नई दिल्ली.  सीबीएसई बोर्ड की तरफ से टर्म-1 की 10वीं की परीक्षाएं 30 नवंबर से, जबकि 12वीं की परीक्षाएं 01 दिसंबर से आयोजित की जाएंगी. वहीं आईसीएसई क्लास 10 के एग्जाम 22 नवंबर 2021 और आईएससी एग्जाम 15 नवंबर 2021 से शुरू हो रहे हैं. लेकिन इससे पहले मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. यह याचिका परीक्षा आयोजित करने के मोड मे विकल्प देने की मांग को लेकर लगाई गई है. ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही साफ होगा कि सभी छात्र ऑफलाइन एग्जाम देंगे या फिर उन्हें ऑनलाइन परीक्षा का भी विकल्प दिया जाएगा.


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दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमण के चलते सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड द्वारा परीक्षाएं दो टर्म में ली जाएंगी. इसको लेकर बोर्ड की तरफ से तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं. लेकिन स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को शिकायत इस बात से है ये एग्जाम्स सिर्फ ऑफलाइन मोड में लिए जा रहे हैं. सीबीएसई और आईसीएसई दोनों ही बोर्ड द्वारा ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प नहीं दिया जा रहा है. ऐसी स्थिति में अभिभावकों से जब सहमति पत्र मांगा जाता है, तो उनके पास अपने बच्चे को ऑफलाइन परीक्षा में शामिल होने देने की सहमति देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा है इस तरह से सहमति लेना गैर कानूनी है. साथ ही यह बच्चे के स्वास्थ्य के अधिकार (Right to Health) का भी हनन है.


स्टूडेंट्स और पैरेंट्स कर रहे हैं यह मांग
स्टूडेंट्स और पैरेंट्स की मांग है कि ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन एग्जाम का भी विकल्प दिया जाए और 10वीं- 12वीं की बोर्ड परीक्षा हाइब्रिड मोड पर ली जाए. यानी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों का विकल्प दिया जाए. ताकि स्टूडेंट्स और पैरेंट्स अपनी सुविधानुसार कोई एक विकल्प चुन सकें.


वकील सुमंत नूकाला के माध्यम से लगाई गई है याचिका
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका छह स्टूडेंट्स ने मिलकर वकील सुमंत नूकाला के माध्यम से लगाई है. याचिका में ऑफलाइन परीक्षाओं के कारण कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे का हवाला दिया गया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि हाइब्रिड मोड में एग्जाम का संचालन समय की जरूरत है. क्योंकि इससे सोशल डिस्टेंसिंग का सही से पालन हो पाता है.


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