नई दिल्लीः Farm Law's: गुरुनानक जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. संसद में इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया में कम से कम तीन दिन का समय लग जाएगा. 14 महीनों बाद कृषि कानून वापस होते ही 2020 से आंदोलन कर रहे किसानों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. ऐसे में यहां जानें आखिर वो तीन कृषि कानून क्या थे, जिनके पीछे लाखों किसान दिल्ली की कड़कड़ाती ठंड में भी आंदोलन करते रहे.


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ये थे वो तीन कानून
केंद्र सरकार ने 17 सितंबर 2020 को तीनों कृषि कानूनों को संसद में पास करवाया, 27 सितंबर को राष्ट्रपति के सिग्नेचर के बाद कानूनों पर मुहर लग गई. सरकार द्वारा तीनों कानून बनते ही देशभर के कई किसान संगठनों ने इनका विरोध करना शुरू कर दिया. यहां जानें तीनों कानून-


1. कृषि उत्पादन और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020-


भारत के किसान इस कानून की मदद से देश में कहीं भी अपनी फसल बेच सकते थे. अन्य राज्यों में फसल बेचने पर कोई पाबंदी नहीं रहती, कोई भी व्यापारी उनकी फसल खरीद सकता था. इसके लिए उन्हें दूसरे राज्यों का मंडी टैक्स भी नहीं देना होता. दो राज्यों के बीच व्यापार बढ़ाने के साथ ही इस कानून के तहत मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन खर्च कम करने की बात कही गई थी. 


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2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में प्रावधान कर इस कानून के तहत किसान अपनी फसल की मार्केटिंग कर सकता था. इस कानून के तहत किसानों को बेहतर क्वालिटी के बीज, फसल की निगरानी, कर्ज मुहैया करवाना और फसल बीमा जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की बातें शामिल थीं. 


3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
मार्केट में कॉम्पिटीशन बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेज, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटा दिया था. केंद्र सरकार का कहना था कि इस कानून से किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिल सकेगा. 


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