नई दिल्ली : ‘1942: ए लव स्टोरी’ का स्क्रीन टेस्ट देखने के बाद विधु विनोद चोपड़ा करीब-करीब फैसला कर चुके थे कि अपनी फिल्म में मनीषा कोइराला की जगह वह किसी और अभिनेत्री को लेंगे. लेकिन कभी न हार मानने वाले अपने जज्बे के कारण मनीषा इस फिल्म का हिस्सा बनीं और आगे की कहानी जगजाहिर है. स्क्रीन टेस्ट में मनीषा के अभिनय को देखकर विधु विनोद चोपड़ा ने उन्हें 'बेहद खराब अभिनेत्री' तक कह दिया था. लेकिन अभिनेत्री ने हार नहीं मानी और चोपड़ा से अनुरोध किया कि वह उन्हें दूसरा मौका दें. साहसी मनीषा अगले दिन पहुंची और उन्होंने फिर से स्क्रीन टेस्ट दिया. उनके अभिनय को देखकर स्तब्ध चोपड़ा कुछ वक्त तक खामोश रहे. 


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ऐसे मिली फिल्म ‘1942: ए लव स्टोरी’
कैंसर को हराकर जिंदगी की जंग जीतने वाली मनीषा कोइराला ने अपनी किताब ‘हील्ड: हाउ कैंसर गेव मी ए न्यू लाइफ’ में अपने जीवन के ऐसे ही कई किस्सों को याद किया है. किताब में उन्होंने इस वाकये का जिक्र करते हुए लिखा, ‘फिर... चोपड़ा ने जो कुछ कहा, वह मानो मेरे कानों में ‘संगीत की धुन की तरह’’ गूंजा.’ उन्होंने कहा, ‘मनीषा अगर तुम मेरी फिल्म के हर दृश्य को ऐसे ही दिलोजान से करने का वादा करो तो मैं माधुरी दीक्षित की जगह तुम्हें इस फिल्म के लिये साइन करूंगा. मनीषा कल तुम शून्य थीं, लेकिन आज तुम सौ प्रतिशत हो. 



जब फिल्म के लिए हुई थीं रिजेक्ट 
किताब में उन्होंने लिखा कि फिल्म ‘1942: ए लव स्टोरी’ का स्क्रीन टेस्ट मुझे याद है. जाने माने फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा ने मुझे एक दृश्य करने के लिये बुलाया, लेकिन मेरे खराब अभिनय को देखकर आखिर में उन्होंने कहा कि मनीषा तुम बहुत खराब अभिनेत्री हो. यह मुझे नागवार गुजरा. मेरे अंदर के योद्धा ने मुझे ललकारा. मैंने उनसे गुजारिश की कि वह मुझे दूसरा मौका दें और 24 घंटे का वक्त दें. मैं घर लौटी और पूरे जुनून के साथ अपनी लाइनें दोहराती रहीं. बार-बार... लगातार. मेरी यह हालत देख मेरी मां तक परेशान हो गयीं. वह लिखती हैं, मेरी मां ने तब कहा, 'तुम अपने साथ क्या कर रही हो? अगर यह फिल्म तुम्हें नहीं मिलती तो कोई बात नहीं. इसकी वजह से खुद को तो मत मारो.' 


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कैंसर को दी मात और लौटीं 
मनीषा ने कहा कि अगले दिन मैंने अपने अभिनय में जान डाल दी. आखिरकार फिल्म के लिये मुझे साइन कर लिया गया. मनीषा को अंडाशय का कैंसर था. अपनी किताब में उन्होंने कैंसर से अपनी मुश्किल जंग और अमेरिका में इलाज के दिनों का जिक्र किया है कि किस तरह से ओंकोलॉजिस्ट ने उनका ख्याल रखा और कैसे घर लौटने पर उन्होंने अपने जीवन को संजोना शुरू किया.



पांच का लिया करियर ब्रेक 
नेपाल के प्रसिद्ध कोइराला परिवार में जन्मीं मनीषा ने 1991 में ‘सौदागर’ से हिंदी फिल्मों में शुरुआत की थी.  उन्होंने ‘1942: ए लव स्टोरी’, ‘अकेले हम अकेले तुम’, ‘बॉम्बे’, ‘खामोशी: द म्युजिकल’, ‘दिल से’, ‘मन’, ‘लज्जा’ और ‘कंपनी’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया. 2012 में उन्होंने अभिनय से ब्रेक लिया और पांच साल बाद ‘डियर माया’ से वापसी की. इसके बाद वह नेटफ्लिक्स पर प्रसारित ‘लस्ट स्टोरीज’ और संजय दत्त की जीवनी पर बनी फिल्म ‘संजू’ में दिखीं. 


(इनपुट : भाषा)


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