नई दिल्ली: मशहूर गीतकार और शायर जावेद अख्तर 'पद्मावती' की कहानी को ऐतिहासिक नहीं मानते. उन्होंने कहा कि इसकी कहानी उतनी ही नकली है, जितनी सलीम और अनारकली की. इसका इतिहास में कहीं भी उल्लेख नहीं है. उन्होंने सलाह दी है कि अगर लोगों को वाकई इतिहास में अधिक रुचि ही है, तो इन फिल्मों की बजाए इतिहास गंभीर किताबों से समझाना चाहिए. जावेद साहब ने एक सवाल के जवाब में कहा, 'मैं इतिहासकार तो हूं नहीं, मैं तो जो मान्य इतिहासकार हैं उनको पढ़कर आपको ये बात बता सकता हूं.'


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एक टीवी डिबेट का हवाला देते हुए जावेद अखतर ने कहा, 'टीवी पर इतिहास के एक प्रोफेसर को सुन रहा था. वह बता रहे थें कि 'पद्मावती' की रचना और अलाउद्दीन खिलजी के समय में काफी फर्फ था. जायसी ने जिस वक्त इसे लिखा उस वक्त से खिलजी के शासनकाल में करीब 200 से 250 साल का फर्क था. इतने साल में जब तक कि जायसी ने पद्मावती नहीं लिखी, कहीं रानी पद्मावती का जिक्र ही नहीं है.'


जावेद अख्तर ने कहा, 'उस दौर (अलाउद्दीन के) में इतिहास बहुत लिखा गया. उस जमाने के सारे रिकॉर्ड भी मौजूद हैं, लेकिन कहीं पद्मावती का नाम नहीं है. अब मिसाल के तौर पर जोधा-अकबर पिक्चर बन गई. जोधाबाई 'मुगल-ए-आजम' में भी थीं. तथ्य है कि जोधाबाई, अकबर की पत्नी नहीं थी, अब वो किस्सा महशूर हो गया. मगर हकीकत में अकबर की पत्नी का नाम जोधाबाई नहीं था, कहानियां बन जाती हैं उसमें क्या है.'


नई पीढ़ी को इतिहास की सलाह देते हुए जावेद अख्तर ने कहा, 'फिल्मों को इतिहास मत समझिए और इतिहास को भी फिल्म से मत समझिए. हां, आप गौर से फिल्में देखिए और आनंद लिजिए, इतिहास में रुचि है, तो गंभीरता से इतिहास पढ़िए, तमाम इतिहासकार हैं उन्हें आप पढ़ सकते हैं.'


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(इनपुट आईएएनएस से भी)