने परीक्षा से 5 महीने पहले ही आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी. गन्धर्व बताती हैं कि वो हर दिन पांच से सात सवालों से जवाब लिखती थीं और उसे एक घंटे के समय नें कंपलीट कर देती थीं. इसके बाद वो ऑनलाइन पोस्ट किए गए उस सवालों के आंसर से अपने आंसर को कम्पयेर करती थीं, ताकि वो आंसर राइटिंग को लेकर अपना आंकलन कर सके. गंधर्व अपने आंसर को ऐसे लिखती थी कि जिसमें - आर्थिक, राजनीतिक, कानूनी, सामाजिक-सांस्कृतिक इत्यादि सभी पहलू कवर हो सके.


हॉबी पर भी दें ध्यान
इन सबके अलावा गंधर्व कहती है कि वे अभ्यर्थियों को एक हॉबी को जरूर फॉलो करना चाहिए, जो उन्हें उनके घर से बाहर ले जाए. क्योंकि इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ेगी और इंटरव्यू के दौरान उनके पास अपनी हॉबी के बारे में बात करने के लिए बहुत कुछ होगा.


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