Bollywood Comedians: यह एक्टर विजिटिंग कार्ड लेकर जाता था काम मांगने, खुद को बताता था एम.ए. यानी ‘मास्टर ऑफ एक्टिंग’
Actors Of Hindi Cinema: 1940 से 1970 के दौर तक लोग अपने नाम से साथ शिक्षा में अपनी डिग्री गर्व से लिखा करते थे, बी.ए. या एम.ए. वगैरह. जानकीदास भी बहुत पढ़े-लिखे थे, लेकिन फिल्मों में लोग डिग्री से प्रभावित नहीं होते थे. तब उन्होंने लोगों को समझाया एम.ए. यानी मास्टर ऑफ एक्टिंग.
Popular Comedy Actors: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री अनूठे हास्य अभिनेताओं में जानकीदास बड़ा नाम हैं. 1910 में जन्मे जानकीदास (Jankidas Mehra) उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री के सबसे पढ़े-लिखे और बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों में शामिल थे. वह न सिर्फ कलाकार थे बल्कि साइकिलिंग में नेशनल चैंपियन, प्रोडक्शन डिजाइनर, लेखक, पत्रकार भी थे. उन्होंने इंडिया में साइकिलिंग फेडरेशन की शुरुआत की थी. जानकीदास 1936 के बर्लिन ओलिंपिक गेम्स में अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी में इकलौते भारतीय थे. जानकीदास लाहौर में निर्मित फिल्म खजांची (1941) फिल्म से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत कर चुके थे. देश का विभाजन होने के बाद जब उन्होंने मुंबई आकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम ढूंढना शुरू किया तो काफी दिक्कतें आई.
एम.ए. यानी मास्टर ऑफ एक्टिंग
फिल्मों में कोई भी आसानी से काम देने के लिए तैयार नहीं होता था. जानकीदास काम मांगने के लिए विजिटिंग कार्ड का उपयोग करते थे, जिस पर लिखा होता था जानकीदास एम.ए. (इंग्लिश, हिस्ट्री). विजिटिंग कार्ड देखकर कई लोग हंसी उड़ाते थे कि फिल्मों में क्या ऐसे काम मिलता है. फिल्म इंडस्ट्री में पढ़ाई काम नहीं देती. बार-बार नाकामी मिलने पर जानकीदास ने एक ट्रिक अपनाई. जब वह प्रोड्यूसर एस.एफ. हसनैन के पास काम मांगने गए तो उन्हें भी अपना कार्ड दिया. जब निर्माता ने कार्ड लेकर उनकी तरफ देखा तो जानकीदास ने बड़े ही मजाकिया अंदाज में कहा यहां एम.ए. का अर्थ मास्टर ऑफ एक्टिंग है. निर्माता हसनैन इस अंदाज से काफी खुश हुए और अपनी अगली फिल्म खूबसूरत में सुरैया के पति की भूमिका उन्हें दे दी.
बड़ी हीरोइनों को खोजा
जानकीदास ने लगभग 1000 फिल्मों में छोटे मोटे रोल किए. हिंदी सिनेमा के कई अभिनेता और अभिनेत्रियां जानकीदास की देन हैं. अभिनेत्री मधुबाला को सोहराब मोदी की फिल्म ‘दौलत’, मीना कुमारी को नानूभाई भट्ट की फिल्म ‘हमारा घर‘ दिलाने में जानकीदास का ही हाथ था. माला सिन्हा भी जानकीदास की खोज थीं. खेल जगत में भी उनका अभूतपूर्व योगदान रहा. जानकीदास भारत के इकलौते ऐसे भारतीय थे, जिन्होंने 1932-1942 के बीच साइकिलिंग में कई वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए थे. उन्होंने फिल्ममेकिंग पर किताबें भी लिखी.
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