JEE Mains 2023: परीक्षा की तैयारी के दौरान छात्रों ने की यह 5 बड़ी गलती, सेशन 2 में ना दोहराएं
JEE Mains 2023: हम आपको बताएंगे कि जेईई मेंस सेशन 1 की परीक्षा की तैयारी के दौरान छात्रों ने कौन सी 5 बड़ी गलतियां की है, जिसे सेशन 2 की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र दोहराने से बच सकते हैं.
JEE Mains 2023: जेईई मेंस 2023 के सेशन 1 की परीक्षा समाप्त हो चुकी है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की तरफ से परीक्षा की प्रोविजनल आंसर की (JEE Mains 2023 Provisional Answer Key) भी जारी की जा चुकी है. अब एनटीए जल्द ही परीक्षा के परिणाम भी जारी कर देगा. उम्मीद है कि 7 फरवरी को जेईई मेंस 2023 के सेशन 1 के परीक्षा परिणाम घोषित किए जा सकते हैं. हालांकि, परीक्षा के परिणाम जारी होने से पहले आज हम छात्रों को उनके द्वारा परीक्षा की तैयारी के दौरान की गई गलतियों के बारे में बताएंगे. छात्रों से परीक्षा खत्म होने के बाद उनसे लिए एग्जाम रिव्यू के आधार पर हम आपको बताएंगे कि आपको परीक्षा की तैयारी के समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए था और साथ ही अगर आप जेईई मेंस 2023 के सेशन 2 की परीक्षा में शामिल होने की सोच रहे हैं, तो आप इन गलतियों को कैसे दोहराने से बच सकते हैं.
जेईई मेंस 2023 परीक्षा की तैयारी के दौरान छात्रों द्वारा की गई 5 बड़ी गलतियां
1. पुस्तकों का गलत चयन
छात्र अक्सर यह गलती करते हैं कि वे परीक्षा की तैयारी के शुरुआती दौर में ही ज्यादा से ज्यादा किताबें उठा लेते हैं और एक ही टॉपिक को अलग-अलग स्टडी मटीरियल के जरिए पढ़ने लगते हैं. इस कारण वे किसी भी टॉपिक को अच्छी तरह समझने की बजाय और ज्यादा कनफ्यूज हो जाते हैं. छात्रों से अनुरोध है कि वे JEE Mains की परीक्षा की तैयारी के लिए NCERT की किताबों को प्रेफरेंस दें. NCERT की किताब को पढ़ने और अच्छे से रिवीजन करने के बाद ही छात्र किसी भी स्टेंडर्ड किताब का चयन करें.
2. Quantity से ज्यादा Quality पे दें ध्यान
जेईई मेंस की परीक्षा में कक्षा 12वीं के छात्र या कक्षा 12वीं पास कर चुके बैठते हैं. इसलिए परीक्षा का स्तर भी छात्रों के अनुसार ही रखा जाता है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि जेईई की तैयारी के लिए यह मायने नहीं रखता कि छात्र दिन में कितने घंटे पढ़ते हैं बल्कि मायने यह रखता है कि छात्र पूरे दिन में कितने टॉपिक्स या कितने कॉन्सेप्टस समय पाया. आसान भाषा में कहें, तो छात्रों को सिलेबस के अनुसार यह परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए और इस बात पर फोकस करना चाहिए कि उसे सिलेबस में से कितने टॉपिक आते हैं और कितने टॉपिक को उसे समझने की जरूरत हैं. छात्र अगर सिलेबस के सभी टॉपिक्स के कॉन्सेप्टस को समझ लेगा तो उसके लिए यह एग्जाम क्लियर करना काफी आसान हो जाएगा.
3. गलत टाइम मैनेजमेंट
किसी भी परीक्षा की तैयारी में टाइम मैनेजमेंट बहुत बड़ा रोल प्ले करता है. अगर छात्र सही ढंग से जेईई की परीक्षा की तैयारी के लिए टाइम मैनेज ना करें, तो वह जेईई के साथ-साथ बोर्ड परीक्षा भी क्लियर करने में असफल रहेगा. अगर छात्र जेईई और बोर्ड परीक्षा 2023 की तैयारी के लिए टाइम मैनेज करना चाहते हैं, तो उसका एक आसान उपाय यह है कि वे NCERT क्लियर करते हुए लगातार Mock Test दें. इससे छात्रों को पता लगा जाएगा कि कौन सा टॉपिक परीक्षा के लिहाज से महत्वपू्र्ण है और कौन से नहीं. इससे छात्र विषय और टॉपिक के अनुसार अपना टाइम मैनेज कर सकेंगे और साथ ही उन्हें हर एक टॉपिक पढ़ने की भी जरूरत नहीं होगी.
4. रिवीजन के लिए सेल्फ नोट्स का ना होना
छात्र हमेशा परीक्षा के लास्ट मिनट रिवीजन के लिए अपने कोचिंग और स्कूल के नोट्स का सहारा लेते हैं, जो कि पूरी तरह से एक गलत तरीका है. छात्रों से अनुरोध है कि वे परीक्षा की तैयारी के दौरान अपने खुद के नोट्स बनाएं और लास्ट मिनट रिवीजन के समय उन्हीं नोट्स का इस्तेमाल करें. ऐसा हम इसलिए कह रहें हैं क्योंकि एक छात्र को ही पता होता है कि उसे कौन से टॉपिक अच्छें से आते हैं और कौन से नहीं. ऐसे में उसके खुद के बनाए हुए नोट्स ही उसे परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों के सही जवाब देने में मदद करेंगे. इसलिए छात्र रिवीजन के साथ-साथ नोट्स भी बनाते रहें क्योंकि इससे चीजों को याद रखना भी काफी आसान हो जाएगा.
5. SWOT Analysis ना करने की भूल
रिवीजन खत्म होने के बाद छात्र अपना SWOT Analysis जरूर करें. यह आपके आपकी Strength, Weakness, Oportunity और Threat के बारें में बताएगा. इससे कोई भी छात्र यह जान सकेगा कि उसे कौन से टॉपिक अच्छे से आते हैं या कौन से टॉपिक अच्छे से नहीं आते हैं. इसके अलावा वो यह समझ पाएगा कि अगर वह किसी कॉन्सेप्ट को नहीं समझ पा रहा है, जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है, और ऐसे में उसे कौन से वो टॉपिक हैं, जिनकी तैयारी कर वो एक नई Opportunity क्रिएट कर अच्छा स्कोर कर सकता है. इसके अलावा छात्रों को SWOT Analysis से यह समझने में भी मदद मिलती है कि उन्हें किस विषय पर ज्यादा और किस पर कम ध्यान देने की आवश्यकता है.