Singer Sharda: तितली उड़ी... की गायिका नहीं रहीं, शारदा के कारण बनी फिल्म फेयर में बेस्ट फीमेल सिंगर की कैटेगरी
Singer Sharda No More: सदाबहार गाने तितली उड़ी, उड़ जो चली... की गायिका शारदा का आज निधन हो गया. हिंदी सिनेमा के म्यूजिकल इतिहास में सैकड़ों गायक-गायिकाओं ने हजारों बेहतरीन गाने दिए. लेकिन शारदा का नाम इसलिए भी सदा रहेगा क्योंकि उनकी वजह से फिल्म फेयर पुरस्कारों में बेस्ट फीमेल सिंगर कैटेगरी की शुरुआत हुई. क्यों और कैसे, यह जानिए...
Singer Sharda Songs: इतिहास रचने वाले कुछ अलग काम जरूर करते हैं. हिंदी फिल्म संगीत के इतिहास में गायिका शारदा राजन अयंगर (Sharda Rajan Iyengar) की खास जगह है. शारदा को हिंदी फिल्मों में 1960 और 1970 के दौर की शानदार गायिकाओं में गिना जाता है. यूं तो उनसे पहले भी फिल्मों में एक से बढ़कर एक गायिकाएं थीं, मगर शारदा की वजह से गायिकाओं के लिए पुरस्कार समारोहों में अलग से अवार्ड शुरू हुए. आज उन्हीं शारदा का निधन हो गया. वह 86 वर्ष की थीं. हिंदी फिल्मों में उन्होंने दर्जनों गाने गाए, लेकिन जिस गाने ने उन्हें घर-घर पहुंचाया, वह थाः तितली उड़ी, उड़ जो चली, फूल ने कहा आजा मेरे पास, तितली कहे मैं चली आकाश. अपने तरह का यह अलग गाना है और आज भी सुना जाता है.
हो गया टाई
फिल्म सूरज (1966) के इस गाने से हिंदी फिल्मों में इतिहास रचा गया. राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) और वैजयंतीमाला (Vaijayantimala) की यह रोमांटिक फिल्म उस वर्ष की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने के साथ, म्यूजिकल ब्लॉकबस्टर (Musical Blockbuster) थी. शंकर-जयकिशन का संगीत था. लेकिन शारदा के गाए तितली उड़ी... ने पूरे देश में धूम मचा दी. नई-नवेली लड़की द्वारा गया गया यह गीत सनसनीखेज हिट था. इस गाने ने नया इतिहास लिखा. असल में वर्ष 1959 से 1966 तक फिल्म फेयर पुरस्कारों में गाने की एक ही कैटेगरी थी, बेस्ट प्लेबैक सिंगर. यह अवार्ड या तो पुरुष गायक को मिलता था या महिला गायिका को. उन दिनों बेस्ट सिंगर (Best Singer) के लिए वोटिंग (Voting) होती थी. जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते, उसे अवार्ड मिलता. 1966 में शारदा और मोहम्मद रफी (Mohammad Rafi) के इसी फिल्म के गाने बहारों फूल बरसाओ... को बराबर वोट मिले.
आया बड़ा बदलाव
फिल्म फेयर ने उस साल रफी साहब के साथ शारदा को भी बेस्ट सिंगर का अवार्ड दिया. लेकिन इसके बाद फिल्म फेयर ने अगले साल बड़ा बदलाव करते हुए प्लेबैक म्यूजिक कैटेगरी में दो अवार्ड तय किए. बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर (Best Male Playback Singer) और बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर (Best female Playback Singer). इस तरह फिल्म फेयर में गायिकाओं के लिए अलग कैटेगरी बन गई और तय हो गया कि महिला सिंगर को भी हर साल फिल्मफेयर का अवार्ड मिलेगा. शारदा के इस बेहतरीन गाने, आवाज और अवार्ड ने पूरी इंडस्ट्री को चौंका दिया क्योंकि तब महिला पार्श्व गायन में लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) और आशा भोंसले (Asha Bhosle) का एकछत्र अधिकार माना जाता था.
राज कपूर की खोज
खैर, शारदा के कारण अवार्ड श्रेणी में बड़ा बदलाव आया. जिसके लिए उन्हें सदा याद रखा जाएगा. ऐसा नहीं है फिल्मफेयर पुरस्कार के मामले में शारदा वन फिल्म वंडर साबित हुईं. उन्होंने 1970 में फिल्म जहां प्यार मिले के कैबरे गीत बात जरा है आपस की के लिए भी बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का फिल्म फेयर पुरस्कार जीता था. शारदा राज कपूर (Raj Kapoor) की खोज थीं. राज कपूर ने उन्हें पहली बार तेहरान (ईरान) में सुना था और किस्मत आजमाने के लिए मुंबई बुलाया था. यहां उन्होंने शारदा को शंकर-जयकिशन (Shankar Jaikishan) के साथ जोड़ा और फिल्मों के हिसाब से म्यूजिक की व्यवस्थित ट्रेनिंग दिलाई थी.