Bollywood Heros: ओटीटी के आने से भारतीय सिनेमा की दुनिया बदल रही है. चाहे दर्शक हों या फिल्म इंडस्ट्री, बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. लेकिन फिलहाल इन बदलावों से बॉलीवुड घाटे में नजर आ रहा है. एक के बाद एक फिल्में बॉक्सऑफिस पर पिट रही हैं. नतीजा यह कि अब कई फिल्म मेकर और बॉलीवुड सितारे ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिनके बारे में ओटीटी के आने से पहले कोई सोच नहीं सकता था. एक समय था, जब फिल्मों के लिए थियेटरों के बाद दूसरा विकल्प टीवी था. अब टीवी की जगह ओटीटी ने ली ली है. लेकिन कई मामलों में ओटीटी आगे हो गया और थिएटर पीछे रह गए हैं. मतलब साफ कि कई फिल्में जिनके थिएटर में चलने के आसार नहीं थे, वे डायरेक्ट ओटीटी पर आ गईं.


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घट रही सितारों की चमक
एक बड़ा बदलाव बीते दो साल में यह दिखा है कि बड़े बॉलीवुड सितारे तक अपनी फिल्में डायरेक्टर ओटीटी पर ला रहे हैं. पिछले हफ्ते वरुण धवन (Varun Dhawan) और जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) की फिल्म बवाल (Bawaal) अमेजन प्राइम वीडियो पर आई. लेकिन वही नहीं, इससे पहले शाहिद कपूर (Shahid Kapoor), सिद्धार्थ मल्होत्रा (Siddarth Malhotra), अक्षय कुमार (Akshay Kumar) से लेकर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) तक की फिल्में ओटीटी पर आई हैं. परंतु क्या इससे सितारों को फायदा होता हैॽ इसका सीधा जवाब है, नहीं. असल में अटीटी सिर्फ बड़े सितारों की फिल्में बनाने वाले प्रोड्यूसरों की आय का आकर्षक स्रोत है. यदि फिल्म सीधे ओटीटी पर जाती है तो उसे कीमत बहुत अधिक होती हैं. जिसकी थिएटर रिलीज में गारंटी नहीं रहती. यहीं पर सितारे इस जाल में फंस रहे हैं. इससे निर्माता को भले ही फायदा हो रहा है, लेकिन सितारों की चमक घट रही है.


जिस डाल पर बैठे हैं...
फिल्म ट्रेड (Film Trade) के जानकारों के अनुसार जो सितारे दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच सकते हैं, अगर उनकी फिल्में सीधे ओटीटी आएंगी, तो आने वाले समय में दर्शक उन्हें ओटीटी पर देखने के आदी हो जाएंगे. जब बड़े सितारे सीधे ओटीटी पर आ रहे हैं, तो थिएटरों को भी इससे नुकसान होगा. जानकारों के अनुसार बड़े निर्माताओं और सितारों को हाल-फिलहाल डायरेक्ट ओटीटी रिलीज से भले फायदा हो सकता है, लेकिन एक बार जब थिएटर घाटे में पहुंच जाएंगे या वहां फिल्में नहीं चलेंगी, तो ओटीटी प्लेटफॉर्म उस स्थिति का फायदा उठाएंगे और फिल्मों के लिए कम कीमतें देंगे. तब निर्माता और सितारे क्या करेंगे. जानकारों का मानना है कि थिएटर की परीक्षा से गुजरने के बजाय अपनी फिल्म सीधे ओटीटी पर रिलीज करना, कम से कम बड़े सितारों के लिए वैसा है, जैसे पेड़ की जिस डाल पर बैठे हैं, उसे ही काटना.