PM Modi Kuwait Visit: पीएम मोदी जा रहे कुवैत... अरब देशों से क्यों लगातार मज़बूत हो रहे भारत के रिश्ते? क्या है बड़ी वजहें
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PM Modi Kuwait Visit: पीएम मोदी जा रहे कुवैत... अरब देशों से क्यों लगातार मज़बूत हो रहे भारत के रिश्ते? क्या है बड़ी वजहें

India Kuwait Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी खास गल्फ डिप्लोमेसी के तहत कुवैत की ऐतिहासिक यात्रा पर जा रहे हैं. पीएम मोदी की यह दो दिवसीय यात्रा चार दशकों से भी ज्यादा समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा होगी. भारत की ओर से पिछली बार साल 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत की यात्रा की थीं. पीएम मोदी की कुवैत यात्रा अरब देशों में उनका चौदहवां दौरा होगा.

PM Modi Kuwait Visit: पीएम मोदी जा रहे कुवैत... अरब देशों से क्यों लगातार मज़बूत हो रहे भारत के रिश्ते? क्या है बड़ी वजहें

Why Kuwait Important For India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 21-22 दिसंबर को होने वाली कुवैत की दो दिवसीय यात्रा खाड़ी क्षेत्र में भारत की कूटनीतिक पहुंच में एक और मील का पत्थर साबित होने वाला है. नई दिल्ली कुवैत को भी अपने विस्तारित पड़ोस का हिस्सा मानता है. यह चार दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा होगी. भारत की ओर से पिछली बार प्रधानमंत्री की कुवैत की यात्रा 1981 में हुई थी. तब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं.
 
इंदिरा गांधी और पीएम मोदी की यात्रा के बीच हामिद अंसारी गए थे कुवैत

पीएम मोदी के मध्य पूर्व के तेल समृद्ध देश कुवैत की यात्रा पर जाने से 43 साल पहले 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वहां का दौरा किया था. वहीं, साल 2009 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया था. वह किसी भारतीय राजनेता का इंदिरा गांधी के दौरे के बाद सबसे अहम कुवैत दौरा था. पीएम मोदी की कुवैत यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों, खासकर ऊर्जा, व्यापार और श्रम सहयोग को और ज्यादा मजबूत करने की उम्मीद है. साथ ही खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि होगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुवैत दौरे से पहले दोनों देशों ने कीं अहम तैयारियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुवैत दौरे से पहले दोनों देशों के विदेश मंत्री एक-दूसरे देश की यात्राएं करके इस अहम दौरे के लिए मंच तैयार कर चुके हैं. विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी की कुवैत यात्रा की घोषणा करते हुए कहा था कि पीएम मोदी कुवैत के शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा करेंगे और उस खाड़ी देश में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे. हालांकि, भारत और कुवैत के राष्ट्र प्रमुखों के दौरे सीमित रहे हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच मज़बूत कारोबारी और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं. अरब देशों से भारत के मजबूत रिश्तों की कई खास वजहें हैं.

1961 तक कुवैत में चलता था भारतीय रुपया, तेल मिलने से पहले से कारोबार

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कुवैत में तेल के भंडार मिलने से पहले ही भारत और कुवैत के बीच समुद्री रास्ते से कारोबार होता था. ऐतिहासिक रूप से दोनों देशों के बीच दोस्ती का रिश्ता रहा है. साल 1961 तक तो कुवैत में भारत का रुपया चलता था. इसी साल भारत और कुवैत के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. भारत ने शुरुआत में कुवैत में ट्रेड कमिश्नर नियुक्त किया था. भारत और कुवैत के बीच राजनेताओं के उच्च स्तरीय दौरे होते रहे हैं. 1965 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन ने कुवैत का दौरा किया था. 

कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या ने पीएम मोदी को दिया था न्यौता

कुवैत की टॉप लीडरशिप भी भारत आती रही है. साल 2013 में कुवैत के प्रधानमंत्री शेख जाबिर अल मुबारक अल हमाद अल सबाह ने भारत का दौरा किया था. उनसे पहले साल 2006 में कुवैत के तत्कालीन अमीर शेख सबाह अल अहमद अल जाबेर अल सबाह भारत आए थे. कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या इसी महीने 3-4 दिसंबर को भारत आए. कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या ने भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत आने का न्यौता दिया था. 

दोनों देशों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने के लिए साझा सहयोग कमीशन (जेसीसी)

कुवैती विदेश मंत्री की इसी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने के लिए साझा सहयोग कमीशन (जेसीसी) भी स्थापित किया गया था. जीसीसी में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं. इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त 2024 में कुवैत का दौरा किया था. अब खुद पीएम मोदी अपनी गल्फ डिप्लोमेसी के तहत कुवैत के दौरे पर जा रहे हैं. आइए, जानते हैं कि भारत के लिए अरब मुल्कों के अहम बनने की बड़ी वजहें क्या-क्या हैं?

ऊर्जा सुरक्षा, सहयोग और कारोबार पर आधारित हैं भारत और मध्य पूर्व देशों के रिश्ते 

भारत और मध्य पूर्व के देशों के रिश्ते ऊर्जा सुरक्षा, सहयोग और कारोबार पर आधारित हैं. साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान बढ़ाने की कोशिश की है. इसके साथ ही उन्होंने मध्यपूर्व के देशों पर ख़ास फोकस किया है. पीएम मोदी अरब देशों के चौदहवें दौरे के रूप में कुवैत की ये यात्रा पर जा रहे हैं. इससे पहले वह सात बार संयुक्त अरब अमीरात, दो-दो बार क़तर और सऊदी अरब और एक-एक बार ओमान और बहरीन का दौरा कर चुके हैं. जबकि पीएम मोदी से पहले अपने दस साल के कार्यकाल में मनमोहन सिंह सिर्फ तीन बार मध्य पूर्व के अरब देशों के दौरों पर गए थे. सिंह एक-एक बार क़तर, ओमान और सऊदी अरब गए थे. 

