Opinion: BJP को नहीं मिली उम्मीद के मुताबिक सीटें, क्या अब इन 4 बड़े कोर मुद्दों पर आगे बढ़ने का साहस जुटा पाएंगे मोदी?
Lok Sabha Chunav Result 2024: बीजेपी को इन लोकसभा चुनावों में अपने बलबूते सरकार बनाने लायक सीटें भी नहीं मिली हैं. ऐसे में वह गठबंधन सहयोगियों के बल पर सरकार तो बना लेगी लेकिन क्या वह बड़े और विवादित फैसलों पर भी ऐसा ही कर पाएगी.
BJP Lok Sabha Chunav Result 2024: पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए इस बार 400 पार के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरा था, हालांकि उसे अपेक्षानुसार सीटें नहीं मिल पाई हैं. 400 पार तो दूर बीजेपी खुद स्पष्ट बहुमत से दूर रह गई है. शाम 6 बजे तक के रूझानों के मुताबिक बीजेपी 240 सीटें और समूचा एनडीए 293 चुनाव में जीत रहा है. जबकि सरकार बनाने के लिए न्यूनतम 272 सांसदों की जरूरत होती है. ऐसे में तय हो गया है कि बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार तो बना लेगी लेकिन इसके लिए उसे एनडीए के दूसरे सहयोगी दलों के भरोसे रहना पड़ेगा. ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या इस तीसरे टर्म में मोदी सरकार उन बड़े मुद्दों पर आगे बढ़ने का साहस जुटा पाएगी, जिन्हें उसके नेता अक्सर विभिन्न प्लेटफार्मों पर उठाते रहे हैं. आइए ऐसे ही 4 कोर इश्यूज के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिन पर अमल करने से मोदी सरकार के पांव संभवत इस बार ठिठक सकते हैं.
क्या इन मुद्दों पर आगे बढ़ेगी मोदी सरकार?
समान नागरिक संहिता
पीएम मोदी समेत बीजेपी के तमाम नेता अक्सर एक देश एक कानून की बात करते रहे हैं. मजहब के आधार पर बने पर्सनल लॉ को वे देश के लिए विभाजनकारी और खतरनाक करार देते हैं. उनका कहना रहा है कि पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता (UCC) होनी चाहिए, जिसका सब लोग पालन करें. बीजेपी की मांग का मुस्लिम तबका जोरदार विरोध करते हैं. उनका आरोप है कि यह कोशिश उनकी मजहबी आजादी को कम करने की साजिश है.
विवाद को देखते हुए बीजेपी ने पूरे देश में एक साथ UCC लागू करने के बजाय ट्रायल के तौर पर इसे पहले उत्तराखंड में लागू करवाया. वहां पर इसका कोई विशेष विरोध नहीं हुआ. ऐसे में बीजेपी नेता मानकर चल रहे थे कि अगर बीजेपी बंपर बहुमत के साथ तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हो जाती है तो यूसीसी को पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा. लेकिन चुनाव के ताजा नतीजों के बाद अब पीएम मोदी समर्थन के लिए दूसरे दलों पर निर्भर रहेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी इस मुद्दे पर सोच- समझकर ही कोई कदम बढ़ाएगी.
एक देश एक चुनाव
एक देश एक चुनाव, बीजेपी का यह दूसरा कोर इश्यू रहा है. बीजेपी का कहना है कि देश में लगातार कोई न कोई चुनाव चलता रहता है. जिसकी वजह से लंबे वक्त तक आचार संहिता लगी रहती है. ऐसे में न केवल विकास कार्यों में रुकावट आती है बल्कि सैकड़ों करोड़ रुपये की धनराशि भी बर्बाद होती है. पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल के अंत में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में हाई लेवल कमेटी का गठन किया.
यह कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार करके लोकसभा चुनाव से पहले ही मोदी सरकार को सौंप चुकी है. माना जा रहा था कि तीसरी बार जीत दर्ज करने पर वे इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. मोदी सरकार की इस मांग का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कोशिश देश में लोकतंत्र को कुचलने की साजिश है. ऐसा करके मोदी सरकार संसदीय प्रणाली खत्म कर अमेरिका की तरह राष्ट्रपति चुनाव सिस्टम लागू करना चाहती है. ऐसे में देखना होगा कि क्या बैसाखी पर चलने वाली मोदी सरकार इस मुद्दे पर आगे बढ़ने का साहस जुटा पाएगी.
जनसंख्या नियंत्रण कानून
बढ़ती जनसंख्या देश के लिए बड़ी समस्या बन चुकी है. आबादी के मामले में भारत अब चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का नंबर एक देश बन चुका है. इसकी वजह से पानी, सड़क, जमीन, अनाज सब संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं. बीजेपी इस मुद्दे को बरसों से उठाती रही है. पीएम मोदी भी सत्ता में आने के बाद इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते रहे हैं और इस मुद्दे पर देश में आम सहमति बनाने की कोशिश करते रहे हैं. लाल किले पर संबोधन के दौरान भी उन्होंने यह मुद्दा उठाया था.
बीजेपी नेता इस समस्या पर काबू पाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की वकालत करते रहे हैं. माना जा रहा था कि अगर इन चुनावों में बीजेपी की बंपर जीत होती तो मोदी सरकार इस पहल पर निश्चित रूप से आगे बढ़ती. हालांकि अब उसे कोई भी बड़ा फैसला करने से पहले सहयोगी दलों से सहमति हासिल करनी होगी. ऐसे में माना जा रहा है कि शायद इस मुद्दे पर वह कोई बड़ा कदम उठाने से परहेज करेगी.
पीओके वापसी
यह बीजेपी का पार्टी की स्थापना से कोर मुद्दा रहा है. मोदी के पीएम बनने के बाद जब सरकार ने एक के बाद एक अनुच्छेद 370, अयोध्या में राम मंदिर और CAA जैसे बड़े मुद्दे सुलझाए तो लोगों की आकांक्षा बढ़ती चली गई. लोगों को उम्मीद थी कि अगर पीएम मोदी जबरदस्त बहुमत के साथ सरकार में वापस लौटते हैं तो इस बार वे पाकिस्तान से पीओके वापस लेने के मुद्दे पर कदम आगे बढ़ा सकते हैं. अमित शाह, जयशंकर, राजनाथ सिंह समेत नेताओं ने अपनी रैलियों में इस बारे में संकेत भी दिया था. हालांकि मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर चुप्पी ही साधे रखी.
सरकार की इस खामोशी की वजह से तमाम पेचीदगियां थीं. पीओके वापसी के लिए भारत को पाकिस्तान से युद्ध करना होगा और ऐसा करने पर चीन की सेना निश्चित रूप से उसकी मदद के लिए पहुंचेगी, जिससे भारत को दो मोर्चे पर जंग लड़नी पड़ेगी. यही वजह है कि मोदी सरकार चुप है. लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति भारत के फेवर में बनती हैं तो शायद सरकार इस बारे में प्लान कर पाए. लेकिन अब चूंकि बीजेपी के पास अपना बहुमत नहीं है. ऐसे में पीओके वापसी पर आगे बढ़ना गठबंधन दलों की सहमति पर निर्भर करेगा.