Zakir Hussain Throwback Interview: जब भी तबला का जिक्र होता है, तो सबसे पहला नाम जो हमारे दिमाग में आता है, वो है जाकिर हुसैन. इस महान संगीतकार ने अपने करियर के दौरान भारतीय म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट को इंटरनेशनल स्टेज तक पहुंचाया. उन्होंने महज 3 साल की उम्र से ही अपने पिता और महना तबला उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी से शिक्षा-दीक्षा लेनी शुरू कर दी थी और 11 साल की उम्र में पहला स्टेज शो भी किया था. जाकिर ने अपने अब तक के करियर में अनगिनत स्टेज शो किए हैं. 


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उन्होंने अपनी और अपने देश की पहचान को अलग स्तर तक पहुंचाया है. उनके इस योगदार को देश कभी भूल नहीं पाएगा. हालांकि, जाकिर ने एक बार खुलासा किया था कि उनके जीवन में एक समय और उम्र ऐसी भी आई थी, जब उनका दिमान रॉक-एन-रोल म्यूजिक की ओर डाइवर्ट हो गया था. जी हां, 'रैंडवस विद सिमी गरवाल' शो में जाकिर ने उस समय तो याद करते हुए बताया था कि 18 साल की उम्र में उन्होंने तबला बजाने से अलग म्यूजिक करियर के सपने देखने शुरू कर दिए थे. 



रॉक-एन-रोल स्टार बनना चाहते थे जाकिर 


जाकिर ने बताया था कि वे एक रॉक-एन-रोल स्टार बनना चाहते थे और इसके लिए वे अमेरिका भी गए थे. 'मैं जींस पहनना चाहता था, रॉक-एन-रोल स्टार बनना चाहता था, मैं कल रात ही एक मिलियन डॉलर कमाना चाहता था. हर कोई इस दिशा में था'. उन्होंने बताया कि 'मैं मुंबई की सड़कों पर एक बूमबॉक्स कंधे पर लटकाकर डोर्स और बीटल्स सुनता घूमता था. मुझे लगता था कि यही तरीका है पैसे कमाने का और जल्दी फेमस होने का'. जाकिर ने सिमी गरेवाल के शो में बताया कि लेकिन जब वे अमेरिका पहुंचे, तो उन्हें समझ में आया कि अपने सपने को जीना आसान नहीं था. 


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मुश्किल से कटता था अमेरिका में वक्त


उन्होंने बताया, 'मैं उस समय बहुत उलझन में था. मैं $25  हर हफ्ते पर जीवन बिता रहा था और एक बर्तन में सब्जी बना रहा था, रोटी के साथ. वो बहुत मुश्किल समय था'. इसी शो के दौरान उनकी पत्नी, एंटोनिया मिनेकोला, ने बताया था कि उन्होंने जाकिर को भारतीय शास्त्रीय संगीत में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया था. उन्होंने बताया, 'ये सभी का सपना था, लेकिन जब मैंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को खुद एक्सपीरियंस किया और उन्हें पहली बार निखिल बनर्जी के साथ बजाते सुना, तो मैंने उनसे कहा, ‘तुम ये संगीत क्यों बजा रहे हो? तुम एक महान शास्त्रीय कलाकार हो, तुम्हें यही करना चाहिए!’. उन्होंने हंसते हुए कहा, 'मैं एक्सपीरियंस ले रहा था'. 



हमारे बीच नहीं रहे जाकिर हुसैन 


हालांकि, अब वे हमारे बीच नहीं रहे. रविवार,15 दिसंबर को जाकिर हुसैन के निधन की खबर उनके परिवार ने शेयर की. परिवार ने एक बयान जारी किया, जिसमें बताया कि जाकिर का निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक बीमारी से हुआ है, जो फेफड़ों को इफेक्ट करती है. वे दो हफ्ते से अस्पताल में भर्ती रहे थे. उनके निधन की खबर सामने आने के बाद उनके फैंस से लेकर बड़ी हस्तियां तक उनको सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रही हैं और उनके निधन पर शोक प्रकट कर रहे हैं. साथ ही उनके परिवार के लिए संवेदनाएं भेज रहे हैं. 


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