Diwali In Bollywood: यूं तो बॉलीवुड की फिल्मों में त्यौहारों को राइटर-डायरेक्टरों ने अपने-अपने हिसाब से जगह दी है, लेकिन कुछ बातें पर्दे पर ऐसे दर्ज हुईं कि लोग उन्हें बरसों बाद भी भूल नहीं पाते हैं. हिंदी की क्लासिक फिल्म शोले (1975) में गब्बर सिंह (अमजद खान) ने रामगढ़ के लोगों पर हमले से पहले पूछा था कि होली कब है... कब है होलीॽ लेकिन इस फिल्म का रीमेक बना कर बदनाम होने वाली निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म सब उलट-पुलट दिया था. फिल्म राम गोपाल वर्मा की आग (2007) में रामू ने गब्बर सिंह को न केवल बब्बन सिंह बना दिया था, बल्कि माहौल को बल्कि काफी कुछ बदल दिया था.


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काली और उदास दीवाली
शोले में जैसे होली के दिन गब्बर का रामगढ़ पर हमला करने का सीन यादगार है, उसी तरह राम गोपाल वर्मा की आग में बब्बन सिंह बने अमिताभ अपने गिरोह के लोगों से पूछते हैं कि ‘दीवाली कब हैॽ कब है दीवालीॽ’ राम गोपाल वर्मा की कहानी में रामगढ़ का नाम कालीगंज है. एक तरफ शोले में होली पर गब्बर के हमले का सीन बहुत महत्वपूर्ण और आकर्षक है, जिसमें बताया गया होली का गाना आज भी बजता है. मगर दूसरी तरफ राम गोपाल वर्मा की आग में दीवाली से जुड़ा पूरा ही सीन बहुत फीका है. यहां पूरी दीवाली रोशनी का त्यौहार होने के बावजूद काली और उदास नजर आती है. इस दीवाली की रात में कालीगंज पर बब्बन सिंह के लोग हमला करते हैं. 



अमिताभ ने कहा, गलती हुई
निर्माता-निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने बड़ी उम्मीदों के साथ 2007 में यह फिल्म बनाई थी. जिसमें अमिताभ बच्चन के साथ अजय देवगन,  मोहनलाल, प्रशांत राज सचदेव, सुष्मिता सेन, प्रियंका कोठारी, सुशांत सिंह, राजपाल यादव जैसे चेहरों को लिया था. मगर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर न केवल बुरी तरह से फ्लॉप हुई, बल्कि इस फिल्म से दर्शकों ने राम गोपाल वर्मा को एक तरह से खारिज कर दिया और उनका करियर उतार पर आ गया. लोग इतने नाराज हुए कि किसी ने इसे हिंदी की अब तक की सबसे खराब फिल्म कहा तो कुछ समीक्षकों ने लिखा कि इस रीमेक ने हिंदी सिनेमा की सबसे सुंदर फिल्म शोले को नष्ट करने का अपराध किया है. मिलेनियम के सितारे कहे जाने वाले महानायक अमिताभ बच्चन ने भी कहा कि यह फिल्म करना उनकी भूल थी.



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