Dum Maro Dum: आशा भोसले की आवाज का कोई मुकाबला नहीं है. लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की छोटी बहन, आशा ने न केवल अपने दम पर अपनी जगह बनाई बल्कि अपनी पहचान भी पुख्ता की. उनकी आवाज की मादकता के करोड़ों दीवाने हैं. उनके गाए हजारों गीतों को सुनकर आप यही कहेंगे कि ये किसी और आवाज के लिए नहीं बने. ऐसे ही एक गानों में है, दम मारो दम. देव आनंद की फिल्म देव आनंद (Dev Anand) का यह गाना, पीढ़ियों से होता हुआ आज 50 साल बाद भी गूंज रहा है. पुराना नहीं पड़ा. इतना जरूर है कि वक्त के साथ इसे सहज स्वीकार लिया गया है, परंतु पांच दशक पहले इसे हमारी संस्कृति के विरुद्ध मानते हुए सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

फिर भी रहा सरताज
दम मारो दम... गाने पर चिलम-गांजा फूंकने और नशा करने की आदत को बढ़ावा देने का आरोप लगा. गाने के रिलीज होने पर कई विवाद हुए. इसे ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio) ने प्रतिबंधित कर दिया. लेकिन इससे गाने की लोकप्रियता पर फर्क नहीं पड़ा. उन दिनों के सबसे चर्चित रेडियो स्टेशन सीलोन पर, बेहद लोकप्रिय बिनाका गीतमाला पर यह गाना कई महीनों तक हर हफ्ते चार्ट में शीर्ष पर रहा और ‘सरताज गीत’ बना. ‘सरताज गीत’ वह गाना होता था, जो 12 सप्ताह से अधिक समय तक नंबर एक पर रहता हुआ रिटायर हो जाता था. बात सिर्फ रेडियो की नहीं थी. सरकार ने यह गाना उन दिनों दूरदर्शन (Doordarshan) पर भी प्रसारित नहीं होने दिया.


लता और उषा उत्थुप
उस वक्त दूरदर्शन भारत का एकमात्र टेलीविजन चैनल था. दूरदर्शन पर उस दौर भी हरे रामा हरे कृष्णा का प्रसारण होता था, तब दम मारो दम गाना काट दिया जाता था. एक साक्षात्कार में आशा (Asha Bhosle Interview) ने कहा था कि इस गाने के लिए उनकी बहुत आलोचना हुई थी. लेकिन सच यही है कि आशा की आवाज के बिना दम मारो दम की कल्पना करना लगभग असंभव है. आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि शुरुआत में यह गाना आशा को नहीं दिया गया था. आर.डी. बर्मन के संगीत में तैयार यह गाना एक समय लता मंगेशकर और उषा उत्थुप की आवाज में युगल गीत की तरह रिकॉर्ड होना था. पर्दे पर इसे इसे मुमताज और जीनत अमान (Zeenat Aman) पर फिल्माने की योजना थी. बाद में लता इस गाने से अलग हो गईं, तो इसे आशा और उषा उत्थुप के साथ तैयार करने का फैसला हुआ. मगर आखिर में सिर्फ आशा ने इसे रिकॉर्ड किया.



तो हट जाता गाना
आशा भोसले ने जब यह गाना रिकॉर्ड किया और देव आनंद ने इसे सुना, तो वह सोच में पड़ गए. उन्होंने तय किया कि गाने को फिल्म से हटा देंगे. उन्हें अंदाजा हो गया था कि गाने पर विवाद खड़ा होगा और फिल्म में वह जो मैसेज देना चाह रहे हैं, वह बेकार चला जाएगा. आरडी बर्मन ने जब आशा को बताया कि गाना फिल्म से हटाया जा रहा है  तो वह सीधे देव आनंद के घर पहुंच गईं. आशा ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया कि मैं बेहद परेशान थी और सीधे देव साहब के घर चली गई. मैंने उनसे कहा कि यह एक अद्भुत गाना है और हर कीमत पर फिल्म में रखा जाना चाहिए. तब उन्होंने कुछ देर सोचा और कहा कि ठीक है, आप कह रही हैं तो मैं ऐसा करूंगा. इस तरह यह गाना फिल्म में रह पाया.