Raksha Bandhan Movie Review: हंसाने के साथ रुलाएगी भी अक्षय कुमार की मूवी `रक्षाबंधन`, `लाल सिंह चड्ढा` पर न पड़ जाए भारी
First Review Of Raksha Bandhan Movie: त्योहारी सीजन में एक्टर अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर की मूवी रक्षा बंधन रिलीज हो गई है. यह फिल्म शुरू में तो काफी हंसाती है और बाद में दर्शकों को रुलाती है.
Movie Review of Raksha Bandhan: मूवी देखकर लग रहा है कि अक्षय कुमार (Akshay Kumar) पृथ्वी राज चौहान के चाहने वालों की नाराजगी इस रक्षा बंधन पर दूर कर सकते हैं. आनंद एल राय, कनिका ढिल्लन और हिमांशु शर्मा की तिगड़ी ने काफी हद तक अक्षय कुमार की मेहनत को आसान कर दिया है. अगर आमिर खान से लोगों की नाराजगी वाकई में कामयाब हुई तो ये मूवी बिग बजट लाल सिंह चड्ढा के लिए भी मुश्किल पैदा कर सकती है.
कास्ट: अक्षय कुमार, भूमि पेडेंकर, सादिया खतीब, शाहजमीन कौर, दीपिका खन्ना, स्मृति श्रीकांत, साहिल मेहता और सीमा पाहवा
निर्देशक: आनंद एल राय
स्टार रेटिंग: 3.5
कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में
गोलगप्पे बेचने वाले दुकानदार बने हैं अक्षय कुमार
कहानी यूं तो मूवी के ट्रेलर से ही सबको समझ आ रही थी, फिर भी जान लीजिए. लाला केदार नाथ (अक्षय कुमार) एक ऐसी गोलगप्पे की दुकान दिल्ली के चांदनी चौक में चलाते हैं, जिनको खाकर लड़का पैदा होता है. इसलिए उनकी दुकान पर गर्भवती महिलाओं की भारी भीड़ लगी रहती है. लेकिन उनके अपने घर में शादी को तैयार चार चार बहनें हैं, जिनके लिए लड़का नहीं मिल रहा. केदारनाथ से मां ने मरने से पहले वायदा लिया था कि इन चारों की शादी से पहले शादी मत करना. उसके बचपन का प्यार सपना (भूमि पेडनेकर) इस वायदे का शिकार है, उसका पिता रिटायर होने वाला है और उससे पहले अपनी बेटी की शादी केदारनाथ से करना चाहता है.
बहनों की शादी के लिए नहीं मिलते लड़के
वो कई बार केदारनाथ को धमकी देता है, कई बार लड़कों को दिखाता है, लेकिन कभी केदारनाथ कभी उसकी बहनें लड़के वाले को भगा देती हैं, इधर दहेज के चक्कर में केदारनाथ के हाथ से रिश्ते फिसल जाते हैं. कैसे भी मैचमेकर (सीमा पाहवा) की मदद से बड़ी बहन गायत्री (सादिया खतीब) की शादी कर देता है, लेकिन वह दहेज की मांग के आगे खुदकुशी कर लेती है. यहां से कहानी एक अलग ही टर्न लेती है और फिर उस केदारनाथ का लक्ष्य बिलकुल बदल जाता है, जो दो बहनों की शादी के लिए अपनी किडनी तक बेच चुका था.
इंटरवल से पहले इमोशनल हो जाती है मूवी
मूवी में गोलगप्पे बेचने वाले को हीरो देखना आसान काम नहीं था, लेकिन हिमांशु और कनिका मियां बीवी की जोड़ी ने एक एक सीन और डायलॉग को ऐसे रचा है कि आपकी हंसी रुक ही नहीं सकती. आनंद एल राय ने चांदनी चौक को भी ऐसे कागज पर उतारा है कि आपको सब कुछ सहज लगने लगता है. इस तरह की देसी कॉमेडी के सरताज अक्षय कुमार को जन्मभूमि चांदनी चौक और भूमि जैसी हीरोइन का साथ भी मिल जाए तो नतीजे कमाल के होते हैं और वही हुआ भी है. लेकिन इंटरवल से ठीक पहले गायत्री की शादी के बाद जो मूवी इमोशनल होना शुरू होती है, रक्षाबंधन के माहौल में आंसुओं का रोकना मुश्किल हो जाएगा.
फिल्म देख एक साथ आएगा हंसी और रोना
हालांकि तनु वेड्स मनु सीरीज, जीरो, अतरंगी रे जैसी मूवीज साथ बना चुके हिमांशु शर्मा और आनंद एल राय की ट्यूनिंग पुरानी है. अतरंगी रे में अतिरंजित स्टोरी के बाद दोनों ने ही थोड़ा नियंत्रण ये रखा कि मूवी को चांदनी चौक से ज्यादा बाहर नहीं ले गए और ना ही रक्षाबंधन जैसी मूवी में जबरन कोई और धार्मिक एलिमेंट घुसाया, जैसा कि आमतौर पर हिमांशु और कनिका करते आए हैं. हालांकि दहेज की थोड़ी और ज्यादा चर्चा भी इस मूवी को पटरी से उतार सकती थी. इसलिए किसी भी तरह मूवी संतुलन बनाए रखा और लोग उसके साथ हंसते रोते रहे.
इन कलाकारों ने की बेहतर एक्टिंग
इस मूवी के देखे जाएं तो दो ही स्टार हैं लेखक और निर्देशक के अलावा. वो हैं अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और भूमि के पिता का किरदार निभाने वाले कलाकार. लेकिन भूमि या सादिया (शिकारा फेम) को आप नजर अंदाज नहीं कर सकते. नए चेहरों में जिस भी सीन में मौका मिला साहिल मेहता, दीपिका खन्ना, स्मृति, शाहजमीन आदि ने भी बेहतर एक्टिंग की है. हिमेश रेशमियां पर आनंद का भरोसा उतना बुरा भी नहीं था, 2 या 3 गाने अच्छे बन पड़े हैं.
बेहतरीन मैसेज दे गई फिल्म
हालांकि किडनी वाली बात को और इमोशनली दिखाया जा सकता था, सादिया का रोल थोड़ा और बड़ा होता तो अच्छा होता, जो भूमि के लगातार एक जैसे रिपीट हो रहे सीन्स से बेहतर होते. बावजूद इसके अक्षय (Akshay Kumar) की एक्टिंग और उनके खाते में आए कुछ बेहतरीन डायलॉग्स ने कई सारी गलतियों पर पर्दा डाल दिया. जाते जाते ये मूवी कुछ अच्छा सा मेसेज भी दे गई.
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