हाई-ग्रेड के न्‍यूरोइंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहे मशहूर एक्‍टर इरफान खान ने इस दुर्लभ बीमारी के सामने आने के बाद पहली बार अपनी पीड़ा, दुख और जीवन के प्रति नजरिये को दुनिया से साझा किया है. द टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत में इरफान खान कैंसर का पता चलने के बाद अपनी स्थिति के बारे में कहा, ''मैं अपने ख्‍वाबों, आशाओं, आकांक्षाओं, योजनाओं और लक्ष्‍यों के साथ बेहद बेहद तेज स्‍पीड की ट्रेन में सफर कर रहा था. इसी बीच किसी ने मेरा कंधा थपथपाया. मैं मुड़ा तो देखा टिकट कलेक्‍टर खड़ा था. उसने कहा कि आपकी मंजिल आने वाली है. कृपया उतर जाइए. मैंने कहा- नहीं, नहीं. मेरी मंजिल अभी नहीं आई है. उसने कहा कि नहीं यही है. कभी-कभी ऐसा ही होता है.''


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जीवन में अचानक उत्‍पन्‍न हुई इस तरह की परिस्थितियों से उपजे अपने अहसास के बारे में उन्‍होंने कहा, ''आप बस समुंदर में अनिश्चित धाराओं के बीच तैरते हुए एक काग(cork) की तरह हैं. लेकिन आप किसी भी तरह उन पर नियंत्रण करना चाहते हैं...इसके साथ ही यह भाव भी पनपा कि काग को धारा को नियंत्रित करने की जरूरत नहीं है.'' इसके साथ ही कहा, ''जीवन में केवल एक ही चीज निश्चित है, वह है अनिश्चितता.''


कैंसर से जूझते इरफान खान का पत्र, 'मुझे नहीं पता मेरे पास कितना समय है, लेकिन...'


इरफान खान ने अपनी बीमारी के बारे में कहा कि मैंने खुद को भरोसे के साथ हालात के सामने छोड़ दिया है.(फाइल फोटो)

कैंसर से संघर्ष
कैंसर से अपने संघर्ष के बारे में इरफान ने कहा, ''मैं अपने से केवल यही अपेक्षा रखता हूं कि मैं इस संकट को मौजूदा दशा में नहीं झेलना चाहता. मुझे अपने पैरों के सहारे की जरूरत है. भय और पैनिक को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहता अन्‍यथा मेरी स्थिति शोचनीय हो जाएगी. मेरा बस यही इरादा है.'' उसके बाद वेदना और पीड़ा के अहसास पर कहा कि जब आपको इसका अहसास होता है तो आप इसकी प्रकृति और सघनता के बारे में जान पाते हैं. उस वक्‍त कुछ भी काम नहीं आता. कोई भी प्रेरणा, कोई भी प्रोत्‍साहन काम नहीं करता. संपूर्ण ब्रह्मांड उस दुख के क्षण में समाहित हो जाता है. घनीभूत पीड़ा का यह अहसास ईश्‍वर से भी ज्‍यादा बड़ा महसूस होता है.


क्या लार्ड्स में इंग्लैंड-पाकिस्तान का मैच देख रहे हैं इरफान खान?


आजादी के असली मायने
उन्‍होंने इसके साथ ही कहा, 'दर्द में डूबा हुआ जब मैं अस्‍पताल में पहुंचा तो मुझे अहसास हुआ कि मेरा अस्‍पताल लॉर्ड्स स्‍टेडियम के ठीक सामने है. मैंने मुस्‍कुराते हुए विवियन रिचर्ड्स का पोस्‍टर देखा. इस हॉस्‍पिटल में मेरे वॉर्ड के ठीक ऊपर कोमा वॉर्ड है. मैं अपने अस्‍पताल के कमरे की बालकनी में खड़ा था. इस बात ने मुझे हिला कर रख दिया. जिंदगी और मौत के खेल के बीच मात्र एक सड़क है. एक तरफ अस्‍पताल, एक तरफ स्‍टेडियम.' उन्‍होंने लिखा, 'मेरे अस्‍पताल की इस लोकेशन ने मुझे हिला कर रख दिया. दुनिया में बस एक ही चीज निश्चित है, अनिश्चि‍तता. मैं सिर्फ अपनी ताकत को महसूस कर सकता था और अपना खेल अच्‍छी तरह से खेलने की कोशिश कर सकता था.'


इरफान ने आगे लिखा कि इस सब ने मुझे अहसास कराया कि मुझे परिणाम के बारे में सोचे बिना ही खुद को समर्पित करना चाहिए और विश्‍वास करना चाहिए, यह सोचे बिना कि मैं कहां जा रहा हूं, आज से 8 महीने, या आज से चार महीने, या दो साल... अब चिंताओं ने बैक सीट ले ली है और अब धुंधली सी होने लगी हैं.. पहली बार मैंने जीवन में महसूस किया है कि 'स्‍वतंत्रता' के असली मायने क्‍या हैं.'