Ananya Panday On Her First Period: अनन्या पांडे ने हाल ही में व्हिस्पर के साथ हाथ मिलाया है और उनके ब्रांड के नए प्रोडेक्ट व्हिस्पर अल्ट्रा अपटू नो गैप नो लीक्स को लॉन्च किया है. वे इस पार्टनरशिप के जरिए महिलाओं में रियर पीरियड प्रॉब्लम के लिए जागरूकता फैलाने का काम करेंगी. अनन्या ने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान महिलाओं को कई मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं, खास तौर से जब उन्हें पीरियड के दिनों में काम करना पड़ता है. तब उन्हें सही सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. 


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इसलिए वे इस वाले में खुलकर बात करना चाहती हैं. उनका मानना है कि महिलाओं को इन चुनौतियों के बारे में बिना शर्म के बात करनी चाहिए. ताकि समाज में इस बारे में बेहतर समझ बन सके. अनन्या ने अपने शुरुआती दिनों की एक दिलचस्प किस्सा शेयर किया. उन्होंने बताया कि जब वे एक्टिंग की दुनिया में नई थीं, तो उनकी एक फ्रेंड ने उनसे पूछा कि क्या वे पीरियड के समय भी काम कर पाती हैं? उनका कहना है कि एक्टिंग में हर दिन चुनौतीपूर्ण होता है. कभी-कभी उन्हें ध्यान भी नहीं रहता कि वे इन दिनों में हैं. 



शूटिंग के वक्त होती है परेशानी


उन्होंने आगे बात करते हुए बताया कि लेकिन कुछ दिन वाकई मुश्किल भरे होते हैं. खास तौर से तब जब आस-पास वॉशरुम नहीं होते और कपड़े बदलने में परेशानी होती है. अनन्या का मानना है कि ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा तरीका है डायरेक्टर से सीधे बात करना. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शर्म करने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने सलाह दी कि कलाकारों को बिना झिझक बताना चाहिए कि उन्हें किन सुविधाओं की जरूरत है. उनका एक्सपीरियंस रहा है कि साफ-साफ बोलने से मदद मिलती है. 


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खुलकर बात करना है जरूरी 


उनका कहना है कि फिर चाहे आस-पास के कोई भी पुरुष खड़ा है या असहज महसूस करें, लेकिन अपनी जरूरतें बताना जरूरी है. उन्होंने इस बारे में आगे बात करते हुए कहा कि पीरियड के बारे में डर और शर्म की इसलिए बनी रहती है क्योंकि घर और स्कूल में इस पर बात नहीं होती. अनन्या ने बताया, 'मैं जब बच्ची थी और मेरी बहन से पहले मुझे पीरियड्स आए थे, लेकिन उस समय घर में इस बारे में ज़्यादा बात नहीं हुई थी. मेरी क्लास की कुछ लड़कियों को मुझसे पहले पीरियड्स आ चुके थे, लेकिन ये सब छिपकर रखा गया था'. 


शेयर किया अपना पहला एक्सपीरियंस 


उन्होंने बताया, 'उस वक्त मैं नेचुरली इसे डर गई थी'. साथ ही वे अपनी मां, भावना पांडे को इस शर्म को खत्म करने का श्रेय देती हैं. उन्होंने बताया, 'जब मुझे पहली बार पीरियड्स आए, तब मैं स्कूल में थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है क्योंकि किसी ने इस बारे में बात नहीं की थी. जब मैं घर गई, तब मैं बहुत डरी हुई थी, क्योंकि मुझे लगा कि मेरे साथ कोई बड़ी समस्या है. मुझे नहीं पता था कि ये क्या है. लेकिन मेरी मां और दादी ने मुझे खुशी से गिफ्ट्स दिए और कहा कि ये जश्न मनाने का समय है'. 



इस बारे में स्कूल में बात होनी चाहिए 


उन्होंने बताया, 'मुझे लगता है कि सबको इस तरह से इस हालात का सामना करना चाहिए ताकि शर्म दूर हो सके'. अनन्या ने कहा कि पीरियड के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में बात करना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि समय के साथ स्कूलों में इस बारे में चर्चा शुरू हुई. एक सेहत से जुड़ा सब्जेक्ट पेश किया गया, जिसमें लड़के और लड़कियों दोनों को बताया गया कि लड़कियों के पीरियड्स के दौरान उनके शरीर में क्या बदलाव आते हैं. अनन्या का मानना है कि ये जानकारी स्टूडेंट्स के सब्जेक्ट्स में शामिल होनी चाहिए.


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