World Cup Innings: सोचिए क्या ही नजारा रहा होगा जब कपिल देव ने 1983 में जिम्बाब्वे के खिलाफ अकेले किला लड़ा दिया था और 175 रन ठोंक दिए थे. उस मैच की एक दुखती रग यह रही कि ब्रॉडकास्टर की हड़ताल के चलते टीवी पर मैच नहीं चला और ना ही उस मैच के वीडियो फुटेज मौजूद हैं. ठीक इसी तरह की एक कहानी करीब 40 साल बाद मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में लिखी गई जब ग्लेन मैक्सवेल ने अफगानिस्तान के खिलाफ 201 रन की मैच जिताऊ पारी खेली. यह पारी तब आई जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ताश के पत्तों की तरह ढह गई और 91 रन पर सात विकट गिर गए. सबको लगा कि मैच अफगानिस्तान निकाल ले जाएगा लेकिन मैक्सवेल ने खूंटा गाड़ दिया और सात से आठ विकट नहीं होने दिया. इसमें उनका साथ कंगारू कप्तान पैट कमिंस ने भी दिया और इतिहास रच दिया. मैक्सवेल की इस पारी ने बरबस कपिल देव की 175 रन वाली पारी की याद दिला दी. इसका कारण यह रहा कि दोनों मैच में स्थिति कमोबेश एक जैसी थी और अकेले के दम पर इतनी बड़ी पारी खेलकर मैच की बाजी पलट दी गई.


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याद आई कपिल देव की वो पारी
असल में इस मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम हार की तरफ बढ़ रही थी. इसके बाद ग्लेन मैक्सवेल ने यह ऐतिहासिक पारी खेल डाली और ऑस्ट्रेलिया मैच जीत गया. ऑस्ट्रेलिया 91 पर 7 थी और फिर वहां से 293 पर 7 पहुंच गई. इसमें अकेले मैक्सवेल ने 201 रन बना दिए. कई क्रिकेट पंडित यह कह रहे हैं कि यह वर्ल्ड कप ही नहीं वनडे इतिहास की सबसे महान पारी है. लेकिन कुछ इसी तरह की पारी 40 साल पहले कपिल देव ने 1983 के वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेली थी जब उन्होंने नाबाद 175 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली थी. उस समय वनडे में किसी भी बल्लेबाज की सबसे बड़ी पारी भी थी. उस मैच में 17 रनों पर भारत के 5 विकेट गिर गए थे. भारत टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी कर रहा था. सुनील गावस्कर और के. श्रीकांत की सलामी जोड़ी तो बिना कोई रन बनाए पवेलियन लौट गई. फिर मोहिंदर अमरनाथ (5), संदीप पाटिल (1) और यशपाल शर्मा (9) ने सस्ते में विकेट गंवाए. 17 रनों पर 5 विकेट खोकर भारतीय टीम मुश्किल में थी. यहां तक कि जब कपिल देव का नंबर आया तो वे शॉवर ले रहे थे. शायद उनको यकीन नहीं था कि टीम का हश्र क्या होगा.


अकेले दम पर पलट दिया पासा
इसके बाद फिर कपिल देव खेलने उतरे तो उन्होंने वो कर दिखाया जो क्रिकेट इतिहास में अमर हो गया. पहले उन्होंने रोजर बिन्नी (22) के साथ 60 रन की साझेदारी की. फिर मदन लाल (17) के साथ 62 और सैयद किरमानी (नाबाद 24) के साथ 126 रनों की नाबाद साझेदारी कर डाली. जब वे नाबाद लौटे तो 60 ओवरों की पारी में भारत को 266/8 के स्कोर पर था. अकेले कपिल देव ने 138 गेंद पर 175 रन बना चुके थे. उन्होंने अपनी पारी में 16 चौके और 6 छक्के जड़े थे. भारत की पारी के बाद जिम्बाब्वे को 235 पर निपटाकर 31 रनों से ना सिर्फ जीत दर्ज हुई बल्कि भारत उस वर्ल्ड कप का चैंपियन भी बना.


मैक्सवेल की पारी से जीता ऑस्ट्रेलिया
ग्लेन मैक्सवेल की यह पारी कुछ उसी तरह की थी. उन्होंने 21 चौके 10 छक्के की मदद से 128 गेंद में 201 रन बनाए. हालांकि ग्लेन मैक्सवेल की पारी का यह कुल हिसाब नहीं है. क्योंकि वे मांसपेशियों में खिंचाव के चलते चीख भी रहे थे. पारी के बीच में एक ऐसा भी समय आया जब लगा कि उन्हें रिटायर्ड होना पड़ेगा, लेकिन वे डटे रहे और क्या खूब डटे रहे. मैक्सवेल की इस पारी में पैट कमिंस का योगदान भी याद रखा जाना चाहिए. उन्होंने 68 गेंदों पर भले ही सिर्फ 12 रन ही बनाए हों लेकिन वह यह सुनिश्चित कर रहे थे कि मैक्सवेल सही समय पर स्ट्राइक पर खड़े मिलें. फिलहाल ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अफगानिस्तान पर एक यादगार जीत दर्ज की.


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