नई दिल्लीः फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' 20 अक्तूबर 1995 के दिन रिलीज हुई थी. इस फिल्म से ना हीरो शाहरुख खान को ज्यादा उम्मीदें थीं, ना पहली बार निर्देशक बने आदित्य चोपड़ा को. बस, इस फिल्म की सफलता की उम्मीद थी तो करण जौहर और आदित्य के भाई उदय चोपड़ा को. करण ने इस फिल्म में शाहरुख खान के दोस्त का किरदार निभाया था और आदित्य को असिस्ट भी किया था. यश चोपड़ा तो खैर यही चाहते थे कि बस फिल्म की लागत निकल आए.


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कैसे आया 'डीडीएलजे' का आइडिया
आदित्य चोपड़ा (Aditya Chopra) काफी समय से फिल्म बनाना चाहते थे. उनके दिमाग में एक रफ आइडिया था जो उन्होंने अपने दोस्त करण जौहर को सुनाया था. करण को कहानी अच्छी लगी. आदित्य ने बस चार हफ्तों में फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार कर ली. इसके बाद आदित्य ने पापा यश चोपड़ा को बताया. यश चोपड़ा फिल्म की कहानी से बहुत खुश नहीं थे. उन्हें लगा, कहानी में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है. पर बेटे की जिद को देखते हुए उन्होंने हां कह दिया.


आदित्य चाहते थे सैफ बने राज
'डीडीएलजे' में राज का यादगार किरदार निभाने वाले शाहरुख खान आदित्य की पहली पसंद नहीं थे. आदित्य ने सैफ को दिमाग में रख कर यह रोल लिखा था. लेकिन जब वे यह कहानी लेकर सैफ के पास गए तो सैफ ने काम करने से मना कर दिया. उनको कहानी पसंद नहीं आई. आदित्य को दुखी देख कर यश चोपड़ा ने कहा कि वे उनकी फिल्म डर में काम कर चुके शाहरुख खान से बात करेंगे.


यश चोपड़ा जब शाहरुख खान से मिले, तो किंग खान ने कहा कि इस फिल्म में थोड़ा ढिशुम-ढिशुम होना चाहिए. सिर्फ रोमांटिक फिल्में नहीं चलतीं. हीरो जब तक विलेन को मारेगा नहीं दर्शक खुश नहीं होंगे. आदित्य अपनी फिल्म की कहानी में बदलाव नहीं करना चाहते थे. पर यश के कहने पर उन्होंने कहानी के अंत में जरा सा ड्रामा डाल दिया.


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शाहरुख ने यह फिल्म यश चोपड़ा के कहने पर कर ली. पर फिल्म बनते-बनते आदित्य को लगने लगा कि शाहरुख से बेहतर राज और कोई हो ही नहीं सकता था. इस फिल्म में शाहरुख के पापा बने अनुपम खेर का कैरेक्टर बिलकुल यश चोपड़ा जैसा है. अपनी मां के कहने पर आदित्य ने ऐसा किया था. उन्हें लगा, इस तरह वे सबको यह बता सकते हैं कि उनके पापा कैसे अपने बेटों के साथ दोस्ताना रिश्ते रखते हैं.
इस फिल्म की बड़ी कामयाबी के बाद करण जौहर को यह यकीन हो गया कि अब वह भी फिल्में बना सकते हैं.


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