GK: आखिर बिच्छू के बच्चे अपनी ही मां को क्यों खा जाते हैं? वजह जान कांप जाएगी रूह
बिच्छू करीब 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर 37 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच रहना पसंद करते है. हालांकि, वे जमा देने वाली ठंड और जला देने वाली गर्मी को भी आसानी से सहन कर लेते हैं.
नई दिल्ली: आपने आज तक कई तरह के जीव-जंतुओं के बारे में कई अलग-अलग तरह की रोचक कहानियां व उसके जुड़ें कुछ रोचक फैक्ट के बारे में जरूर सुना होगा. आज हम आपको बिच्छू, जो काफी जहरीला और खतरनाक जीव है, उसके बारे में बताएंगे. बिच्छू जितना ही छोटा, उतना ही जहरीला और खतरनाक होता है. अगर वह अपना डंक किसी को मार दें, तो उसका जान तक चली जाती है. बिच्छू के डंक से निकलने वाले जहर से इंसान पैरालाइज भी हो सकता है. इसके अलावा बता दें कि बिच्छू के जहर से कई प्रकार की दवाईयां भी बनाई जाती हैं.
आपने देखा होगा कि बिच्छू अक्सर ईट या पत्थर के नीचे अपना डेरा बनाते हैं. ये काले, मिट्टी रंग या डार्क भूरे और ब्राउन रंग के होते हैं. इनका शरीर लंबा संकरा और दो भागों 'शिरोवक्ष' और 'उदर' में बंटा होता है. आप जानकर हैरान हो जाएंगे, कि दुनियाभर में बिच्छू की लगभग 2,000 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. एक बिच्छू करीब 20०C से लेकर 37०C के तापमान के बीच रहना पसंद करता है. लेकिन ये बेहद जमा देने वाली ठंड और जला देने वाली गर्मी को भी आसानी से सहन कर लेते हैं.
आमतौर पर बिच्छू छोटे कीड़ों का शिकार करते हैं. बिच्छू अपना शिकार करते समय अपनी डंक के जरिए अपने शिकार के शरीर में अपना जहर छोड़ देते हैं. इससे उसका शिकार पैरालाइज हो जाता है और फिर ये उसे जिंदा ही खा लेते हैं. इसके अलावा अगर बात करें मादा बिच्छू कि, तो एक मादा बिच्छू एक समय पर करीब 100 बच्चों को जन्म देती हैं, जो बाद में उसी को खा लेते हैं. जी हां आप सही सुन रहे हैं, जैसे ही मादा बिच्छू के बच्चे होते हैं, वह उनको अपनी पीठ पर बैठा कर किसी सुरक्षित जगह ले जाती हैं और वह तब तक उसकी पीठ पर बैठे रहते हैं, जब तक वे उसको खा-खा कर खोखला नहीं कर देते.
दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि बिच्छू के बच्चे पैदा होते ही अपनी मां की पीठ पर जा कर चिपक जाते है. इसके बाद उन बच्चों के लिए उसकी मां का जिस्म ही उनका भोजन बन जाता है. मादा बिच्छू के बच्चे तब तक अपनी मां की पीठ से चिपके रहते है, जब तक मादा बिच्छू मर नहीं जाती. उसके जिस्म का सारा मांस जब खत्म नहीं हो जाता है और मादा बिच्छू मर जाती है, तब तक उसके बच्चे उसकी पीठ से नहीं उतरते. मादा बिच्छू के मर जाने के बाद उसके बच्चे स्वतंत्र होकर जीते है.