Barun Sobti Wrb Series: ओटीटी की वेब सीरीजों ने कहानियों में प्रयोग के दरवाजे खोले हैं. तीन साल पहले वूट सिलेक्ट पर आई वेब सीरीज असुर का दूसरा सीजन अब जियो सिनेमा है. असुर ने दर्शकों की नब्ज पर हाथ रखा था और यही वजह है कि देखनेवालों को नए सीजन का लंबे समय से इंतजार था. दर्शक देखना चाहते थे कि आसुरी शक्ति की ताकत का अंधेरा कहां तक फैल सकता है और उससे लोगों को बचाने के लिए कौन आएगाॽ पहले सीजन में निःसंदेह शुभ जोशी (विशेष बंसल) ने ठंडी क्रूरता वाली तीव्र बुद्धि से धनंजय राजपूत (अरशद वारसी) और निखिल नायर (बरुण सोबती) की जिंदगी में उथल-पुथल मचा दी थी. वही शुभ बड़ा होकर (अभिषेक चौहान) नए सीजन में शह और मात के खेल को बिल्कुल नए स्तर पर ले आया है. इस लिहाज से असुर 2 के आठ एपिसोड रोचक हैं.


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विष और अमृत
जियो सिनेमा ने पहले दिन दो एपिसोड रिलीज किए हैं और बाकी छह हर दिन एक-एक करके रिलीज किए जाएंगे. हालांकि मीडिया में रिव्यू के लिए सारे एपिसोड भेजे गए हैं. असुर 2 की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पहला सीजन खत्म हुआ था. जल्द ही सीरीज रफ्तार पकड़ती है. इस बार शुभ की कहानी कलि और कल्कि के अवतार की अवधारणा लेकर आगे बढ़ती है. समुद्र मंथन में पहले विष और फिर अमृत पी चुका कलि रूप बदल-बदल कर युगों-युगों से जिंदा है. वह मानवता को खत्म करने के मिशन पर है. वह स्वार्थ से आगे कुछ नहीं देखता और समझाता है कि जो कुछ हो रहा है, वह नियति है. अंत में सब नष्ट हो जाना है. कलि ध्वंस करता जाता है. ऐसे में सवाल यही उठता है कि लोगों को बचाने के लिए कल्कि का अवतार कब होगाॽ सीरीज में आप ‘मिरेकल बॉय’ अनंत (अथर्व विश्वकर्मा) को देखते हैं और आपको एहसास होता है कि यही कल्कि अवतार है! यह किरदार दलाई लामा की परंपरा की भी याद दिलाता है.


असली असुर कौन
असुर 2 की कहानी में पिछले सीजन के मुकाबले सबसे बड़ा फर्क यह है कि यहां असुर यानी शुभ ने आधुनिक तकनीक को लड़ाई का हथियार बनाया है. वह आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में उतरता है और तीक्ष्ण बुद्धि से उसका इस्तेमाल सीख कर पूरे देश और सत्ता को तक हिला देता है. शुभ की दुनिया में अच्छे लोगों की जगह नहीं है. वह राष्ट्रीय इमरजेंसी के हालात पैदा कर देता है. दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी से डेटा चुरा कर आम लोगों की जिंदगी में तबाही लाता है. क्या वाकई आज आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस ही असली असुर हैॽ लाखों जिंदगियों की सांसें इसके नियंत्रण में है. इस सबके बीच असुर के खिलाफ धनंजय और निखिल की लड़ाई जारी है. हालांकि पिछली बार की तरह यहां भी दोनों के बीच विश्वास-अविश्वास की समस्या बरकरार है. इससे कहानी में उतार-चढ़ाव आते हैं. बीच में रसूल शेख (अमेय वाघ) का किरदार भी दर्शकों के दिलों को छूता है. सीबीआई अफसर पॉल (मेयांग चेंग) और निखिल की पत्नी नैना नायर (अनुप्रिया गोयनका) का ट्रेक भी कहानी को गति देता है.



नई बातों की नींव
असुर 2 पहले सीजन से एक कदम आगे शुरू होती है और शुरुआती तीन एपिसोड तक घटनाएं रफ्तार से बढ़ती हैं. लेखकों की टीम और निर्देशक नई बातों की यहां नींव रखते हैं. लेकिन बीच के तीन एपिसोड में घटनाओं के विस्तार  के साथ शुभ के विरुद्ध धनंजय-निखिल की आंख-मिचौली का खेल नए-नए राउंड में पहुंचता जाता है. कई बातें यहां चमत्कार की तरह घटती हैं और विश्वसनीय नहीं लगतीं. नतीजा यह कि सीरीज एक साधारण अपराध कथा जैसी लगने लगती है और रोमांच कुछ धीमा पड़ जाता है. परंतु अच्छा यह है कि आखिरी दो एपिसोड में फिर ग्राफ ऊंचा उठता हैं. हालांकि सबको घुटनों पर ले आने वाले शुभ का अंजाम इतना सहज बताया गया है कि चकित करता है और कुछ हद तक निराश भी. मेकर्स ने संकेत दिए हैं कि शुभ के खत्म होने के बावजूद असुर की वापसी हो सकती है.


जिज्ञासाओं का समाधान
एक्टरों और तकनीशियनों ने सीरीज में अपना काम बखूबी किया है. बरुन सोबती के परफॉरमेंस में पैनापन है. उनके किरदार में विविधता भी है. बेटी को खो चुके पिता, पत्नी के साथ अलगाव की तकलीफ, अपने सीनियर से असहमति के बावजूद उसके साथ काम करना, असुर के साथ दिमागी खेल और संघर्ष, यह सब वह शिद्दत के साथ निभाते हैं. अरशद वारसी उनसे कुछ उन्नीस रह गए हैं, लेकिन इसके लिए राइटरों और निर्देशक को काम करने की जरूरत थी. ऋद्धि डोगरा और अनुप्रिया बंसल की भूमिकाएं सधे ट्रेक पर चलती हैं. जबकि विशेल बंसल और अथर्व विश्वकर्मा अपने-अपने रोल में जमे हैं. सीरीज का बैकग्राउंड म्यूजिक इसे मजबूत सहारा देता है. कैमरावर्क अच्छा है, लेकिन कुछ बड़े फलक वाले दृश्यों में जरूरी असर पैदा नहीं कर पाता. अगर आपने असुर का पहला सीजन देखा है तो निश्चित ही दूसरा आपकी जिज्ञासाओं का समाधान करेगा.


निर्देशकः ओनी सेन
सितारे: अरशद वारसी, बरुन सोबती, ऋद्धि डोगरा, अनुप्रिया गोयनका, विशेष बंसल, अभिषेक चौहान, अमेय वाघ, अथर्व विश्वकर्मा, मेयांग चांग
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