Johnny Lever Struggle: यूं तो हिंदी सिनेमा में कॉमेडियन या हंसी के बेताज बादशाहों की कमी नहीं रही. हर दौर में कोई ना कोई ऐसा महारथी हुआ जिसके नाम से चेहरे खिलखिला उठे. लेकिन हम बात करेंगे खासतौर से 90 के दशक में आकर छाए एक ऐसे कलाकार की जिसकी तरफ से हंसी की भरपूर डोज देने का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है. 40 साल हो चुके हैं उन्हें इंडस्ट्री में और ये चार दशकों के बाद भी वो हिट ही नहीं सुपरहिट हैं. हम बात कर रहे हें किंग ऑफ कॉमेडी जॉनी लीवर (Johnny Lever) की. 


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1982 में हुई थी करियर की शुरूआत
कहा जाता है कि 1982 में जॉनी लीवर ने अपने करियर का आगाज किया था. फिल्म का नाम था दर्द का रिश्ता. हालांकि स्क्रीन पर अपनी पहचान बनाने में उन्हें एक लंबा वक्त लगा. उन्हें असली नेम और फेम मिला 90 के दशक में जब एक के बाद एक हर दूसरी फिल्म में जॉनी लीवर नजर आने लगे. वो स्क्रीन पर आते और लोग हंसने लगते. देखते ही देखते वो छा गए और हर किसी की पहली पसंद बन गए. लेकिन सड़क से स्क्रीन तक का सफर जॉनी लीवर के लिए कतई आसान नहीं था. 
जॉनी लीवर ने भी अपने जीवन में खूब उतार चढ़ाव देखें और स्ट्रगल किया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब वो सातवीं में थे तभी उन्हें आर्थिक तंगी के चलते स्कूल छोड़ना पड़ा था. उसके बाद उन्होंने सड़कों पर पेन बेचने का काम शुरू किया. उस वक्त वो बॉलीवुड सुपरस्टार्स की मिमिक्री करते हुए पेन बेचते थे.


जॉनी लीवर नहीं था असली नाम
जी हां...भले ही आज पूरी दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती है लेकिन ये उनका असली नाम नहीं था. बल्कि इसके पीछे भी दिलचस्प कहानी है. कहा जाता है कि जॉनी लीवर के पिता देश की बड़ी कंपनी हिंदुस्तान लीवर में काम करते थे और ऑफिस के स्पेशल कार्यक्रमों में बॉलीवुड एक्टर्स की मिमिक्री परफॉर्म किया करते थे. तब वहां के लोगों ने उनका नाम कंपनी के नाम पर जॉनी लीवर रख दिया. वैसे उनका असली नाम जॉन प्रकाश राव जनुमाला है.