नई दिल्ली: एक दौर था जब शाहरुख खान (Shahrukh Khan) की फिल्म में एक रोल लेकर करण जौहर ने चंद्रचूड़ सिंह (Chandrchur Singh) से गुजारिश की थी कि वो उस रोल को कर लें, ये करण जौहर की डेब्यू मूवी थी, लेकिन चंद्रचूड़ ने मना कर दिया. फिल्म थी ‘कुछ कुछ होता है’, और बाद में उस रोल को सलमान खान ने किया. एक मूवी में शाहरुख खान हीरो थे, उनकी बहन बनीं थीं ऐश्वर्या राय और ऐश्वर्या राय के लवर के रोल में थे चंद्रचूड़ सिंह, मूवी का नाम था ‘जोश’. कभी अमिताभ बच्चन ने जिस हीरो को अपने होम प्रोडक्शंस से लांच किया हो, वो पिछले 15 साल से गायब ही था, आज की जनरेशन तो उन्हें जानती भी नहीं होगी, लेकिन अब वो फिर से चर्चा में है और इसकी 2 वजहें हैं. एक सोनम कपूर का एक चैट शो में अपने एक साथी गेस्ट कैनी सेबेस्टियन की तुलना चंद्रचूड़ सिंह से करने की वजह, और दूसरी उनकी पारी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर शुरू होने की वजह से. हाल ही में चंद्रचूड़ सिंह सुष्मिता सेन के साथ वेबसीरीज ‘आर्या’ में दिखे हैं.


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साल 1996 में आई गुलजार की मूवी ‘माचिस’ की यादें जिनके भी दिलों में अभी तक होंगी, वो ना तो 'चप्पा चप्पा चरखा चले..' को भूले होंगे और ना ही उसके हीरो चंद्रचूड़ सिंह को. उनको इस रोल के लिए उस साल बेस्ट एक्टर मेल डेब्यू अवॉर्ड मिला था. उनकी परफॉरमेंस को बॉलीवुड ने हाथोंहाथ लिया, उनकी झोली में बड़े स्टार्स के साथ तमाम मूवीज गिरने लगीं. अमिताभ बच्चन ने एबीसीएल की मूवी ‘तेरे मेरे सपने’ में उन्हें अरशद वारसी के साथ लांच किया था.


अजय देवगन के साथ ‘दिल क्या करे’, संजय दत्त के साथ ‘दाग द फायर’, करिश्मा कपूर के साथ ‘सिलसिला है प्यार का’, शाहरुख-ऐश्वर्या के साथ ‘जोश’, सैफ-प्रीति जिंदा के साथ ‘क्या कहना’, गोविंदा के साथ ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया’, संजय दत्त के साथ ‘मोहब्बत हो गई है तुमसे’ और ‘सरहद पार’, तमाम फिल्में उन्होंने की, लेकिन धीरे धीरे अच्छी फिल्मों को ना चुनने की वजह से उनका जादू उतरने लगा और वो फिल्मी दुनिया से गायब से हो गए.


फिर वो कभी कभी कैमियों आदि में दिखते थे, जैसे 2012 में मीरा नायर की मूवी ‘रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट’ में. अब वह फिर से चर्चा में आए हैं, पहली बार ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डिजनी, हॉटस्टार की सीरीज ‘आर्या’ के साथ, एक शानदार पिता और प्यारे पति के रूप में, लेकिन जिसके अतीत में तमाम गहरे अंधेरे रहे हैं. हालांकि ये रोल मिलते वक्त, ऑडीशन देते वक्त या सीरीज साइन करते वक्त भी चंद्रचूड़ सिंह को नहीं पता था कि उनके अपोजिट लीड रोल में सुष्मिता सेन होंगी. चंद्रचूड़ को लगता है कि ये सही समय है कि वो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लांच हो रहे हैं, राम माधवानी को वो पसंद करते रहे हैं, ऐसे में उनके साथ काम करने को लेकर वो खुश भी थे.


सुष्मिता सेन को लेकर एक और दिलचस्प बात उन्होंने एक हालिया इंटरव्यू में बताई थी कि कैसे 19 साल पहले सुष्मिता के साथ उन्हें एक फिल्म ऑफर हुई थी, लेकिन वो फ्लोर पर कभी नहीं आ पाई. तब सुष्मिता के साथ वो काम नहीं कर पाए. लेकिन जब वो इस सीरीज को शूट करने के लिए मुंबई आ रहे थे, 2 एयरहोस्टेस ने फ्लाइट में उनसे ऑटोग्राफ मांगा, दिलचस्प बात ये है कि उनमें से एक का नाम सुष्मिता सेन था और अगले दिन जब शूटिंग शुरू हुई तब उन्हें पता चला कि उनके अपोजिट सुष्मिता सेन ही हीरोइन होंगी. जैसे ही ये सुना वो बुरी तरह चौंके थे.


