नई दिल्लीः Lahore Agreement: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पहली बार स्वीकार किया है कि कारगिल का युद्ध पाकिस्तान की गलतियों की वजह से हुआ था. नवाज शरीफ ने कहा कि उस दौरान पाकिस्तान ने साल 1999 में हुए लाहौर समझौते का उल्लंघन किया था. जिसका नतीजा कारगिल युद्ध के रूप में सामने आया. पूर्व पाकिस्तानी पीएम ने अपने तत्कालिन जनरल परवेज मुशर्रफ के कारगिल में घुसपैठ का जिक्र करते हुए कहा कि यह हमारी गलती थी.
‘हमने नहीं रखा लाहौर समझौते का मान’
दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ये बात पार्टी की एक बैठक में स्वीकारी है. पार्टी की बैठक में उन्होंने कहा, ‘28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए थे. इसके बाद भारत के तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी साहब यहां आए थे और हमारे साथ उनका एक समझौता हुआ था, लेकिन हमने उस समझौते का मान नहीं रखा और उसका उल्लंघन किया. यह गलती हमारी थी.’
जानें क्या था लाहौर समझोता
बता दें कि फरवरी 1999 में भारत और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी और नवाज शरीफ ने लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता स्थापित करना था. साथ ही वहां रहने वाले लोगों की प्रगति और समृद्धि करना था. घोषणापत्र के मुताबिक दोनों देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि टिकाऊ शांति और सौहार्दपूर्ण रिश्तों का विकास और मैत्रीपूर्ण सहयोग, दोनों ही देशों के लोगों के हित में सहायक सिद्धि होंगे. हालांकि, कुछ ही महीनों बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के कारगिल में घुसपैठ कर इस समझौते को तोड़ दिया, जिसका परिणाम कारगिल युद्ध के रूप में सामने आया.
‘अमेरिका ने की थी 5 अरब डॉलर की पेशकश’
पार्टी की बैठक में नवाज शरीफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को परमाणु परीक्षण से रोकने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पांच अरब अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन मैंने इनकार कर दिया था. इस दौरान नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर उस दौरान इमरान जैसे लोग मेरी सीट पर होते हैं, तो उन्होंने क्लिंटन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता.
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