Adhir Ranjan Chowdhury: आम चुनाव से पहले कांग्रेस कुछ राज्यों में इंडिया गठबंधन की लाज कम से कम इस मामले में बचाने में कामयाब रही कि वह मिलकर चुनाव लड़ रही है और सीट शेयरिंग की बात बन गई है. अब उसकी निगाहें पश्चिम बंगाल पर हैं. लेकिन वहां मजेदार नजारा बनता जा रहा है. अधीर रंजन चौधरी वो शख्स हैं जिन्होंने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की तरफ से ममता के खिलाफ लंबे समय से फ्रंट फुट पर बैटिंग की है और वे अब भी ममता से नाराज ही रहते हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने बड़ी दुविधा है कि वो ममता के साथ गठबंधन करते हुए अधीर रंजन चौधरी को कैसे मनाए रखे. 


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असल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर पश्चिम बंगाल में बात बनती दिख रही है, जबकि पहले ममता ने कहा था कि उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी. लेकिन अब अधीर रंजन चौधरी ने अड़ंगा लगाया हुआ है. चर्चे तो यहां तक हैं कि वे पार्टी से नाराज भी बताए जा रहे हैं. अधीर रंजन चौधरी ने कह दिया कि ममता बनर्जी तो पहले ही कह चुकी है कि वह बंगाल में अकेले चुनाव लड़ेंगी. पता नहीं फिर कांग्रेस अभी क्यों दुविधा में है.


अधीर बाबू क्यों नाराज हो जाते हैं?
इधर कांग्रेस और ममता की बातचीत और उधर अधीर रंजन की नाराजगी... इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषक नफा-नुकसान के आंकलन में जुट गए हैं. यह समझना जरूरी है कि अधीर बाबू क्यों नाराज हो जाते हैं. अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के बड़े चेहरे रहे हैं. वे लंबे समय से ममता बनर्जी से और उनकी सरकार से लड़ते आए हैं. वे कभी भी ममता के प्रति नरम रुख नहीं अपनाते हैं. अधीर को यह भी बता है कि कांग्रेस अगर ममता से हाथ मिलाती है तो कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में छोटे भाई की तरह रहना पड़ेगा.


एक नहीं कई कारण हैं..
इसके अलावा अधीर को यह भी पता है कि ममता कांग्रेस को गिनती की ही सीटें देंगी, जबकि अकेले में वो अधिक सीटों पर लड़ सकती है. अधीर रंजन लगातार ममता के खिलाफ तीखा हमला ही बोलते रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा है कि ममता बनर्जी बीजेपी से डरती हैं और उनकी मोदी से सांठगांठ है. उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस कभी भी सीट को लेकर ममता से भीख नहीं मांगेगी. अधीर का मानना है कि ममता की बजाय लेफ्ट से गठबंधन ज्यादा सही रहेगा.


यह बात भी अधीर रंजन को पता..
फिलहाल पश्चिम बंगाल में 42 लोकसभा सीटें हैं. उधर पिछली बार बीजेपी ने तूफानी प्रदर्शन किया था, इस बार भी बीजेपी को वहां से काफी उम्मीदें हैं. संदेशखाली जैसे मुद्दों को भुनाने में बीजेपी पीछे नहीं हट रही है. यह बात भी अधीर रंजन को पता है. अब देखना होगा कि अधीर रंजन और कांग्रेस आलाकमान कैसे एक दूसरे को ममता के बारे में समझा पाते हैं. क्योंकि इंडिया गठबंधन की बात वहां तभी बन पाएगी.