बॉलीवुड एक्टर कह लीजिए या विलेन कह लीजिए... केके मेनन आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है. उन्होंने अपने करियर में छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा किरदार निभाया है. लेकिन खासियत ये रही कि वह अच्छे से जानते हैं कि छाप कैसे छोड़ी जाती है. 2 अक्टूबर को केके मेनन का 59वां जन्मदिन है, चलिए बताते हैं इनके करियर की जर्नी से लेकर वाइफ के बारे में.


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2 अक्टूबर 1966 को केरल में जन्‍में मेनन का बचपन पुणे में बीता. शुरुआत में कहां जानते थे कि वह एक्टर बनेंगे. वह तो मुंबई से एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक विज्ञापन कंपनी में काम करने लगे थे. लेकिन वह अपने काम से खुश नहीं थे और इसके बाद मेनन ने मन मनाया कि वह अब थिएटर में काम करेंगे. फिर समय था करियर में एक कदम और आगे बढ़ाने का... अब केके मेनन ने थिएटर प्रोडक्शन में हाथ आजमाना भी शुरू किया. थिएटर से सीधे उन्‍होंने टीवी इंडस्‍ट्री में कदम रखा.



कौन हैं के के मेनन के गुरू
अब वह समझ चुके थे कि उन्हें करियर में क्या करना है. वह एकदम क्लीयर थे कि उन्हें एक्टर बनना है. केके मेनन ने दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह को अपना गुरु बनाकर उनसे एक्टिंग के गुर सीखे. नसीरुद्दीन ने मेनन का काम देखा और वह बेहद ही खुश हुए और उन्‍हें अपने एक नाटक में एक रोल प्‍ले करने का मौका दिया.
तब नसीरुद्दीन के सामने केके मेनन ने कहा था कि वह एक्टिंग सीखने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं.



के के मेनन की फिल्में और वेब सीरीज
थिएटर में लंबी पारी खेलने के बाद मेनन को साल 1995 में आई फिल्म 'नसीम' में काम करने का मौका मिला. ये बहुत ही छोटा सा रोल था लेकिन उनके करियर के लिए काफी था. फिर वह 'भोपाल एक्सप्रेस', 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी', 'पांच' से लेकर 'ब्लैक फ्राइडे', 'गुलाल', 'हैदर', 'बेबी', 'गाजी अटैक', 'वोडका डायरीज' 'लाइफ इन एक मेट्रो' और 'सरकार जैसी फिल्‍मों में काम करके पहचान बना चुके हैं. अब तो ओटीटी का जमाना है और वह इस प्लेटफॉर्म के भी राजा है. 'द रेलवे मैन' हो या 'स्पेशल ऊप्स', हर वेब सीरीज में वह बेस्ट दिखे हैं.


कौन हैं के के मेनन की पत्नी
के के मेनन की पर्सनल लाइफ की बात करें तो वह खुद मलयाली फैमिली से आते हैं. मगर उन्होंने शादी की बंगाली एक्ट्रेस निवेदिता भट्टाचार्य से. दोनों की मुलाकात थिएटर के वक्त हुई थी.  निवेदिता ने बंगाली फिल्मों के अलावा कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया है जैसे 'द वैक्सीन वॉर', 'अय्यारी', 'फोबिया' से लेकर 'क्या कहना' जैसी फिल्मों में वह नजर आ चुकी हैं.



Kay Kay के मशहूर डायलॉग
केके मेनन के कुछ खास डॉयलाग हैं, जिनमें ''दुश्मन सिर्फ बॉर्डर के पार नहीं होता, घर के अंदर भी होता है'', "लड़ाई बादशाह के लिए नहीं होती है, बादशाहत के लिए होती है'', "जिंदगी और चेस में कोई खास फर्क नहीं, जीतने के लिए दोनों में चालें चलनी पड़ती है", ''जंग जो है न शहीद होकर नहीं, दुश्मन को शहीद करके जीती जाती है'', ''फितरत से तो हम सब जानवर होते हैं, कुछ मजबूरी में शिकार करते हैं, कुछ शौक के लिए'' शामिल है.


एजेंसी: इनपुट


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