Mossad Attacking Style: हमास सुप्रीमो इस्माइल हानिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हुई हत्या के बाद दुनिया भर की हैरत भरी नजर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद पर है. हमास ने भी अपने पॉलिटिकल ब्यूरो चीफ हानिया के कत्ल के पीछे इजरायल की ऐसी खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ होने का आरोप लगाया है. ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण के अगले दिन ही इस बड़े घटनाक्रम के बाद से मोसाद सुर्खियों में है.


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इस्माइल हानिया के कत्ल के पीछे कौन? किसी ने नहीं ली जिम्मेदारी


ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के मुताबिक,  तेहरान स्थित आवास में घुसकर इस्माइल हानिया और उसके एक सिक्योरिटी गॉर्ड की हत्या की गई है. वहीं, हिजबुल्लाह से जुड़े न्यूज पोर्टल अल मायादीन का दावा है कि इजरायल ने ही इस्माइल हानिया का कत्ल किया है. उसने इस हत्याकांड के पीछे सीधे तौर पर मोसाद (Mossad) का हाथ बताया है. किसी भी देश या खुफिया एजेंसी ने अब तक ईरान में इस खतरनाक हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. 


इजरायल-हमास में जंग जारी, मोसाद पर तेहरान में एक्शन का आरोप


दरअसल, इजरायल की तरफ से इस बारे में अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है. लेकिन माना जा रहा है कि इसके पीछे मोसाद ही हो सकता है. क्योंकि पिछले साल अक्तूबर में इजरायल-हमास के बीच शुरू हुए जंग के बाद से इजरायल ने बदला लेने की खुली चेतावनी भी जारी की थी. आइए, जानते हैं कि इतनी सुर्खियों में शामिल मोसाद आखिर क्या बला है, उसका अटैकिंग स्टाइल कैसा है और उसे दुश्मनों का काल क्यों कहते हैं?


सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है मोसाद का पूरा नाम


इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का पूरा नाम 'सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस' है. इजरायल में मोसाद के अलावा अमन और शिन बेट नाम की खुफिया एजेंसी भी काम करती हैं. इससे पहले भी ईरान में हुई कई हाई प्रोफाइल हत्याओं का आरोप मोसाद पर लग चुका है. मोसाद का प्रमुख काम  इजराय के लिए विदेशों में खुफिया जानकारी जुटाना, इसका विश्लेषण करना और इनसे जुड़े अभियानों को अंजाम तक पहुंचाना है. 


दुश्मन देश भी मानते हैं इजरायल की मोसाद की अटैकिंग स्टाइल का लोहा 


दिसंबर 1949 में ब्रिटिश शासनादेश अवधि के दौरान यह एजेंसी फिलिस्तीन में यहूदी सैन्य बल की खुफिया शाखा के तौर पर काम कर रही थी. मोसाद का पहला डायरेक्टर रूवेन शिलोआ को चुना गया था. इजरायल की स्थापना के बाद यह एजेंसी लगातार इजरायल के लिए काम कर रही है. मोसाद ने दुनिया भर के कई देशों में सफल अभियान चलाया है. उसकी अटैकिंग स्टाइल का लोहा उसके दुश्मन देश भी मानते हैं. क्योंकि समय-समय इसने कई बार असंभव माने जाने वाले ऑपरेशंस को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया है.


दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों से काफी अलग है मोसाद का अटैक


ऐसी ढेर सारी बातें हैं जो मोसाद को दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों से अलग करता है. इसमें सबसे अव्वल इजरायल की खुफिया एजेंसी का अटैकिंग स्टाइल है. मोसाद अपमे बाएं हाथ से बिल्कुल इस तरह काम करती है कि दाएं हाथ तक को उसके बारे में पता नहीं चल पाता. मोसाद ज्यादातर इजरायल के बाहर और खासकर दुश्मन देशों में जबरदस्त तरीके से सीक्रेट आपरेशंस करती है. इनमें दूसरे देशों में घुसपैठ, खुफिया जानकारी जुटाना, गुप्त अभियान और संपत्ति वगैरह के साथ दुश्मनों की हत्याएं भी शामिल हैं. मौसाद इन सबको बखूबी अंजाम देने के लिए हफ्ते से लेकर कई साल तक भी लगा रहता है.


मोसाद के अटैकिंग स्टाइल में कई स्पेशल ट्रिक, अब तक जो पता चला


मोसाद सीधे इजरायल के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है. इसलिए वह अप्रूव्ड मिशन को पूरा करने के लिए कई तरह या किसी भी तरह के तरीकों का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं हटता. अपने खास तरह के अटैकिंग स्टाइल में मोसाद अक्सर झूठे या छद्म नाम और पहचान का इस्तेमाल करता है. इसके एजेंट खास नेटवर्क के जरिए जुड़े होते हैं ताकि दुनियाभर में कहीं भी जरूरी संसाधन हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं होने पाए. इसके अलावा मोसाद अपने ऑपरेशंस के लिए टारगेटेड इलाके में काम के लिए स्थानीय लोगों और मुखबिरों को ही रिक्रूट कर लेते हैं.


टारगेट कीलिंग को लेकर कुख्यात है मोसाद, मंजूरी मिलते ही दुश्मन हलाक


दुनिया भर में अपने सीक्रेट ऑपरेशंस के लिए किंवदंती बन गए मोसाद टारगेट कीलिंग को लेकर बहुत कुख्यात है. इजरायल की सुरक्षा के लिए चुनौती माने जाने वाले दुश्मनों के खात्मे को मोसाद के स्पेशल यूनिट के एक्सपर्ट एजेंट अंजाम देते हैं. इजरायल के पीएम की मंजूरी मिलते ही यह पलक झपकते ही किसी भी जोखिम वाले ऑपरेशनों को अंजाम देने में नहीं हिचकते. क्योंकि फाइनल मंजूरी से पहले मोसाद के एजेंट  ड्रोन से लेकर सेटेलाइट या दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से अपने टारगेट की निगरानी और कार्रवाई के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा कर चुके होते हैं. 


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सीक्रेट ऑपरेशंस में ऑटोनोमस तरीके से साइबर वार भी करता है मोसाद


मोसाद ने अपने सीक्रेट ऑपरेशंस में ऑटोनोमस तरीके से साइबर वार को भी अंजाम देते हैं. इसके लिए पहले ही डेटा स्टोरेज और दुश्मनों के कम्यूनिकेशंस में सेंध लगा चुके होते हैं. इसके लिए वह दूसरे देश की खुफिया एजेंसियों का भी खुलकर सहयोग लेते हैं. बदले में उनकी बक्त बेवक्त मदद कर एहसान भी चुकाते हैं. सीरिया, ईरान, फिलिस्तीन या अरब समेत मध्य पूर्व के तमाम देशों में मोसाद का नेटवर्क काफी अरदार माना जाता है. मोसाद की पहुंच कई बार पीएमओ और पार्लियामेंट तक होती है. मोसाद के दर्जनों सफल ऑपरेशंस इसके गवाह हैं. जिनके बारे में कहीं भी पढ़ा और जाना जा सकता है.


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