कैसे आया था `दीया और बाती हम` का आइडिया? रातोंरात दीपिका सिंह, अनस राशिद और नीलू बन गए थे टीवी के सुपरस्टार
Diya Aur Baati Hum Serial: `दीया और बाती हम` शो देखा जरूर होगा. लेकिन जानते हैं आखिर मेकर्स को इस शो का आइडिया कैसे आया. कैसे इस कहानी को गढ़ा गया. चलिए हमारी `टीवी सीरियल` सीरीज में आपको `दीया और बाती हम` सीरीज से रूबरू करवाते हैं कि कैसे कास्ट भी इतनी पॉपुलर हो गई है.
'टीवी सीरियल' सीरीज में हम लेकर आए हैं कहानी 'दीया और बाती हम' की. ऐसा सीरियल जिसका कॉन्टेंट, कास्ट और डायरेक्शन सबकुछ जबरदस्त था. यही वजह थी कि कई साल तक इस सीरियल ने टीवी टीआरपी की दौड़ में बाजी मारी थी. दीपिका सिंह, अनस राशिद, नीलू वाघेला जैसे सितारे रातोंरात पॉपुलर हो गए थे. सीरियल का ही असर है कि आजतक इसके एक-एक किरदार को दर्शक भूल न पाए हैं. वो बेशक संध्या हो या सूरज या पिर भाभो. तो चलिए 'दीया और बाती हम' के बारे में बताते हैं.
'दीया और बाती हम' का जॉनर ड्रामा ही था जो कि साल 2011 में स्टारप्लस पर प्रसारित हुआ था. करीब 1487 एपिसोड के बाद साल 2016 को ये खत्म हुआ. इसकी सफलता को देखते हुए साल 2017 में मेकर्स इसका सीक्वल भी लाए थे जिसका नाम था 'तू सूरत मैं सांझ पिया जी'. तब रिया शर्मा और अवनिश रेखी लीड रोल में दिखे थे. हालांकि सीक्वल सिर्फ एक साल ही चल पाया था.
'दीया और बाती हम' की कहानी
राजस्थान के पुष्कर से जुड़ी इस कहानी का मूल था घर की पढ़ी-लिखी बहू संध्या और न पढ़े लिखे सूरज पर. संध्या आईपीएस बनना चाहती थीं. मगर भाभो सा पुराने ख्यालों वाली थीं जो कभी नहीं चाहती थीं कि बहू घर के चूल्हा चौके को छोड़कर बाहर निकले. मगर सूरज और संध्या की लवस्टोरी शुरू हुई. पति ने पत्नी को खूब पढ़ाया. आगे चल कर सासु मां का भी प्यार मिला. कुल मिलाकर शो की थीम अच्छी थी जिसे फैंस ने पसंद किया.
'दीया और बाती हम' की कास्ट
दीपिका सिंह- संध्या
अनस राशिद- सूरज राठी
नीलू वाघेल- भाभो
अशोक लोखंडे- बाबा सा
सुरभि तिवारी- कंचन
गौतम गुलाटी- विक्रम राठी
कनिका माहेश्वरी- मीनाक्षी
एजाज खान- अभिमन्यू सिंह
हेली शाह-श्रुति
रुचि- प्रीति
कैसे आया 'दीया और बाती हम' का आइडिया
'दीया और बाती हम' शो को बनाने वाले सुमित मित्तल हैं. जिन्होंने लेखन से लेकर डायरेक्शन तक का काम संभाला. उन्होंने एक इंटरव्यू में सीरियल को लेकर बातचीत की थी. तब उन्होंने बताया था, 'मैंने 20 साल पहले न्यूजपेपर में एक न्यूज पढ़ी थीं. जहां गोलगप्पे बेचने वाले आदमी ने बीवी को आईपीएस बनाया. ये कहानी मेरे दिल दिमाग में बैठ गई और मूल आइडिया वहीं से आया था.'