Election Commissioner Selection process: चुनाव आयोग (Election Commission) में चुनाव आयुक्तों के खाली पदों को भरने की कवायद तेज हो गई है. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी ने निर्वाचन आयोग में निर्वाचन आयुक्तों के दो खाली पदों को भरने के लिए 5 उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करने के लिए बुधवार शाम एक अहम बैठक की. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के नेतृत्व में एक चयन समिति दो नामों को अंतिम रूप देने के लिए गुरुवार दोपहर बैठक करेगी. सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू निर्वाचन आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति करेंगी. एक बार नियुक्तियां अधिसूचित हो जाने के बाद नए कानून के तहत की जाने वाली ये पहली नियुक्तियां होंगी. यानी ये पहला मौका होगा जब चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में चीफ जस्टिस आउट होंगे और, नये नियम से चुनाव आयुक्तों का चयन होगा.


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Election Commissioner appointment process: क्या है नई प्रकिया जिसपर विपक्ष है हमलावर


चुनाव आयुक्तों को चुनने की नई व्यवस्था को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को घेर रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि नया कानून तीन-सदस्यीय चयन समिति को ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने की शक्ति भी देता है जिसे सर्च कमेटी ने ‘शॉर्टलिस्ट’ नहीं किया है. नए कानून के लागू होने के बाद CJI भी चुनाव आयुक्तों की चयन समिति का हिस्सा नहीं होंगे.


नया प्रॉसेस भी जान लीजिए


नए कानून के तहत, चुनाव आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति की ओर से एक सेलेक्शन कमेटी की सिफारिश पर होगी. कमेटी में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की तरफ से नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल हैं. वहीं ‘सर्च कमेटी’ की अध्यक्षता अब कैबिनेट सचिव की जगह कानून मंत्री करते हैं. जिसमें दो सचिव सदस्य होते हैं.


इस विधेयक में एक नया उपबंध जोड़ा गया है जिसके तहत सीईसी और निर्वाचन आयुक्तों को ड्यूटी करते समय कोई आदेश पारित करने पर अदालत में किसी तरह की कार्रवाई से संरक्षण प्राप्त होगा. अब मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा. वहीं अब मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों का वेतन सुप्रीम कोर्ट के जज के समान होगा.


नया कानून, चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) अधिनियम, 1991 की जगह ले चुका है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों व उनकी सेवा शर्तों को रेगुलेट करने वाला बिल 12 दिसंबर 2023 को राज्यसभा से पास हुआ. 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा ने इसे मंजूरी दी. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन गया.


पहले ऐसे होता था चयन


मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर नया कानून हाल में लागू होने से पहले निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी और परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता था. 


नए कानून के लागू होने के बाद CJI चुनाव आयुक्तों की चयन समिति का हिस्सा नहीं हैं. जबकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के चीफ जस्टिस की एक समिति की तरफ से किया जाएगा.


विपक्ष का आरोप


नए बिल को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना कर रहा है. सरकार का कहना है कि नए कानून से चुनाव आयोग सरकार की कठपुतली बन गया है. विपक्ष इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बता चुका है. विपक्षी दलों का कहना है कि विधेयक के प्रावधानों के अनुसार आयुक्तों की नियुक्ति में आखिरी फैसला सरकार का होगा. इसलिए सरकार अपनी पसंद का आयुक्त बनाएगी. यानी सरकार जो चाहे, वह फैसला कर सकती है. 


'लोकसभा चुनाव सिर पर और EC में दो पद खाली पड़े हैं'


गौरतलब है कि अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को रिटायरमेंट और आठ मार्च को अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे से दोनों पद खाली हो गए थे. गोयल का इस्तीफा नौ मार्च को अधिसूचित हुआ था. रिक्तियों के कारण निर्वाचन आयोग में अभी केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार हैं.