Mission Impossible 7 Movie Review: टॉम क्रूज की मिशन इम्पॉसिबल फ्रेंजाइजी की नई फिल्म ‘मिशन इम्पॉसिबलः डेड रेकनिंग-पार्ट 1’ सिनेमाघरों में आ गई है. 27 साल में यह सातवीं किश्त है. नए और पुराने का कॉकटेल कितना मादक हो सकता है, टॉम क्रूज को उनके नए मिशन पर देखकर आप समझ जाएंगे. दुनिया में अब बात सिर्फ परमाणु हथियारों के खतरे की नहीं है. इंसानियत के लिए पैदा हुए खतरों में आर्टिफिशियल इंटिलेजेंस (एआई) भी जुड़ गया है. शायद यह ज्यादा बड़ा खतरा है. अब अगर दोनों खतरे मिल जाएं तो दुनिया का क्या होगाॽ नई कड़ी में इम्पॉसिबल मिशन फोर्स (आईएमएफ) के सामने अब यही सबसे बड़ी चुनौती है कि हथियारों की चाबी गलत हाथों में न पड़ जाए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एक्शन-थ्रिल का संतुलन
ऐसा नहीं है कि मिशन इम्पॉसिबल 7 की कहानी में कोई बेहद नयापन या अनूठापन है. लेकिन बात यह है कि इसे खूबसूरती से लिखा गया है. इसका निर्देशन कसावट भरा है. एक्शन सीन नए और कहीं-कहीं सांस रोक देने वाले हैं. कैमरावर्क एक पल को भी पर्दे से ध्यान नहीं भटकने देता. एक्टर शानदार हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी को अच्छा सपोर्ट देता है. वीएफएक्स चीजों और घटनाओं को रीयल बनाते हैं. इतना सब कुछ एक साथ सही ढंग से आप बॉलीवुड फिल्मों में नहीं पा सकते. फिल्म एक्शन और थ्रिल का संतुलन बनाते हुए लगातार आगे बढ़ती है.


दुनिया की नई चाबी
फिल्म की कहानी आईएमएफ के मिशन लीड करने वाले ईथन हंट (टॉम क्रूज) को मिली नई जिम्मेदारी के साथ शुरू होती है. दुनिया में एक चाबी है, जिसके दो हिस्से हैं. अगर दोनों मिल जाएं तो वह चाबी उस दरवाजे को खोल देगी, जहां खतरनाक हथियार रखे हैं. दोनों चाबियां अलग-अलग लोगों के पास हैं, जिन्हें एक सौदागर हासिल करना चाहता है. ईथन हंट को अब इन सबको खोजना है और चाबी खुद हासिल करनी है. लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि दुनिया के कई देश इस चाबी को हथियाना चाहते हैं. यहीं ईथन हंट और उसकी टीम को नए दुश्मन आर्टिफिशिल इंटिलेजेंस (एआई) को भी मात देती है, जो उनके मिशन की पल-पल की खबर रखता है.



ब्रेक नहीं बीच में
इस फिल्म में जहां तक विलेन की बात है, तो ऐसा शत्रु है जो हर कहीं है और कहीं नहीं हैं. यानी वह एआई, जिसकी रेंज से अब कोई बाहर नहीं है. पूरी कहानी को इस तरह से बुना है कि आप लगातार सारी चीजों को पर्दे पर एक साथ महसूस करते हैं. आर्टिफिशिल इंटिलेजेंस, मानवता को नष्ट करने वाले हथियारों का खतरा, हथियारों तक पहुंचने वाली चाबियों के दो हिस्से, ईथन हंट की इन चाबियों को हासिल करने की कोशिशें. इन कोशिशों में थ्रिल और एक्शन बरकरार रहता है. ढाई घंटे से भी लंबी कहानी, छोटा-सा भी ब्रेक नहीं लेती. लिखने वाले दर्शक के दिमाग से खेलते हैं. जो चीज पर्दे पर दिखती है, दो मिनट बाद ही उसे देखने का नजरिया वे पलट देते हैं. दर्शक चौंकते हैं.


बाकी बचे सवाल
‘मिशन इम्पॉसिबलः डेड रेकनिंग-पार्ट 1’ का मूल सवाल तो यह है कि क्या ईथन हंट उस चाबी को ढूंढ कर अपने कब्ज में ले सकेगा. लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हो जाती. असल में, यह तो हंट को भी नहीं मालूम कि उस चाबी से क्या खुलने वाला है और वे खतरनाक हथियार किस जगह रखे हुए हैं! यह बात दुनिया में सिर्फ एक आदमी जानता है. क्या वह आदमी ईथन हंट के हाथों मारा जा चुका हैॽ यह सब राज पार्ट-2 में खुलेंगे, जो 2024 में रिलीज होगा. टॉम क्रूज फिल्म को अपने कंधे पर लेकर चले हैं और अंगुलियों पर गिनने लायक सीन आपको यहां मिलेंगे, जिनमें वह नजर नहीं आते.


बड़े पर्दे का सिनेमा
निर्देशक क्रिस्टोफर मैकक्वेरी की मिशन इम्पॉसिबल सीरीज की यह तीसरी फिल्म है और उन्होंने पूरी पकड़ बनाए रखी है. चाहे कार के एक्शन सीन हों या फिर बाइक के, लंबे होने के बावजूद वे समां बांधे रहते हैं. उनमें आपको नयापन भी नजर आएगा. इसी तरह आखिर में रेल वाला लंबा एक्शन सीन देखने वाले की सांसें अटकाए रखता है. रेल के अंदर और बाहर लगातार बहुत कुछ घटता रहता है. चाबी के लिए एथन हंट को छकाने वाली ग्रेसी के रूप में हेले एटवेल का परफॉरमेंस जबर्दस्त है. एथन हंट की नई पार्टनर के रूप में वह याद रह जाती हैं. बढ़िया एक्शन दृश्यों वाली यह फिल्म बड़े पर्दे पर देखने लायक है. ऐसे समय जबकि बॉलीवुड से लंबे समय से ऐसी कोई फिल्म नहीं आई है, इस फिल्म को देखने आप थिएटर में जा सकते हैं. फिल्म का हिंदी डब वर्जन भी रिलीज किया गया है. यह पैसा वसूल फिल्म आपको निराश नहीं करेगी. आपको लगेगा कि हां, फिल्म देखी है. बस, इसमें नाच-गाना नहीं मिलेगा.


निर्देशकः क्रिस्टोफर मैकक्वेरी
सितारे: टॉम क्रूज, हेले एटवेल, विंग रहेम्स, साइमन पेग, रेबेका फर्ग्यूसन, वैनेसा किर्बी
रेटिंग****