Film Review: फिल्म क्रिटिक्स और रिव्यू करने वालों के खिलाफ कोर्ट में केस, अदालत ने सुनी अपील और कहा...
Bollywood Films: क्या समीक्षाओं से फिल्मों को नुकसान होता हैॽ नेगेटिव रिव्यू पढ़कर दर्शक फिल्म देखने नहीं जाते या फिर चार और पांच सितारों वाली समीक्षाओं को पढ़ने वाले थिएटरों में पहुंच जाते हैंॽ यह बहस का मुद्दा है, लेकिन अब निर्देशक ने अदालत में गुहार लगाई है...
Bollywood Film Reviews: अब हर व्यक्ति सोशल मीडिया पर फिल्मों की समीक्षा करने के लिए आजाद है. वह प्लेटफॉर्मों पर टिप्पणी लिखता है, तो वीडियो बनाकर यूट्यूब पर पोस्ट भी कर देता है. अक्सर देखा जाता है कि नेगेटिव बातें कहने वालों को लोग खूब पसंद करते हैं और उसके वीडियो बहुत देखे जाते हैं. लेकिन क्या यह बातें फिल्मों का बिजनेस नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही हैंॽ किसी भी फिल्म इंडस्ट्री के लोग इस बात को स्वीकार नहीं करते, लेकिन वे नेगेटिव रिव्यू नहीं चाहते हैं. यही कारण है कि ऑनलाइन फिल्म समीक्षकों और क्रिटिक्स के खिलाफ एक अदालती मामला दायर किया गया है.
अदालत दे निर्देश
ऑन लाइन फिल्म समीक्षकों को लेकर यह मामला केरल उच्च न्यायालय में उठा है. अदालत ने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए, राष्ट्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन फिल्म समीक्षकों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश पेश करने के लिए एक नोटिस भेजा. पोर्टल एम9न्यूज के अनुसार यह केस मलयाली फिल्म अरोमालिंटे आध्याथे प्राणायाम के निर्देशक मुबीन रऊफ ने दायर किया है. उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके किसी भी ऑनलाइन समीक्षक को उनकी फिल्म के थिएटर रिलीज से एक सप्ताह बाद तक अपनी समीक्षा शेयर करने से रोकने के लिए कहा है. याचिका में निर्देशक ने कहा कि ऑनलाइन समीक्षाएं फिल्मों के खिलाफ नेगेटिव बातें फैलाती हैं और वे किसी भी रूप में फिल्म उद्योग के लिए अच्छा नहीं है.
बात सात दिन की
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि ये नकारात्मक समीक्षाएं फिल्म उद्योग की आर्थिस स्थिति पर बुरा असर डालती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हजारों परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ जाती है. केरल हाई कोर्ट ने मामले को सुनवाई के योग्य माना है और राष्ट्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय से ऑनलाइन समीक्षाओं पर स्पष्ट दिशानिर्देश मांगे. याचिका में मांग की गई है कि ऑनलाइन फिल्म समीक्षकों को थिएटर की रिलीज से 7 दिन तक फिल्म अरोमालिंटे आध्याथे प्राणायाम की समीक्षा शेयर करने से रोका जाए. अगर अदालत इसे मंजूरी दे देती है, तो यह किसी भी भाषा के फिल्म उद्योग में एक नई बात होगी. तब बाकी मेकर्स भी इस तरह की रोक की मांग करते हुए अदालत में जा सकते हैं.