ओटीटी के कंटेंट से चंद्रचूड़ सिंह काफी खुश हैं, उनको लगता है कि 54 साल का होने के बावजूद अपने मन के रोल और उन रोल्स को भी जी भरके करने की यहां आजादी और वक्त दोनों ही है और ये मौका सबके लिए है, ये नहीं कि एक ही हीरो के पीछे सब भागते फिरेंगे, ऐसे में चंद्रचूड़ अपने दोस्तों से वायदा कर रहे हैं कि अब कभी वो पहले की तरह मुंबई छोड़कर नहीं भागेंगे.


दरअसल चंद्रचूड़ यूपी में अलीगढ़ के पास खैर के रहने वाले हैं, उनके पिता डिफेंस बैकग्राउंड से थे और वहां लोकसभा चुनाव भी लड़े थे, उनकी मां उड़ीसा के बोलंगीर के महाराजा की बेटी थीं, पढ़ाई दून स्कूल से की, फिर दिल्ली के सेंट स्टीफेंस से पढ़े, सम्पन्न परिवार से ताल्लुक रखते हैं चंद्रचूड़ सिंह. वो अपनी निजी बातें मीडिया से शेयर भी नहीं करना चाहते हैं. वो मुंबई छोड़कर जाने के पीछे की वजह भी मीडिया को बताने से हमेशा बचते रहे, बस इतना कहा कि अच्छे रोल ऑफर नहीं हो रहे थे, कुछ फिल्में सेट पर नहीं जा पाई, कुछ शूट होने के बाद डब्बे में बंद हो गईं, कुछ और भी जिम्मेदारियां थीं.


हालांकि उनके फैंस को शायद नहीं पता होगा कि वो सालों से अपने बेटे के अकेले अभिभावक हैं, उसको अकेले ही पाल रहे हैं. लेकिन मुंबई छोड़ने की एक बड़ी वजह गोवा मे उनका एक बड़ा एक्सीडेंट था, जिसके चलते वो सालों तक गायब रहे. वहां स्कीइंग करते वक्त उनका हाथ कंधे से एक तरह से उखड़ ही गया, कई सारी हड्डियां अपनी जगह से हट गईं, उनको एक मेजर सर्जरी से गुजरना पड़ा और इस चक्कर मे काफी साल निकल गए.


जिस साल ये एक्सीडेट हुआ था यानी सन 2000, उस साल उनकी 2 बड़ी फिल्में रिलीज हुई थीं, ऐश्वर्या-शाहरुख के साथ 'जोश' और सैफ-प्रीति जिंटा के साथ 'क्या कहना', कैरियर के पीक पर उन्हें परदे से गायब होना पड़ा. वो पूरे 8 साल के लिए अपनी चोट से सामान्य होने के ले जूझते रहे और वही 8 साल उन्हें बड़े सितारों मे बनाए रख सकते थे. हालांकि उन्होंने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि करण जौहर को मना करना उनकी बड़ी गलती थी, उसका नुकसान भी उन्हें हुआ, उनकी और तब्बू की फिल्म ‘दरिया’ डब्बाबंद हो गई, और दीपा मेहता की मूवी ‘अर्थ’ में से उनको हटाकर राहुल खन्ना को ले लिया गया.


इससे पहले भी वो एक बार मुंबई छोड़कर भाग गए थे, उनकी एक फिल्म आने वाली थी सुचित्रा कृष्णमूर्ति के साथ, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ये उनकी पहली फिल्म थी जो उन्होंने साइन की थी, लेकिन वो फिल्म डब्बाबंद हो गई, तो वो म्यूजिक टीचर का कैरियर बनाने अपने पुराने स्कूल दून चले गए. लेकिन फिर अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड की तरफ से कॉल आया, ये कॉल जया बच्चन का था, उनको फिल्म ऑफर की गई ‘तेरे मेरे सपने’ और फौरन उन्होंने कैरियर बदल लिया और टिकट कटा ली मुंबई की और उसके बाद मिली उन्हें 'माचिस'. बहुत कम लोगों को पता होगा कि जहां उन्होंने एक्टिंग सीखी है, यानी दून स्कूल के थिएटर क्लब में, वहीं से उनको कैरियर ब्रेक देने वाले बच्चन ने भी सीखी थी. अब वो तीसरी बार मुंबई आ चुके हैं, नए इरादों के साथ, नई उम्मीदों के साथ. आप भी उम्मीद करिए कि एक बेहतरीन कलाकार इस बार मुंबई से वापस ना लौटे.


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