नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्टर राजकुमार राव और एक्ट्रेस कृति खरबंदा की फिल्म 'शादी में जरूर आना' इस शुक्रवार को रिलीज हुई है. दोनों की एक साथ यह पहली फिल्म है. इससे पहले राजकुमार राव की इसी साल 'ट्रेप्ड', 'बरेली की बर्फी' और 'न्यूटन' रिलीज हुई है जिससे उनकी फैन फॉलोइंग काफी बड़ी है.


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वहीं कृति की यह तीसरी बॉलीवुड फिल्म है इससे पहले वह 'राज रीबूट' और 'गेस्ट इन लंडन' में काम कर चुकी हैं. 


डायरेक्टर : रत्ना सिन्हा
संगीत : आनंद राज आनंद
कलाकार : राजकुमार राव, कृति खरबंदा, गोविंद नामदेव


मिडल क्लास परिवार से जुड़ी है कहानी
कानपुर में रहने वाले मिश्रा परिवार अपने बेटे सतेंद्र (राजकुमार राव) की शादी के लिए लड़की ढूंढ रहे होते हैं. इसी दौरान उन्हें शुक्ला परिवार की बेटी कृति खरबंदा (आरती) पसंद आती है. जिससे मिलने के लिए वो अपने बेटे को उसके कॉलेज भेजते हैं. वहां हिचकिचाते हुए सत्तू और आरती की मुलाकात होती है. ढेर सारी बातें होती हैं. दोनों को लगता है जैसे एक दूसरे के लिए ही बने हैं. मुलाकातों का दौर बढ़ने लगता है. सबकी मर्जी से शादी तय हो जाती है. हालांकि, आरती के परिवार के पास दहेज देने के लिए उतने रूपए नहीं होते लेकिन फिर भी वो अपनी बेटी की खुशी के लिए शादी पक्की कर देते हैं. आरती पढ़ने में बहुत होशियार होती है. वहीं सत्तू यानी सतेंद्र क्लर्क की सरकारी नौकरी कर रहा होता है. आरती का सपना होता है कि वह ऑफिसर बनें और शादी के बाद भी नौकरी करे. सत्तू इस बात के लिए तैयार भी हो जाता है, लेकिन सत्तू की मां का कहना है की मिश्रा परिवार की बहू नौकरी नहीं कर सकती. खैर, शादी की रात आती है. सत्तू मिश्रा परिवार की बहू को लाने के लिए दूसरे शहर चल पड़ता है, लेकिन उसी दिन आरती का सिविल सर्विस का रिजल्ट आ जाता है. आरती का मेन्स क्लियर हो जाता है. उसे समझ नहीं आता कि वह क्या करे और वह शादी छोड़कर भाग जाती है. इसके बाद वह आईएएस बनती है लेकिन वह किस तरह से आईएएस बनती है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी. वहीं, सत्तू और उसका परिवार बेइज्जत होकर वापस बारात लेकर लौट आता है. कुछ साल यूं ही बीत जाते हैं, लेकिन उसके बाद आरती को घूस के आरोप में जेल भेजने की नौबत आ जाती है. तभी आता है कहानी में ट्विस्ट, लेकिन इसके बाद क्या होता है यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी. 


(स्क्रीनग्रैब)

दमदार है राजकुमार की एक्टिंग
राजकुमार राव की एक्टिंग के बारे में क्या कहना. लगातार उनकी एक्टिंग में निखार देखा जा रहा है. फिल्मों का चुनाव वह काफी देख-परख कर करते हैं. फिल्म में भी उनकी नैचुरल एक्टिंग है. कहीं भी किसी चीज का कोई ओवरडोज नहीं. फिल्म में राजकुमार राव ने छोटे शहर के एक टिपिकल शरीफ लड़के का रोल किया है. जो मां-बाबूजी का कहना मानता है. क्लर्क का पेपर क्लियर करके नौकरी भी लग जाती है. घरवालों के कहने से अरैंज शादी करता है. जिसको पसंद करके आता है, उससे प्यार भी कर लेता है. वहीं कृति खरबंदा ने भी बढ़िया एक्टिंग की है.


ठीक-ठाक है म्यूजिक
फिल्म का म्यूजिक ठीक-ठाक है. फिल्म के सभी गाने तो याद रहने वाले नहीं हैं लेकिन ज्यादा बुरे भी नहीं हैं. फिल्म में 'पल्लो लटके' का रीमेक भी है. यह गाना शायद आपको पसंद आ सकता है. हालांकि, फिल्म में कानपुर शहर का फ्लेवर है. हंसाने वाला ह्यूमर है. शादी के बैकग्राउंड में बजने वाले गाने भी कुछ हद तक ठीक हैं 


यह है फिल्म की खास बात
इस फिल्म के नाम से और ट्रेलर से लगा था कि यह किसी मुद्दे पर आधारित होगी, लेकिन फिल्म में केवल प्यार और धोखे को ही दिखाया गया है. हालांकि, इससे यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि एक लड़की की पढ़ाई पूरी होने के बाद उसका यूज होना भी जरूरी है. पढ़ाई के बाद उसे सेटल डाउन होने का हवाला देकर शादी के लिए मजबूर करना सही नहीं है. अगर लड़की का कोई सपना है तो उसे उसका सपना पहले पूरा करने के इजाजत दे देनी चाहिए. हालांकि, अगर सिंपल और जिंदगी के करीब की कहानी को देखने के शौकीन हैं तो इस फिल्म को देखा जा सकता है. सॉफ्ट, लाइट हार्टेड फिल्म है.


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