श्रीदेवी ने जब सिल्‍वर स्‍क्रीन पर पहले फीमेल सुपरस्‍टार होने का रुतबा हासिल किया तो यह अपने आप में एक बड़ी बात थी. ऐसा इसलिए क्‍योंकि साउथ इंडिया से रेखा, हेमा मालिनी समेत, वैजयंती माला समेत कई एक्‍ट्रेस बॉलीवुड में आकर बेहद सफल हुईं लेकिन सुपरस्‍टार के रुतबे के साथ बॉक्‍स ऑफिस के रूल को बदलने में कामयाबी श्रीदेवी को ही नसीब हुई. उनके स्‍टारडम का जलवा कुछ ऐसा था कि वह पहली एक्‍ट्रेस थीं जिनको बड़े-बड़े एक्‍टरों के बराबर पारिश्रमिक ऑफर किया गया. वह सेल्‍युलाइड की पहली हीरोइन थीं जिनको केवल देखने लोग सिनेमाहॉल तक जाते थे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

श्रीदेवी ने जिस दौर में कामयाबी हासिल की, उस वक्‍त साउथ की कई एक्‍ट्रेस ने हिंदी फिल्‍मों में दस्‍तक दी. उनके बीच परस्‍पर प्रतिस्‍पर्द्धा भी रही. यहां तक कि जया प्रदा और मीनाक्षी शेषाद्रि जैसी एक्‍ट्रेस श्रीदेवी(1963-2018) की हमउम्र हैं. श्रीदेवी ने 1978 में सोलवां सावन से हिंदी फिल्‍मों में करियर शुरू किया था. उसी दौर में जया प्रदा ने भी बॉलीवुड में कदम रखा था.


श्रीदेवी: जिसने Box Office पर गेम के रूल को बदला...


जया प्रदा (1962)
आंध्र प्रदेश के मिडिल क्‍लास फैमिली से ताल्‍लुक रखने वाली जया प्रदा ने तेलुगु फिल्‍मों से करियर शुरू किया. 1976 में क्‍लासिक तेलुगु फिल्‍म 'सीरी सीरी मुवा' की कामयाबी ने हिंदी फिल्‍मों के दरवाजे उनके लिए खोल दिए. इसकी रीमेक 1979 में 'सरगम' के नाम से रिलीज हुई और जबर्दस्‍त हिट हुई. इसके चलते वह रातोरात बॉलीवुड स्‍टार बन गईं. उसके बाद 1984 में 'शराबी' और 1985 में 'संजोग' के बॉक्‍स ऑफिस पर रिकॉर्ड प्रदर्शन से उस दशक में जया प्रदा ने अपनी छाप छोड़ी. 


1980 के दशक में श्रीदेवी को इन 5 एक्‍ट्रेस से मिलती थी कांटे की टक्‍कर...


मीनाक्षी शेषाद्रि (1963)
1983 में 'हीरो' की सफलता ने मीनाक्षी शेषाद्रि को रातोंरात स्‍टार बना दिया. उसी साल उनकी पहली फिल्‍म पेंटर बाबू भी रिलीज हुई थी. उससे पहले 1981 में 17 साल की उम्र में वह मिस इंडिया बनीं. 1980 के दशक के अंत तक शहंशाह, घायल, जुर्म जैसी फिल्‍मों से उन्‍होंने अपनी अलग छाप छोड़ी. 1993 में आई उनकी फिल्‍म 'दामिनी' में उनके दमदार अभिनय की यादें अभी भी लोगों के जेहन में हैं.


हीरोइन की नई छवि
श्रीदेवी की निश्‍छल मुस्‍कान, मॉडर्न लुक ने महिला एक्‍टरों के चरित्र को रुपहले पर्दे पर बदला. उनसे पहले भी ऐसे किरदार पर्दे पर रहे लेकिन बॉक्‍स ऑफिस पर मेलोड्रामा फिल्‍मों में भावप्रवण एक्टिंग करने वाली अभिनेत्रियों का ही दबदबा था. लेकिन इसके बरक्‍स श्रीदेवी ने स्‍वतंत्र, आधुनिक चरित्र को पर्दे पर जिया और उसके बाद मेनस्‍ट्रीम सिनेमा में हीरोईन देखने का चलन कुछ ऐसा ही होता चला गया. इस मामले में अभिनेत्रियों को सिनेमा के रुपहले पर्दे पर आधुनिक बनाने का श्रेय काफी हद तक उनको जाता है. ऐसा इसलिए भी हुआ क्‍योंकि जिस दौर में वह आईं उस जमाने में सिनेमा और लोगों की लाइफस्‍टाइल बदल रही थी. परंपरा और आधुनिकता के बीच की कश्‍मकश लोगों की जिंदगियों को बदल रही थी.


बोनी कपूर ने श्रीदेवी से पहले की थी मोना से शादी, दोनों पत्नियों की मौत के बीच है ये अजब संयोग


इसी दौर में लोगों ने पर्दे पर स्‍मार्ट, मॉडर्न, स्‍वतंत्र और स्‍ट्रांग कैरेक्‍टर के रूप में श्रीदेवी को पर्दे पर देखा. देखते ही देखते वह लोगों के दिलों पर राज करने लगीं. यह एंग्री यंगमैन के दौर के बाद का युग था, जो मॉडर्न और सुविधा-संपन्‍न था. इस तबके को श्रीदेवी का जलवा पसंद आया और वह रुपहले पर्दे पर रूप की रानी बन गईं.