New Film On OTT 2022: तमिल फिल्म कोलाम्मावू कोकिला (2018) की ऑफिशियल रीमेक गुड लक जैरी अपनी सरल कहानी में आकर्षक लगती है. पंजाब में बिहार की एक मासूम-सी दिखने वाली लड़की अपने पारिवारिक हालात की वजह से ड्रग्स के धंधे में उतर जाती है. लेकिन जितनी वह मासूम दिखती है, उतनी है नहीं. कैसे वह ड्रग्स के डीलरों से लड़ती है और उनके जाल में फंसे अपने परिवार को उबारती है, यही फिल्म में दिखाया गया है. यह एक डार्क कॉमिक थ्रिलर है. लेकिन मुश्किल यह है कि अच्छी शुरुआत के बाद जैसे-जैसे फिल्म खुलती है, रोशनी से अंधेरे की तरफ जाती है. फिल्म के आखिरी मिनटों में पर्दा इतना डार्क हो जाता है कि अगर ओटीटी पर डायरेक्ट रिलीज हुई यह फिल्म आप मोबाइल पर देखेंगे, तो समझना मुश्किल हो जाएगा कि स्क्रीन पर हो क्या रहा है.


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यह है चूहे-बिल्ली का खेल
जया कुमारी उर्फ जैरी (जाह्नवी कपूर) और ड्रग डीलरों की यह कहानी आखिरी दृश्यों में टॉम एंड जैरी जैसी कॉमिक दास्तान में बदलकर कहीं-कहीं बचकानी हो जाती है. इन अंतिम दृश्यों में ड्रग डीलर अपने ड्रग्स की 100 किलो खेप के लिए जैरी और उसके परिवार तथा दोस्तों के पीछे पड़े हैं. चूहे-बिल्ली का यह खेल क्लाइमेक्स में इतना लंबा खिंचता है कि आपको लगता है, यह कब खत्म होगा. जबकि फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है. पिता के गुजरने के बाद जैरी मां-बहन (मीता वरिष्ठ-समता सुदीक्षा) के परिवार को सहारा देने के लिए मसाज पार्लर में काम कर रही है. वह लगातार मां को आश्वस्त करती है, ऐसा कुछ नहीं कर रही, जिसका उसे डर है. इस घर में तीन महिलाएं हैं और मोहल्ले के तीन अलग-अलग पुरुषों की नजर उन पर है. राइटर-डायरेक्टर ने इस परिस्थिति को कॉमिक सिचुएशन में बदला है.


बिखरने लगती है स्क्रिप्ट
फिल्म का सबसे आकर्षक ट्रेक यही है कि हालात कैसे जैरी को ड्रग तस्करों तक पहुंचाते हैं. कैसे जैरी मां के फेफेड़ों के कैंसर, स्टेज टू का इलाज करने के लिए ड्रग सप्लाई के धंधे में उतरना स्वीकार कर लेती है. इसके बाद भी फिल्म थोड़ी देर ठीक रहती है, लेकिन जब पुलिस से हाथों में पड़ने के डर से जैरी गिरोह छोड़ना चाहती है और उसे गिरोह में एंट्री देने वाला बॉस टिम्मी (जसवंत सिंह दलाल) उसके साथ गलत करने की कोशिश करता है, तो स्क्रिप्ट बिखरने लगती है. यहां से शुरू हुआ बिखराव आखिर तक स्क्रिप्ट को तार-तार कर देता है.


पैन इंडिया फिल्म में टोटल पंजाब
पैन इंडिया फिल्मों की बातों के बीच डिज्नी हॉटस्टार पर डायरेक्ट रिलीज हुई गुड लक जैरी पूरी तरह पंजाबियत में रंगी है. अच्छी कहानी की कमजोर होती जाती स्क्रिप्ट को कुछ कॉमिक सिचुएशंस, कुछ डायलॉग्स और एक्टरों के अच्छे परफॉरमेंस का सहारा जरूर बीच-बीच में मिला है. जिससे यह समय खाली होने पर देखने लायक बन सकी है. इसमें संदेह नहीं कि जाह्नवी कपूर ने बहुत अच्छा अभिनय किया. हालांकि वह अपनी मासूमियत में कॉमिक टाइमिंग को मिक्स नहीं कर पाईं. अंत में भले ही वह कहती हैं कि जितनी भोंदू मैं दिखती हूं, उतनी हूं नहीं. लेकिन कहानी में वह जो कुछ करती हैं, उसमें यह बात नजर नहीं आती.



ढीला और लंबा क्लाइमेक्स
जैरी को यहां जिन किरदारों का मजबूत सहारा मिला है, उनमें उसका बॉयफ्रेंड बनने की कोशिश करता रिंकू (दीपक डोबरियाल), मां शरबती (मीता वशिष्ठ) और टिम्मी शामिल है. कहानी में नीरज सूद, सुशांत सिंह, समता सुदीक्षा और साहिल मेहता के किरदार भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हैं. फिल्म का गीत-संगीत औसत है. सिद्धार्थ सेन का निर्देशन अच्छा है, लेकिन वह फिल्म को दूसरे हिस्से में ढीला पड़ने से बचा पाते तो गुड लक जैरी अंत तक मनोरंजक बनी रहती. फिल्म की कॉमेडी बीच-बीच में एक स्तर से नीचे चली जाती है, जिससे आप इसे परिवार के साथ देखते हुए झटके खाएंगे. गुड लक जैरी का ढीला और लंबा क्लाइमेक्स निराश करता है. 


निर्देशकः सिद्धार्थ सेन
सितारेः जाह्नवी कपूर, दीपक डोबरियाल, मीता वशिष्ठ, समता सुदीक्षा, जसवंत सिंह दलाल, नीरज सूद, सुशांत सिंह
रेटिंग **1/2


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