नई दिल्ली: आज 31 अक्टूबर के ही दिन 'आयरन लेडी ऑफ इंडिया' के नाम से प्रसिद्ध देश की पूर्व प्रधानमंत्री "इंदिरा गांधी" की उनके बॉडीगार्ड द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आज इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि पर हम आपको उनके द्वारा लिए गए कुछ अहम फैसलों के बारे में बताएंगे, जिसने भारत के इतिहास में कई नए अध्याय जोड़ दिए.     


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1. बैंकों का हुआ राष्ट्रीयकरण (1969), आर्थिक समानता को दिया बढ़ावा  
इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 19 जुलाई, 1969 को एक अध्यादेश पारित किया गया. पारित किए गए अध्यादेश के मुताबिक, देश के 14 बड़े प्राइवेट बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाना था. बता दें कि जिन 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाना था, उनमें देश के 70 प्रतिशत लोगों का पैसा जमा था, लेकिन अध्यादेश के पारित होते ही इन इन बैंकों का मालिकाना हक भारत सरकार के पास चला गया. दरअसल, इंदिरा गांधी द्वारा यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि, देश में आर्थिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके.



2. पाकिस्तान के हुए दो टुकड़े (1971), बांग्लादेश का हुआ उदय
इंदिरा गांधी ने साल 1971 में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को ऐसी चोट पहुंचाई थी, जिसकी टीस उन्हें आज भी महसूस होती है. दरअसल, पाकिस्तान के लिए यह जख्म 1971 के बांग्लादेश युद्ध के रूप में था, जिसके बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे. पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) के नागरिकों पर इस कदर जुल्म किए कि वहां के लोग अपना देश छोड़ कर भागने को मजबूर हो गए. इसका नतीजा यह रहा कि करीब 1 करोड़ शरणार्थी पूर्वी पाकिस्तान से भागकर भारत आ गए. इस स्थिति को देखते हुए इंदिरा गांधी ने पाकिस्तानी सेना को सबक सिखाने का निर्णय लिया, जिसके बाद में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ, जिसमें न सिर्फ पाकिस्तान की शर्मनाक हार हुई बल्कि उसके 90,000 सैनिकों को भारत ने युद्धबंदी भी बना लिया. इसी युद्ध की समाप्ती के बाद एक नए देश का जन्म हुआ, जिसे आज हम सभी बांग्लादेश के नाम से जानते हैं.


  


3. आपातकाल (1975-77), भारतीय इतिहास का काला दिन
इंदिरा गांधी के संबंध में इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. दाखिल का गई याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ अपना फैसला सुनाया. कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के मुताबिक, इंदिरा गांधी पर अगले छह सालों तक चुनाव लड़ने की रोक लगा दी गई थी. इसके अलावा उनको संसद से भी इस्तीफा देने को कहा गया था, लेकिन इंदिरा गांधी ने कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया, जिसके बाद देश भर में उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन होने लगे. विरोध-प्रदर्शन में उनके इस्तीफा की मांग की जाने लगी. इस सबको देखते हुए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी, जिसके बाद भारी संख्या में विरोध-प्रदर्शन करने वालों की गिरफ्तारी की गई. हालांकि, इंदिरा गांधी द्वारा लिए गए इस फैसले को भारतीय लोकतंत्र 'काले दिन' के नाम से याद किया जाता है. आपका जानकारी के लिए बता दें कि देश भर में आपातकाल करीब 19 महीने तक लगा रहा था.



4. ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984), जो बना इंदिरा गांधी की मौत का कारण 
जरनैल सिंह भिंडरावाले को कौन ही भूल सकता है, उनकी लगाई हुई आग आज भी देश-विदेश के कई हिस्सों में सुलग रही है. दरअसल, जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके सैनिक भारत का बंटवारा करना चाहते थे. उन लोगों की मांग थी कि पंजाबियों के लिए एक अलग देश 'खालिस्तान' बनाया जाए. इस मांग की आड़ में पंजाब में भिंडरावाले का आतंक काफी हद तक बढ़ गया था. हद तो तब हो गई जब भिंडरावाले और उसके साथियों ने अमृतसर के गोल्डन टेंपल को अपने कब्जे में ले लिया. ऐसे में इंदिरा गांधी ने भिंडरावाले और उसके आतंकी साथियों को मार गिराने के लिए भारतीय सेना को 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' चलाने का आदेश दिया. इस ऑपरेशन में इंडियन आर्मी ने भिंडरावाले और उसके साथियों को मार गिराया, लेकिन उसी के साथ कुछ आम नागरिकों को भी इस कार्रवाही के दौरान अपनी जान गंवानी पड़ी. आर्मी द्वारा किए गए अटैक में गोल्डन टैंपल के "अकाल तख्त" को भारी नुकसान पहुंता, जिसके बाद इसी ऑपरेशन ब्लूस्टार का बदला लेने के मकसद से इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी.



5. ऑपरेशन मेघदूत (1984), सियाचिन पर किया कब्जा 
इंदिरा गांधी ने हमेशा ही पड़ोसी मुल्क को मुंह की खाने पर मजबूर किया था. ऐसा ही एक किस्सा है साल 1984 का जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम दिया था और पाकिस्तान की कब्र खोद डाली थी. भारतीय सेना को ऑपरेशन मेघदूत की मंजूरी इंदिरा गांधी ने ही दी थी. दरअसल, पाकिस्तान ने 17 अप्रैल, 1984 को सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई थी, जिसकी जानकारी भारतीय सेना को लग गई थी. ऐसें में भारतीय सेना ने पाकिस्तान से पहले ही सियाचिन पर कब्जा करने की योजना बनाई और इस सैन्य कार्रवाही का एक कोड वर्ड दिया गया, जिसका नाम था 'ऑपरेशन मेघदूत'.



6. पोखरण में किया परमाणु परीक्षण
भारतीय इतिहास में 18 मई, 1974 का दिन काफी खास माना जाता है. इंदिरा गांधीं की अगुवाई में ही इसी दिन भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण करके दुनिया को हैरत में डाल दिया था. इंदिरा गांधीं की अगुवाई में हुए इस ऑपरेशन का नाम "स्माइलिंग बुद्धा" रखा गया था.



7. प्रिवी पर्स को किया खत्म
जैसा कि आप जानते ही होंगे हमारे देश में कई राजा-महाराजा हुआ करते थे, जिसका अपने-अपने क्षेत्र में काफी वर्चस्व था. हालांकि, आजादी के बाद भारत सरकार ने इनकी रियासतों का विलय कर एक अखंड भारत की स्थापना की, लेकिन इसके बदले में सरकार उन राजपरिवारों को एक निश्चित रकम देती थी. इस राशि को राजभत्ता या प्रिवी पर्स भी कहा जाता था. साल 1971 में इंदिरा गांधी ने संविधान में संशोधन करके राजभत्ते की इस प्रथा को खत्म कर दिया. उन्होंने इस प्रिवी पर्स की इस प्रथा को सरकारी धन की बर्बादी बताया था.