UPSC CSE Topper Utkarsh Gaurav Success Story: आज जानेंगे एक ऐसे यूपीएससी एस्पिरेंट की कहानी जिन्होंने कई प्रयासों के बाद इस कठिन परीक्षा में सफलता पाई है. एक समय ऐसा भी था जब उन्हें लोगों से यह सुनना पड़ता था कि इंजीनियरिंग करने के बाद भी घर पर बैठा हुआ है, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि वह अपनी लाइफ में कितना बड़ा मकसद लेकर जी रहे थे. आइए जानते हैं पटना के उत्कर्ष गौरव की सफलता की कहानी, जिन्होंने अपनी तैयारी के कारण यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर किया. 


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सबसे बड़ी बात यह है कि जहां इस परीक्षा की तैयारी के लिए युवा दिल्ली का रुख करते हैं, वहीं गौरव दिल्ली छोड़ गांव लौटे और घर में ही तैयारी की. उत्कर्ष गौरव नालंदा के भागन बीघा के अमरगांव निवासी हैं. उनके पिता किसान और मां हाउस वाइफ हैं. उनका एक भाई और एक छोटी बहन हैं. उन्होंने बेंगलुरु से 2018 मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद वह घर लौट गए. यह उनका चौथा अटैम्प्ट था, जिसमें मेंस और इंटरव्यू तक वह पहली बार पहुंचे. 


 सीमित समय के लिए यूज किया सोशल मीडिया
उत्कर्ष गौरव ने बताया कि वह कॉलेज के समय में सोशल मीडिया काफी एक्टिव रहता थे, लेकिन जब सिविल सेवा की तैयारी में शुरू की तो इस पर ज्यादा एक्टिव नहीं थे, क्योंकि ज्यादा समय देने से ध्यान भटकता है. लोगों से जुड़ाव के लिए फोन कॉल का उपयोग करता था. यूट्यूब की हेल्प से ऑनलाइन पढ़ाई की. 
 
सेल्फ स्टडी के साथ की ऑनलाइन तैयारी
उत्कर्ष गौरव ने बताया कि पॉलिटिकल साइंस, हिस्ट्री जैसे विषयों के लिए कोचिंग की जरूरत पड़ी थी. 8 महिने कोचिंग करने के बाद कोरोना के कारण घर लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि दिल्ली से तैयारी करने में खर्च बहुत आता है और समय भी लगता हैं. घर में रहने से पैसों और समय दोनों की बचत हुई. घर का खाना मिलता था, जिससे मैं बीमार भी नहीं पड़ता था. इसके बाद ऑनइलान स्टडी करके अपनी तैयारी पूरी की. 


जानें पढ़ाई और लक फैक्टर के बारे में क्या कहना है उनका
उत्कर्ष गौरव ने कहा, "सबसे पहले तो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दृढ़ इच्छा का होना बेहद जरूरी है. जब तीसरे प्रयास में मैं प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाया तो पूरी तरह टूट चुका था. गांव में लोग कहते थे कि इंजीनियरिंग करके बैठा हुआ है, लेकिन घर वालों ने समझाया और हार नहीं मानने दी. इसके बाद मैंने यूपीएससी क्रैक करने का ठान लिया. बस इसके लिए आपको टाइम मैनेजमेंट आना चाहिए. वहीं, लक की बात की जाए तो अगर हम 80 प्रतिशत मेहनत करते हैं तो 20 प्रतिशत लक होना जरूरी है. कई बार हम मेहनत करते हैं, लेकिन 1 नंबर से चूक जाते हैं तो यह लक फैक्टर ही है."