'लाख-बूटी' साड़ी. आजकल आपने साड़ी के इस डिजाइन के बारे में लगातार सुना होगा. सोनाक्षी सिन्हा ने वेडिंग रिस्पेशन में सुर्ख लाल रंग की  'लाख-बूटी' डिजाइन साड़ी ही पहनी थी. हाल में ही वाराणसी पहुंचीं रिलायंस फाउंडेशन की चेयरमैन नीता अंबानी ने भी 10 लाख की कीमत वाली  'लाख-बूटी' साड़ी खरीदी. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर 10 लाख रुपये का ऐसा इस साड़ी में क्या है तो बता दें इसमें 40 तोले चांदी और सोने का इस्तेमाल किया गया है. तो चलिए  'लाख-बूटी'साड़ी के बारे में बताते हैं.


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नीता अंबानी और मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की 12 जुलाई 2024 को शादी है. परिवार ने शादी का सबसे पहले कार्ड बाबा विश्वनाथ मंदिर में चढ़ाया. इस दौरान नीता अंबानी काशी के बुनकरों के पास भी पहुंचीं. जहां उन्होंने शॉपिंग की. साथ ही कई साड़ी के ऑर्डर भी दिए. इस दौरान उन्होंने 10 लाख की कीमत की कोनिया ट्रेंड की  'लाख-बूटी' साड़ी खरीदी. 


नीता अंबानी की 10 लाख की साड़ी
इस साड़ी की कीमत इसलिए इतनी थी क्योंकि इसे बनाने के लिए कारीगरों ने चांदी और सोने के पानी चढ़े धागे से बुनी गई है. 'दैनिक भास्कर' की रिपोर्ट के मुताबिक, नीता अंबानी ने जो  'लाख-बूटी' साड़ी खरीदी उसे बनाने के लिए 2.5 महीने का समय लगा. जिसे बेंगलुरु सिल्क पर बनाया गया. इसका रंग लाल रंग है जो नीता अंबानी के मन को भा गई. इस साड़ी में 400 ग्राम-सोने चांदी के तारों का इस्तेमाल भी हुआ.


बनारसी साड़ी में नीता अंबानी



साड़ी से जुड़े इंट्रस्टिंग फेक्ट्स
सभी जानते हैं कि हमारे देश में साड़ियों का कितना क्रेज है. शादी हो या कोई फंक्शन साड़ी के बिना सब अधूरा लगता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, साड़ियों का काफी पुराना इतिहास रहा है. ऋग्वेद में भी इसका जिक्र मिलता है. आज के वक्त में 100 से ज्यादा अलग अलग तरीकों से देश में साड़ी बनाई जाती है. आमतौर पर 5-8 मीटर की साड़ी होती है.


कहां की कौन सी साड़ी फेमस
बंगाल- बलूचरी साडी
बिहार - मधुबनी साड़ी
आंध्र प्रदेश- कलमकारी साड़ी
वाराणसी- बनारसी साड़ी 
राजस्थान- जयपुरी साड़ी
पश्चिम बंगाल- तांत साड़ी, धकाई जमदानी, कांठा, बलुचरी
छत्तीसगढ़- कोसा सिल्क
कांजीवरम- तमिलनाडु
पोचमपल्ली-तेलंगाना
असम- मूंगा सिल्क
ओडिशा- बोमकई सिल्क,संबलपुरी
महाराष्ट्र- पैठनी साड़ी



सबसे ज्यादा मशहूर कहां की होती है साड़ी
सबसे फेमस साड़ी की बात करें तो उत्तर भारत में बनारसी साड़ियों का सबसे ज्यादा जिक्र होता है. उत्तर प्रदेश को साड़ियों का गढ़ माना जाता है. जहां बनारस, आजमगढ़ और लखनऊ में हैंडलूम का काफी काम होता है.