नई दिल्ली: फिल्म निर्माता अभिषेक कपूर (Abhishek Kapoor) के साथ सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) का बेहद खास रिश्ता था. सुशांत ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत अभिषेक कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘काई पो छे’ से की थी. इसके बाद इन दोनों ने एक बार फिर से फिल्म ‘केदारनाथ’ (Kedarnath) में साथ काम किया. लेकिन उस वक्त तक सुशांत काफी बदल चुके थे. उन दिनों को याद करते हुए निर्माता अभिषेक कपूर ने बताते हैं कि फिल्म के दौरान सुशांत कटे-कटे से रहने लगे थे. फिल्म प्रमोशन के दौरान भी सुशांत सिंह राजपूत ये देखकर काफी निराश थे कि फिल्म के लिए उन्हें उतना प्यार नहीं मिल रहा था जितना फिल्म की लीड एक्ट्रेस सारा अली खान को मिला था.


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हमारे सायोगी वेबसाइट Bollywoodlife.com में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, अभिषेक कपूर ने इंटरव्यू में कहा, ‘मेरी उनसे करीब 1-डेढ साल से बात नहीं हुई थी. वो अपने नंबर 50 बार बदलते थे. मुझे याद है जब 'केदारनाथ' रिलीज हुई थी. मीडिया सिर्फ सुशांत पर निशाना बना रही थी. सुशांत ये देख सकता था कि उसे उतना प्यार नहीं मिल रहा है जितना सारा अली खान को मिला था. क्योंकि सबकुछ सारा अली खान के बारे में लिखा जा रहा था. वो मुझसे भी बात नहीं कर रहा था. वो खोया-खोया रहने लगा था. फिर मैंने उसे कुछ मैसेज्स भेजे थे. फिर फिल्म रिलीज हुई इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला. ये मेरी उनसे आखिरी बात थी.'


अभिषेक कपूर आगे बताते हैं, 'मैंने मैसेज में लिखा था- भाई मैं तुमसे मिलने की कितनी कोशिश कर रहा हूं. मुझे नहीं पता कि तुम बिजी हो, निराश हो या फिर क्या बात है. लेकिन मुझे जल्दी फोन करो बात करनी है. हम फिर से एक शानदार फिल्म बनाएंगे. अगर हम इसे सेलिब्रेट नहीं करेंगे तो फिर कौन करेगा. हम जिंदगी में क्या सेलिब्रेट करेंगे. ये मेरा उन्हें जनवरी में भेजा गया मैसेज था. उन्होंने अपने बर्थडे पर भी मुझे रिस्पॉन्स नहीं दिया. फिर मैंने उसे छोड़ दिया. मुझे लगा कोई नहीं, ये गया है फिर आएगा. मैं देख सकता था कि वो खुश नहीं है. लेकिन आप एक लाइन है जिसे क्रॉस नहीं कर सकते. अगर आप जानबूझकर ज्यादा अपनी ओर से बात करते हो तो फिर इसका कोई महत्व नहीं रह जाता है. मैं सिर्फ आधे रास्ते तक ही सफर कर सकता था आधा रास्ता उसे तय करना था.’ 


अलावा उन्होंने ये भी बताया है कि सुशांत सिंह राजपूत एक बेहतरीन इंसान और ब्रिलियंट दिमाग वाला इंसान था. जिसे फिल्म इंडस्ट्री के लोग समझ नहीं पाते थे. उनके हिसाब से जो आपके जैसा नहीं है वो आपमें में से एक नहीं है. ऐसे में वो सुशांत सिंह राजपूत को ‘ऑफ’ दिमाग वाला बताने लग गए थे. जबकि वो एक बेहतरीन इंसान थे.


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