Ek Din Ek Film: 7.50 लाख में बनी थी अमिताभ की यह फिल्म; पूरे हुए 50 साल, भेजी गई थी ऑस्कर में
Amitabh Bachchan: अमिताभ बच्चन का फिल्मी करियर पचास पार हो चुका है. यह बात बहुत प्रसिद्ध है कि उनकी शुरुआती एक दर्जन से ज्यादा फिल्में फ्लॉप रही थीं. मगर इनमें से कुछ बाद में खूब देखी गईं. उनमें अमिताभ को सराहा गया. इन्हीं में एक थी, सौदागर. पिछले हफ्ते फिल्म की रिलीज को 50 साल पूरे हो गए...
Amitabh Bachchan Films: अमिताभ बच्चन के शुरुआती करियर की जिन फिल्मों में लोगों ने उनके अभिनय की चमक देखी, उनमें सौदागर शामिल है. राजश्री फिल्म्स (Rajshree Films) की यह फिल्म 1973 में अक्टूबर में रिलीज हुई थी. बीते सप्ताह फिल्म को रिलीज हुए 50 साल (50 Years Of Saudagar) पूरे हो गए हैं. वास्तव में आज भी अमिताभ बच्चन की इस फिल्म के पसंद करने वाले लोग मिलेंगे. निर्देशक सुधेंदु रॉय की इस फिल्म में अमिताभ के साथ नूतन (Actress Nutan) और पद्मा खन्ना थीं. अमिताभ और नूतन की बतौर लीड एक्टर और लीड एक्ट्रेस यह एकमात्र फिल्म है. इसके बाद 1994 में फिल्म इंसानियत में नूतन ने अमिताभ की मां का किरदार निभाया था.
थप्पड़ कांड की याद
उस दौर में अमिताभ बच्चन की यह फिल्म साढ़े सात लाख रुपये में बनी थी, मगर बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही. फिल्म केवल पांच लाख रुपये का बिजनेस कर पाई. कहा जाता है कि यह फिल्म 1969 में नूतन और संजीव कुमार (Sanjeev Kumar) को लेकर बननी थी, परंतु तभी फिल्म देवी के सेट पर चर्चित थप्पड़ कांड हुआ था. जिसमें नूतन ने अपने पति के कहने पर संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था. बताया गया कि वह पति के सामने यह साबित करना चाहती थीं कि संजीव कुमार के साथ उनके अफेयर की चर्चाएं गलत हैं. खैर, बाद में फिल्म में अमिताभ आए.
निकाह का फ्रॉड
फिल्मों में अमिताभ बच्चन का करियर 50 साल से अधिक का हो चुका है. इतने लंबे दौर में उनकी मात्र तीन फिल्में भारत की तरफ से ऑस्कर की विदेशी फिल्मों की श्रेणी में प्रतिस्पर्द्धा के लिए भेजी गईं. 1971 में रेशमा और शेरा, 1973 में सौदागर और 2007 में एकलव्यः द रॉयल गार्ड. पचास साल बाद भी अगर सौदागर को अमिताभ बच्चन के चाहने वाले याद करते हैं, तो इसकी वजह है फिल्म की कहानी और इसके कलाकारों का अभिनय. अमिताभ फिल्म में मोती नाम के ऐसे चालाक युवक बने थे, जो एक युवा विधवा महजबीन (नूतन) से इसलिए निकाह करता है क्योंकि वह एक अन्य युवती फूलबानो (पद्मा खन्ना) से शादी करना चाहता है. मोती के पास फूलबानो को मेहर में देने लायक पैसे, 500 रुपये नहीं हैं.
कवि क्यों नहीं
मोती महजबीन के गुड़ के धंधे को हड़प कर 500 रुपये इकट्ठा कर लेता है और उस पर उल्टे-सीधे आरोप लगाकर दुश्चरित्र बताता है. इसके बाद का घटनाक्रम रोचक है, जिसे आप ओटीटी और यूट्यूब पर मौजूद फिल्म में देख सकते हैं. फिल्म के गाने और संगीत रवींद्र जैन ने तैयार किए थे. सभी हिट थे. एक गाना, सजना है मुझे सजना के लिए... आज भी खूब सुना जाता है. फिल्म के संवाद निर्माता-निर्देशक राजकुमार संतोषी के पिता पी.एल. संतोषी ने लिखे थे. रोचक बात यह भी है कि सौदागर के निर्माता ताराचंद बड़जात्या ने पहली मुलाकात में अमिताभ बच्चन को बतौर एक्टर खारिज करते हुए कहा था कि तुम अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की तरह कवि क्यों नहीं बन जाते.