नई दिल्ली: संसद के शून्यकाल में जया बच्चन (Jaya Bachchan) का बॉलीवुड को लेकर दिया बयान काफी तूल पकड़ता जा रहा है. जहां जया बच्चन के बयान के बाद अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने ट्वीट करके अपनी भड़ास निकाली तो वहीं अब सांसद और अभिनेता रवि किशन (Ravi Kishan) ने भी जया बच्चन पर पलटवार किया है. 


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रवि किशन ने कहा है कि उन्हें जया बच्चन से ये उम्मीद नहीं थी. वह तो सोच रहे थे कि उन्हें समर्थन मिलेगा. रवि किशन ने कहा, 'जया जी ने मेरा वक्तव्य सुना ही नहीं, हमें इस इंडस्ट्री को बचाना है. दुनिया के सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री को एक प्लान के तहत खत्म किया जा रहा है.' 


'हम ये आवाज उठा रहे हैं तो में चाहता था की मेरे सीनियर्स (हालांकि उनकी पार्टी अलग है) पर मेरे देश के युवाओं को खोखला नहीं कर सकते, में खोखला नहीं होने दूंगा. चाहे मेरी जान चली जाए. कई हजार करोड़ का ये बिजनेस है, कल मैंने आवाज उठायी और मेरा सपोर्ट करने की जगह मुझे जलील किया गया.' 


उन्होंने आगे कहा, 'मैं वही हूं जिसने कहा था कि जिंदगी झंड बा फिर भी घमंड बा, जब मेरे पास एक फिल्म नहीं थी. मैं रेंग कर ऊपर आया हूं मैंने थाली में छेद नहीं किया है, एक साधारण पुरोहित का बेटा हूं और बिना किसी सपोर्ट पर आज में इस मुकाम पर पहुंचा हूं, मैंने 650 फिल्में की हैं, मैं योगी जी को दिल से धन्यवाद देता हूं.


जया बच्चन ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि दुख की बात यह है कि कुछ लोग जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद करते हैं.


जया ने कहा कि केवल कुछ लोगों की वजह से आज मनोरंजन उद्योग आलोचना का शिकार हो रहा है जो हर दिन करीब पांच लाख लोगों को प्रत्यक्ष और करीब 50 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार देता है.


जया ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कुछ ऐसे हालात हुए कि मनोरंजन जगत सोशल मीडिया पर बुरी तरह आलोचना का शिकार होने लगा और उसे 'गटर' कहा जाने लगा. 'यह सही नहीं है. ऐसी भाषा पर रोक लगाई जानी चाहिए .'


उन्होंने कहा, 'देश पर आने वाले किसी भी संकट के दौरान उसकी सहायता करने में यह उद्योग कभी पीछे नहीं रहा. राष्ट्रीय आपदा के दौरान इस उद्योग ने हरसंभव मदद की है. यहां अत्यधिक कर देने वाले लोग रहते हैं. इस उद्योग ने अपना एक नाम और पहचान अपने बूते हासिल किया है. '


जया ने कहा कि कल दूसरे सदन में एक सदस्य ने फिल्म उद्योग के खिलाफ बोला, जो पीड़ादायी था. उन्होंने कहा 'इस उद्योग के खिलाफ आज जिस भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है वह पूरी तरह गलत है. उस पर रोक लगनी चाहिए.'


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