Mughal-E-Azam: ऐसे दौर में जब फिल्मी सितारे पैसा छापने की मशीन बन चुके हैं, तब ऐसे महान अभिनेता को याद करके आश्चर्य होता है, जिन्होंने निर्देशक से मिले ब्लैंक चेक को भुनाने के बजाय सिर्फ एक रुपये फीस ली. वह भी उस फिल्म में, जिसे हिंदी सिनेमा की महान फिल्मों में शीर्ष पर रखा जाता है. यह कलाकार थे, पृथ्वीराज कपूर और फिल्म थीः मुगल-ए-आजम. निर्देशक के.आसिफ अपनी धुन के पक्के थे और उसी कलाकार के साथ काम करते थे, जिसे अपनी फिल्म में चाहते थे. उन्हें मुगल-ए-आजम बनाने में करीब डेढ़ दशक लगा और 1960 में यह फिल्म डेढ़ करोड़ रुपये में बनी थी. उस समय यह आसमान छूती रकम थी.


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अकबर को चेक
फिल्म में बादशाह अकबर की भूमिका के लिए के.आसिफ की नजर में पृथ्वीराज कपूर से बढ़कर कोई ऐक्टर नहीं था. वह हर हाल में उन्हें फिल्म में चाहते थे. पृथ्वीराज कपूर किसी वजह से इंकार न कर दें, इसलिए के.आसिफ ने उन्हें फिल्म के लिए साइन करते हुए एक ब्लैंक चेक दिया और कहा कि वह अपने रोल के लिए जितनी चाहे, उतनी रकम इसमें भर सकते हैं. पृथ्वीराज कपूर शानदार कलाकार थे और उन्हें जुनून का मतलब खूब पता था. वह जानते थे कि के.आसिफ कितनी शिद्दत से इस फिल्म को बना रहे हैं. उन्होंने के.आसिफ के दिए चेक पर मात्र एक रुपये की रकम भरी और कहा कि यही मेरी फीस होगी.



दो गाने 50 हजार के
बताया जाता है कि पृथ्वीराज कपूर का यह अंदाज देखकर के.आसिफ बहुत इमोशनल हो गए. तब पृथ्वीराज कपूर ने उनसे कहा कि मैं हमेशा इंसानों के साथ काम करता हूं. व्यापारियों और मारवाड़ियों के साथ मैं काम नहीं करता. ऐसा नहीं कि पृथ्वीराज कपूर की तरह बाकी लोगों ने भी कम फीस ली. फिल्म में दिग्गज शास्त्रीय गायक बड़े गुलाम अली खान साहब ने मात्र दो गीत गाने के लिए 50 हजार रुपये लिए थे. जबकि उस समय फिल्मों के बड़े से बड़ा गायक भी पांच सौ से हजार रुपये में एक गाना गाया करता था. परंतु के.आसिफ की जिद थी कि वह फिल्म में बड़े गुलाम अली खान साहब का गाना चाहते हैं. मुगल-ए-आजम में प्रेम जोगन बन के और शुभ दिन आयो राज दुलारा बड़े गुलाम अली खान साहब की आवाज में सुने जा सकते हैं.