Scam 2003 Review: मुबारक हो, बाप बन गए आप... स्टैंप पेपर पैदा हुआ है; घोटाले की इस कहानी में कई बातें हैं साफ
Scam 2003-The Telgi Story Review: जनता प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष, दोनों रूप में टैक्स भरती है. ताकि उस पैसे से देश का विकास हो. लेकिन अक्सर विकास के रास्ते में बड़े-बड़े घपलों-घोटालों के गड्ढे पैदा हो जाते हैं. स्कैम 2003 में आप देश के इतिहास का एक बड़ा आर्थिक घोटाला देख सकते हैं...
Scam 2003 Web Series Review: बेरोजगारी घोटालेबाज पैदा करती है. सोनी लिव पर स्कैम 1992 की सफलता के बाद नई वेब सीरीज आई है, स्कैम 2003. बीते तीन दशक में देश की अर्थव्यवस्था, दुनिया के लिए खुलने के बाद के दौर की यह कहानी अब्दुल करीम तेलगी (Abdul Karim Telgi) की है. जो पैसा कमाना नहीं चाहता, बल्कि पैसा बनाना चाहता है. जैसे-तैसे पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी न मिलने पर वह ट्रेन में फल बेचकर मां और भाई का पालन-पोषण करता है. लेकिन उसकी जुबान और मुस्कान बहुत मीठी है. इसी से उसकी किस्मत पलटती है. लेकिन देश की किस्मत में 30 हजार करोड़ रुपये का स्कैम लिख जाती है.
अपना अवैध धंधा
स्टैम्प पेपर वह कागज है, जिस पर लिखा पत्थर की लकीर होता है. स्कैम 2003 में तेलगी (गगन देव रियार) पहले ब्लैकमार्केट में इसका बिजनेस करता है और फिर खुद ही यह कागज अवैध रूप से छापने लगता है. साथ-साथ कैसे वह सरकारी सिस्टम के समानांतर अपना सिस्टम बनाता है, यही स्कैम 2003 में दिखाया गया है. तेलगी की यह यात्रा रोचक और देखने योग्य है. हाशिये पर गुजर-बसर करने वाला एक तेज दिमाग व्यक्ति कैसे सिस्टम के माथे पर अपना ऐसा हस्ताक्षर कर देता है कि व्यवस्था चलाने वालों के सिर शर्म से झुक जाएं. पुलिस, राजस्व विभाग से लेकर राजनीति तक वह अपने अंदाज में साध लेता है और बताता है कि पैसे के आगे सब पानी भरते हैं.
क्या यह सच है
निर्देशक तुषार हीरानंदानी ने रोचक ढंग से अब्दुल करीम तेलगी की कहानी कही है. वह उसे धीरे-धीरे ऊपर उठते दिखाते हैं. कैसे वह जोखिम लेता है और निडर होकर ईमानदारों को भी भ्रष्ट बना देता है. जिस व्यक्ति की मेहनत और लगन को व्यवस्था-सत्ता नहीं पहचान पाती, उसे तेलगी पहचानता है. वह अपनी शातिर सोच से देश के हित में काम करने वाले को अपने पक्ष में कर लेता है. सीरीज में नासिक की वह सरकारी प्रिंटिंग प्रेस उसके निशाने पर आ जाती है, जहां स्टैंप पेपर छपते हैं. आप सोच में पड़ जाते हैं कि क्या वाकई यह सच है! यह सीरीज पत्रकार-लेखक संजय सिंह की तेलगी पर लिखी किताब पर आधारित है.
बाकी हैं अभी पांच
तेलगी की कहानी कर्नाटक के छोटे से इलाके खानापुर से करीब पांच सौ किलोमीटर दूर मुंबई से बीच ही नहीं फैली है. जब वह खुद स्टैंप पेपर छापने लगता है तो फिर 16 राज्यों में अपना जाल फैला लेता है. हालांकि स्कैम 2003 में उसे इतना फैला हुआ नहीं पाएंगे क्योंकि अभी सिर्फ पहले पांच एपिसोड रिलीज किए गए हैं. जिनका औसत समय लगभग 50 से 55 मिनट प्रति एपिसोड है. सत्ता-व्यवस्था के जंगल में चूहे की तरह छुपकर रहने-जीने वाला तेलगी अचानक जब फेमस हो जाता है, तो स्कैम 2003 की कहानी में ब्रेक आ जाता है. हीरानंदानी ने सीरीज में तेलगी की कहानी के साथ उसकी मानसिकता के भी खूबसूरती से उभारा है.
सामने दिखता तेलगी
यहां आपको तेलगी की महत्वाकांक्षाओं के साथ उनके मन के डर, उसकी डेयरिंग के साथ कमजोरियां भी साफ नजर आती हैं. एक तरफ तो वह फैमिली मैन है और दुबई में काम छोड़कर परिवार के लिए इंडिया लौटता है. मगर दूसरी तरफ पैसे के साथ उसके भीतर क्रूरता और वासना भी पनपती है. गगन देव रियार ने तेलगी के रोल को बहुत खूबसूरती से निभाया है. उन्हें देखकर आपको महसूस नहीं होता कि कोई कलाकार एक्टिंग कर रहा है. सामने आपको तेलगी दिखता है, जिसने देश की अर्थव्यवस्था में महाघोटाले को अंजाम दिया. सीरीज में आपको कई जाने-पहचाने चेहरे नजर आते हैं, लेकिन कोई बहुत बड़ा नाम नहीं है. परंतु सब अपने किरदार में फिट हैं. हंसल मेहता सीरीज के क्रिएटिव डायरेक्टर हैं.
आगे का इंतजार
अगर अर्थव्यवस्था में आपकी रुचि नहीं भी है, तो तेलगी की कहानी आपको निराश नहीं करेगी. इससे पहले स्कैम 1992 में हर्षद मेहता के शेयर घोटाले की कहानी ने भी व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर किया था. आज का दौर बैंकों से कर्ज लेकर उन्हें धोखा देने के घोटालों का है. लोग ऐसा कैसे कर पाते हैं, यह शायद आने वाले दिनों में किसी वेब सीरीज में दिखे. लेकिन यह जानना जरूरी है कि देश में कैसे कुछ लोगों की निजी कमजोरियां आर्थिक घोटालों के लिए दरवाजे खोलती हैं. तेलगी की कहानी अभी पूरी नहीं हुई है. इन पांच एपिसोड्स को देखने के बाद आप आगे की बाकी कड़ियों का इंतजार जरूर करेंगे.
निर्देशकः तुषार हीरानंदानी
सितारे: गगन देव रियार, तलत अजीज, समीर धर्माधिकारी, नंदू माधव, सना अमीन शेख, शशांक केतकर
रेटिंग***1/2