मूवी रिव्यू एयरलिफ्ट: साहस और जीत की असली कहानी में अक्षय ने दिखाया अभिनय का अद्भत जलवा
बेबी, हॉलीडे और स्पेशल छब्बीस फिल्मों के बाद अक्षय कुमार बॉलीवुड में इस तरह की भूमिकाओं के पर्याय बन गए है। इस तरह की कोई भी विषय पर जब फिल्म बननी होती है तो किसी भी निर्देशक के जेहन में सबसे पहला नाम अक्षय का आता है। अक्षय खुद कह चुके हैं कि उन्हें इस तरह की रियल स्टोरी वाली फिल्मों में काम करना बेहद पसंद है। ऐसी भूमिकाएं उन्हें रास भी आती है और उनकी ऐसी फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर खूब धमाल मचाती है।
नई दिल्ली: बेबी, हॉलीडे और स्पेशल छब्बीस फिल्मों के बाद अक्षय कुमार बॉलीवुड में इस तरह की भूमिकाओं के पर्याय बन गए है। इस तरह की कोई भी विषय पर जब फिल्म बननी होती है तो किसी भी निर्देशक के जेहन में सबसे पहला नाम अक्षय का आता है। अक्षय खुद कह चुके हैं कि उन्हें इस तरह की रियल स्टोरी वाली फिल्मों में काम करना बेहद पसंद है। ऐसी भूमिकाएं उन्हें रास भी आती है और उनकी ऐसी फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर खूब धमाल मचाती है।
शुक्रवार को रिलीज हुई अक्षय की फिल्म एयरलिफ्ट रियल स्टोरी पर आधारित फिल्म है। यह फिल्म 1990 में ईराक-कुवैत युद्ध में फंसे 1,70000 भारतीयों की असुरक्षा और निकासी की सच्ची कहानी है। राजा कृष्णा मेनन के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म अगस्त 1990 में कुवैत में इंडियन एयरफोर्स के सबसे बड़े ऑपरेशन की कहानी है जिसमें जवानों ने लगातार ऑपरेशन के जरिए 1,70000 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की थी।
फिल्म में यह दिखाया गया है कि सद्दाम हुसैन के राज में इराक ने उस समय कुवैत पर अचानक धावा बोल दिया था। उस दौरान कुवैत में कई भारतीय भी फंसे हुए थे। रंजीत कात्याल कुवैत (अक्षय कुमार) का बड़ा नाम था। और अपनी सूझ-बूझ से उसने कुवैत में फंसे 1,70,000 भारतीयों की जान बचाई थी।
एयरलिफ्ट की कहानी शुरू होती है रंजीत कटयाल (अक्षय कुमार) से जो कुवैत के जानेमाने बिजनेस मैन हैं। रंजीत कई वर्षों से कुवैत में रहते हैं और वो खुद को हिन्दुस्तानी नहीं बल्कि कुवैती मानने लगते हैं। रंजीत के परिवार में उनकी पत्नी अमृता (निमरत कौर) और एक छोटी सी बेटी है। इनकी जिंदगी तब बदल जाती है जब इराक, कुवैत पर हमला बोल देता है। रातों रात लोग बेघर हो जाते हैं और उनका सब कुछ बर्बाद हो जाता है। ऐसे हालत में रंजीत कटयाल हर भारतीय को सुरक्षित हिंदुस्तान लेकर जाने का फैसला करते हैं।
वहां मौजूद भारतीय मूल के लोगों को युद्ध के दौरान भारत वापस भेजे जाने की कवायद शुरू हो जाती है। रंजीत कटियाल खुद ना जाकर वहां मौजूद 1 लाख 70 हजार भारतीयों को देश वापसी कराने पर ध्यान देता है, इस दौरान कई घटनाएं भी घटती हैं जो आपको चौंकाती है, हैरान करती है, और फिल्म के दौरान बांधे रखती है।
फिल्म की स्क्रिप्ट दमदार है जो दर्शकों को बांधे रखती है। फिल्म के ज्यादातर हिस्सों के संवाद शानदार है। फिल्म कुछ जगहों को छोड़कर पूरी तरह से कसावट भरी है। फिल्म का सेकंड हाफ फास्ट और दिलचस्प है, जो आपको फिर से बांधे रखता है। फिल्म में एक्शन को भी बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है।
अक्षय कुमार ने एक बार फिर खुद को साबित किया है। उन्होंने अपने किरदार के लिए भरसक प्रयास किया है। क्योंकि वह इस तरह की फिल्मों काम करना पसंद करते है। इसलिए अमूमन अक्षय ऐसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय कर दर्शकों की पूरी वाहवाही बटोर लेते है। उनकी पत्नी के रूप में निमरत कौर ने भी अच्छा काम किया है। एक हाई प्रोफाइल लेकिन अपने पति और बेटी के लिए चिंतित महिला के किरदार को निम्रत ने बड़े अच्छे से निभाया है। फिल्म में बाकी कलाकारों का भी काम अच्छा है। कुल मिलाकर और अक्षय और निमरत की अदाकारी इस फिल्म की जान है।
फिल्म के गाने तो अच्छे हैं लेकिन वो कहानी में उस हिसाब से फिल्म में फिट नहीं बैठते। एक तरफ इतने हिंदुस्तानी कुवैत में फंसे हुए हैं तो दूसरी तरफ अक्षय कुमार को अपनी पत्नी की याद आने लगती है और बैकग्राउंड में गाना बजने लगता है जो थोड़ा खटकता है।
कुल मिलाकर यह फिल्म देखने लायक है। क्योंकि यह फिल्म एक रियल स्टोरी पर बनी है और उसे फिल्माया भी बेहतर अंदाज में गया है इसलिए यह फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है। आप अगर अक्षय कुमार के दीवाने हैं, असली घटनाओं पर आधारित फिल्में देखना पसंद है, तो एक बार 'एयरलिफ्ट' जरूर देख सकते हैं।