Zakir Hussain Passes Away: अपने तबले की थाम से दुनियाभर में अपनी और भारत की बेमिसाल छाप छोड़ने वाले महान तबला वादक जाकिर हुसैन का निधन हो गया है. उन्होंने रविवार, 15 दिसंबर की रात 73 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. वे अमेरिका में इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस बीमारी का इलाज करवा रह थे. उनके जाने के बाद उनके कुछ पुराने किस्से उनकी यादों को ताजा कर रहे हैं.
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Zakir Hussain Throwback Interview: पूरी दुनिया में अपनी बेमिसाल तबले की थाप से जबरदस्त पहचान बनाने वाले और भारत का नाम रोशन करने वाले लेजंड्री तबला वादक जाकिर हुसैन का रविवार, 15 दिसंबर को निधन हो गया. वे अमेरिका में आईडीओपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Idiopathic Pulmonary Fibrosis) के चलते अस्पताल में भर्ती हुए थे. जहां उनका इलाज चल रहा था. बीते दिन उनकी हालत काफी गंभीर हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली.
उनके निधन की खबर ने सभी को शोकाकुल कर दिया है. उनके फैंस से लेकर नेता और अभिनेता तक सोशल मीडिया पर उनको श्रद्धाजंलि दे रहा है. इसी बीच उनके कुछ पुराने किस्से भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जाकिर ने अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत बचपन में की थी. वो महज 3 साल की उम्र में तबला बजाना सिखने लगे थे और 11 साल की उम्र में अन्होंने अपना पहला स्टेज शो किया था. हालांकि, उन्होंने एक बार अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी मां उनके संगीत करियर के खिलाफ थीं.
जब घर से भाग गए थे जाकिर हुसैन
इस वजह से वे महज छह साल की उम्र में घर छोड़कर भाग गए थे. 'रैंडवस विद सिमी गरवाल' शो में जाकिर ने बताया था कि उन्होंने एक महिला, जिसका नाम 'पुजारन' था, के साथ घर छोड़ने का फैसला किया था. उन्होंने बताया था, 'मैं बहुत दुखी था, क्योंकि मेरी मां मुझे संगीत से दूर रखना चाहती थीं. मैंने पुजारन से कहा, 'चलो भाग जाते हैं, तुम गाना और मैं तबला बजाऊंगा और इसी तरह अपना जीवन यापन करेंगे'. जाकिर ने बताया कि उन्होंने अपना स्कूल बैग पैक किया और जाने के लिए तैयार हो गए थे.
पिता को गुरु का दर्जा देते थे उस्ताद
इसके बाद सिमी ने उनसे पूछा, 'क्या खाने के लिए कुछ नहीं था?'. इस पर जाकिर ने कहा कि उनका गुरु और पिता, अल्ला रखा, ही वो वजह थे, जो उन्हें घर लौटने से रोक सकते थे. उन्होंने कहा, 'खाना कैसे मिलेगा, लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मुझे जो चाहिए वो यहीं था, मेरे पिता और गुरु'. जाकिर हुसैन ने भारतीय संगीत के साथ-साथ इंटरनेशल कलाकारों के साथ भी काम किया और म्यूजिक इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमाया. उनके निधन की खबर रविवार को उनके परिवार ने दी.
परिवार ने दी निधन की जानकारी
परिवार ने एक बयान जारी कर बताया कि ज़ाकिर का निधन आईडीओपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस के कारण हुआ था, जो एक गंभीर बीमारी है. वे दो हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती थे. परिवार ने कहा, 'एक शिक्षक, मार्गदर्शक और शिक्षा दाता के तौर पर उनका काम अनगिनत संगीतकारों पर गहरी छाप छोड़ गया है. उनका सपना था कि वे आने वाली पीढ़ी को प्रेरित कर सकें. वे एक सांस्कृतिक राजदूत और समय के महानतम संगीतकारों में से एक के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे'.
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