इस वजह से अब एक्ट्रेस नहीं हिचकती बोल्ड सीन देने में, आखिर ऐसा क्या बदल गया
भारत की सबसे पहले इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर आस्था खन्ना बन गई हैं. उन्होंने गहराइयां फिल्म से अपने काम की शुरुआत की है. उन्होंने बताया कि फिल्म के सेट पर इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर का होना क्यों जरुरी है.
Intimacy coordinator : बॉलीवुड में जब फिल्में बनती है तो उनमें सेक्स सीन से लेकर, किसिंग सीन होते हैं और उन सीन को करने में ऐक्ट्रेसज कमर्फटेबल नहीं होती हैं. इस बात का खुलासा कई एक्ट्रेस ने किया है. एक तरफ जहां सेट पर ज्यादातर पुरुष होते हैं उनके सामने ऐसे रोल को करने में अभिनेत्रियां असहज महसूस करती हैं. कई बार एक्ट्रेस के साथ ऐसा हुआ जब सीन करते वक्त उनके को-एक्टर बहक जाते हैं और सीन के आड़ में अपनी हद पार कर देते हैं. लेकिन अब वक्त के साथ टेक्नोलॉजी भी बदल रही है. हॉलीवुड के बाद अब बॉलीवुड में भी इंटीमेट को-ऑर्डिनेटर्स आ चुके हैं. जो ऐसे रोल करते वक्त कलाकारों के बीच पिलर का काम करते हैं. जिस वजह से अब हिरोइन बोल्ड सीन देने में हिचकती नहीं हैं.
क्या है इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर का काम
अगर आसान भाषा में कहे तो इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर का काम होता है फिल्म के डायरेक्टर, प्रोडयूसर और एक्टर के बीच पहले से ही सीन को लेकर सभी बातों को साफ करवाना. अगर फिल्म में कोई इंटीमेट है तो उस सीन को शूट करवाले की जिम्मेदारी इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर की होती है. इन सबमें सबसे बड़ा नियम होता है ऐक्ट्रेस की सहमति और ये सुनिश्चित करना कि वो सीन करने में कम्फर्टेबल है या नहीं. सबसे पहले इसकी शुरुआत दीपिका पादुकोण की फिल्म 'गहराइयां' से हुई थी. इस फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी और दीपिका के बीच इंटीमेट सीन और किसिंग सीन को इंटीमेसी को ऑर्डिनेटर के जरिए ही फिल्माया गया था.
आस्था खन्ना बनी सबसे पहली इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर
बता दें भारत की सबसे पहले इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर आस्था खन्ना (Astha Khanna) बन गई हैं. उन्होंने गहराइयां के बाद नेटफ्लिक्स की सुपरहिट सीरीज क्लास में भी इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर का काम किया है. इस सीरीज में कई ऐसे सीन है जिसे आस्था ने शूट किया हैं. हालांकि आज भी बॉलीवुड में ऐसे बहुत से लोग है जो इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर टर्म से वाकिफ नहीं है या फिर जानने के बाद भी इसे इतनी तवज्जो नहीं देते हैं. आस्था ने बताया कि क्यों इंटीमेसी कोऑर्डिनेटर का सेट पर होना जरुरी होता है. इससे एक्टर कमर्फटेबल महसूस करते हैं. ऐसे में वो कैमरे के सामने और अच्छे से परफॉर्म करते हैं और इससे फिल्म का ही फायदा होता है.