Toilet Fact: जब सबसे साफ सुधरे कलर की बात आती है तो दिमाग में बस सफेद ही आता है, लेकिन यह अच्छा तभी लगता है जब साफ हो. सफेद रंग की कोई भी चीज अगर गन्दी हो जाती है तो फिर उसे इस्तेमाल करने से पहले सोचना पड़ता है क्योंकि वह आखों को अच्छी नहीं लगती है. पर ऐसी जगह जहां सफेद चीज का गंदा होना तय है और सफाई भी बहुत जरूरी है वहां इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है. इसके पीछे की साइंस क्या है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आज हम बात कर रहे हैं कि बाथरूम में लगे बेसिन और कमोड के कलर की. ये सफेद ही क्यों लगाए जाते हैं इसके पीछे का राज क्या है जो किसी और कलर के नहीं लगाए जाते हैं. आज जहां भी गए होंगे वहां आपने यह चीज नोटिस भी की होगी कि यह सफेद ही लगे होंगे. 5 स्टार होटल से लेकर रेलवे स्टेशन के बाथरूम तक में यह सफेद ही होते हैं. 


अब इसके सबसे बड़े साइंटिफिक कारण की बात करते हैं. दरअसल कमोड और बेसिन को सिरेमिक से बनाया जाता है. सिरेमिक का ऑरिजनल कलर सफेद ही होता है. अगर किसी और रंग के कमोड या बेसिन बनाने होंगे तो उसमें कलर मिलाना पड़ेगा. अगर कलर मिलाते हैं तो उस कलर के कारण उसकी क्वालिटी लो हो जाती है. इसलिए इन्हें सफेद रंग का ही बनाया जाता है. हालांकि बावजूद इसके कुछ कंपनियां इन्हें पिंक, यलो, नीले और हरे रंग में भी बनाती हैं, लेकिन डिमांड सबसे ज्यादा सफेद रंग की ही होती है. 


सिरेमिक जिसे आप आसान भाषा में चीनी मिट्टी के नाम से जानते हैं, इसे विशेष प्रकार की मिट्टी से बनाया जाता है. इसका प्रयोग टाइल्स, कमोड और बर्तन बनाने के लिए भी किया जाता है. आपको बता दें सिरेमिक या पोर्सिलेन को सिलिका, एलुमिना, मैग्नीशिया, बोरान ऑक्साइड और ज़र्कोनियम आदि को मिलाकर  तैयार किया जाता है.


ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले ताज़ा ख़बर अभी पढ़ें सिर्फ़ Zee News Hindi पर| आज की ताजा ख़बर, लाइव न्यूज अपडेट, सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली सबसे भरोसेमंद हिंदी न्यूज़ वेबसाइट Zee News हिंदी|