कुवैत के साथ ही लगभग सभी अहम अरब देशों के दौरे कर लेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत के दौरे के साथ ही लगभग सभी अहम अरब देशों के दौरे कर लेंगे. उनके शासनकाल में भारत मध्य पूर्व के साथ रिश्ते मज़बूत कर रहा है. भारतीय विदेश नीति में मध्य पूर्व के अरब देश सबसे अहम रणनीतिक और कूटनीतिक प्राथमिकता के रूप में सामने आए हैं. पीएम मोदी ने महज नजदीकी पड़ोसी देशों से ही नहीं बल्कि दूर के पड़ोसियों की तरफ़ भी दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. उन्होंने वैश्विक राजनीति के बदलते स्वरूप के हिसाब से उन्होंने भारतीय विदेश नीति को बदला है.

जहां तक कुवैत की बात है तो वहां क़रीब दस लाख भारतीय रहते हैं. वहीं, संयुक्त अरब अमीरात में क़रीब पैंतीस लाख और सऊदी अरब में क़रीब छब्बीस लाख भारतीय हैं. कुवैत में रहने वाले भारतीय सालाना क़रीब 4.7 अरब डॉलर भारत भेजते हैं. विदेश में रहने वाले भारतीय जो रकम भारत भेजते हैं, ये उनका 6.7 फ़ीसदी हिस्सा है. कुवैत ने भारत में क़रीब दस अरब डॉलर का निवेश भी किया है.

अपनी ईंधन ज़रूरतें पूरी करने के लिए अरब देशों पर निर्भर है भारत

हाल के वर्षों में रूस से अधिक तेल खरीदने के बावजूद अपनी ईंधन ज़रूरतें पूरी करने के लिए भारत आज भी मध्य पूर्व  के अरब देशों पर निर्भर है. भारत ने अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को सुरक्षित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कुवैत और क़तर के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत किया है. अकेले कुवैत ही भारत की क़रीब तीन प्रतिशत तेल ज़रूरत को पूरा करता है और भारत का छठा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है. दोनों देशों ने द्विपक्षीय रिश्ते और कारोबारी संबंध मज़बूत करने के लिए 26 समझौते और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं. साल 2023-24 के आंकड़ों के मुताबिक़, भारत और कुवैत के बीच सालाना क़रीब 10.47 डॉलर का कारोबार हुआ. इस कारोबार का अधिकतर हिस्सा कुवैत से भारत आने वाला तेल और अन्य ईंधन उत्पाद हैं.

अरब देशों की आर्थिक और हिंद महासागर में सामरिक शक्ति पर नजर

दुनिया भर में कुवैत, क़तर, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और बहरीन आर्थिक रूप से ताक़तवर देश हैं. हालांकि, इन देशों की आबादी कम है, लेकिन वैश्विक स्तर पर इनकी अलग आर्थिक ताक़त है. इसलिए, मध्य पूर्व को लेकर भारत की एक संतुलित नीति है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले कोई भारतीय प्रधानमंत्री संयुक्त अरब अमीरात नहीं गया था. आज भारत का यूएई के साथ मजबूत कारोबारी समझौता है. पीएम मोदी खुद दो बार सऊदी अरब गए और उन्होंने जी-20 में अरब देशों के नेताओं को बुलाया था. इसके अलावा, हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के नज़रिए और अरब देशों के साथ सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के मक़सद से भी भारत ने अरब देशों के साथ व्यावहारिक संबंध बनाया है.

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पर्यावरण, आतंकवाद और सुरक्षा जैसी साझा चुनौतियों से निपटने की कोशिश

वैश्विक स्तर पर पर्यावरण, आतंकवाद और सुरक्षा जैसी साझा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत बहरीन, यूएई और दूसरे अरब देशों के साथ सुरक्षा जानकारियों का आदान-प्रदान करता है. भारत ने अपने हित के लिए एक तरफ़ इजरायल के साथ और दूसरी ओर अरब देशों के साथ भी अच्छे सुरक्षा संबंध बनाकर रखा है. इस बीच, सऊदी अरब और इजरायल के राजयनिक संबंध बहाल कराने की पहल भी हुई है. उनके अब्राहम समझौतों का भी भारत को फ़ायदा पहुंच सकता है. गाजा में जारी युद्ध की वजह से एक बेहद अहम समझौता भारत-मध्यपूर्व-यूरोप कॉरिडोर पटरी से उतर गया, लेकिन भारत ने इजरायल को भी साथ लिया और मध्य पूर्व के अरब देशों के लिए भी हाथ बढ़ाया.

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अब मध्य पूर्व और भारत के रिश्तों के बीच अड़चन नहीं बन पा रहा पाकिस्तान

भारत और कुवैत समेत अरब देशों के बीच संबंधों की मजबूती के पीछे तमाम वजहों के बीच एक बड़ी वजह यह भी है कि पिछले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान कमज़ोर हुआ है. इसलिए अब पाकिस्तान मध्य पूर्व और भारत के रिश्तों के बीच कोई अड़चन नहीं बन पा रहा है. वहीं, मौजूदा वर्ल्ड ऑर्डर में भारत एक बहुत बड़ा बाज़ार और भरोसेमंद सहयोगी है. इसलिए अरब देश पाकिस्तान की बजाय अपने हितों को तरजीह देते हुए भारत के साथ दोस्ती बढ़ा रहे हैं.

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