Will Anil Vij become CM: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए अगले महीने मतदान है और सभी दल प्रचार में जुटे हैं. लेकिन, इस बीच बीजेपी (BJP) के अंदर राजनीतिक रस्साकशी शुरू हो गई है, क्योंकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मंत्री अनिल विज (Anil Vij) ने कहा है कि चुनाव के बाद अगर पार्टी सत्ता में लौटती है तो वह मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश करेंगे. हालांकि, बीजेपी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है और अब केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी कहा है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भाजपा के मुख्यमंत्री पद का चेहरा हैं और पार्टी उनके नेतृत्व में राज्य में जीत की ‘हैट्रिक’ बनाएगी. इसके बाद चर्चा होने लगी है कि अनिल विज हरियाणा की राजनीति में कितने पावरफुल हैं और क्यों बीजेपी के लिए इतने मायने रखते हैं?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पार्टी CM बनाती है या नहीं, यह उस पर निर्भर: विज


मनोहर लाल खट्टर सरकार में गृह मंत्री रहे अनिल विज (Anil Vij) का खट्टर के मुख्यमंत्री रहते अक्सर उनसे टकराव होता था. अनिल विज यही कहते रहे हैं कि वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्पित कार्यकर्ता हैं, लेकिन जो भी कहना होता है, वह साफ-साफ कहते हैं. अब उन्होंने कहा है, 'मैंने आज तक पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा...हरियाणा के लोग मुझसे मिलने आ रहे हैं. यहां तक ​​कि अंबाला में भी लोग मुझसे कहते हैं कि मैं सबसे वरिष्ठ हूं, लेकिन मैं मुख्यमंत्री नहीं बना. लोगों की मांग और वरिष्ठता के आधार पर इस बार मैं मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश करूंगा. पार्टी मुझे मुख्यमंत्री बनाती है या नहीं, यह उस पर निर्भर करता है. लेकिन अगर वह मुझे मुख्यमंत्री बनाती है, तो मैं हरियाणा की तकदीर और तस्वीर बदल दूंगा.'


ये भी पढ़ें- केजरीवाल ने दिया इस्तीफा तो कौन बनेगा नया CM? मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं ये 5 नाम


7 चुनाव लड़े और 6 बार जीते


अनिल विज (Anil Vij) कॉलेज के समय से ही राजनीति में एक्टिव हैं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हो गए थे. 1970 में वे एबीवीपी के महासचिव बने और बाद में विश्व हिंदू परिषद, भारत विकास परिषद (BMS) और ऐसे अन्य संगठनों के साथ सक्रिय रूप से काम किया. 1974 में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में उनकी नौकरी लग गई. लेकिन, जब 1990 में सुषमा स्वराज राज्यसभा के लिए चुनी गईं तो अंबाला कैंट सीट खाली हो गई. इसके बाद अनिल विज को भाजपा द्वारा नौकरी से इस्तीफा देने और उपचुनाव लड़ने के लिए कहा गया.


अनिल विज ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. ​​1991 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने. 1991 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अनिल विज की जगह अनिक कुमार को टिकट दिया और पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. 1996 के चुनाव में अनिल विज ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 2000 के विधानसभा चुनाव में भी एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की. 2005 के चुनाव में अनिल विज को हार का सामना करना पड़ा. 2009 के चुनाव में उन्होंने अंबाला कैंट सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे. इसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव में भी अनिल विज ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की.


ये भी पढ़ें- नितिन गडकरी को विपक्षी नेता ने दिया था PM बनने का ऑफर, फिर उन्होंने दिया था ये जवाब


हरियाणा की राजनीति में अनिल विज कितने पावरफुल?


6 बार के विधायक अनिल विज (Anil Vij) के बारे में कहा जाता है कि वो एक सरल इंसान हैं, लेकिन काम और ईमानदारी के लिए उतने ही सख्त हैं. अपने समर्थकों और वोटर्स के बीच काफी लोकप्रिय हैं. अनिल विज रोजाना सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच अपना दरबार लगाते हैं और 200 से 300 लोगों से मुलाकात करते हैं. इस दौरान वो लोगों की समस्याओं को सुनते हैं. इस वजह से वो वोटर्स के बीच काफी लोकप्रिय हैं. अनिल विज के बारे में का जाता है कि वो जितनी जल्दी गुस्सा हो जाते हैं, उतनी ही जल्दी मान भी जाते हैं. इस बात को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी स्वीकार कर चुके हैं.


71 साल के अनिल विज काफी एक्टिव रहते हैं और रिटायर होने के मूड में बिल्कुल भी नहीं हैं. इस साल मार्च में जब हरियाणा की राजनीति में बदलाव हुआ, तब खुद को सीएम की रेस से दूर होने पर अनिल विज बीच में मीटिंग छोड़कर चले गए थे. इस दौरान वो खुद कार चलाकर अंबाला पहुंचे थे और समर्थकों के बीच गोल-गप्पे और आलू टिक्की खाते देखे गए थे. अनिल विज अविवाहित हैं और अपने तीन भाइयों के साथ संयुक्त परिवार में रहते हैं. अनिल विज अंबाला कैंट से विधायक हैं और पंजाबी वोटर्स के दबदबे वाली इस सीट पर अनिल विज की अच्छी पकड़ है. इस सीट से वो 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं.


ये भी पढ़ें- BJP या कांग्रेस, केजरीवाल की रिहाई से हरियाणा में किसको नुकसान? समझिए चुनावी समीकरण


इस साल मार्च में भी नाराज हो गए थे अनिल विज


जब 2014 में भाजपा पहली बार अपने बल पर हरियाणा में सत्ता में आई थी, तो अनिल विज (Anil Vij), रामबिलास शर्मा समेत कुछ अन्य भाजपा नेताओं के साथ मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आगे थे, लेकिन पार्टी ने उस समय पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) को मुख्यमंत्री बनाया था. इस साल मार्च में, जेजेपी से गठबंधन टूटने के बाद मनोहर लाल खट्टर और उनके कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया था. तब अनिल विज (ANil Vij) इस बात से नाराज बताए गए थे कि पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटाने और उनकी जगह नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) को लाने का फैसला किया, लेकिन इस बात की जानकारी उन्हें नहीं दी गई.


अनिल विज (Anil Vij) ने उस समय कहा था कि उन्हें इस बारे में भाजपा विधायकों की बैठक में पता चला, जिसमें सैनी के नाम की घोषणा की गई. विज को बाद में सैनी के नेतृत्व वाली कैबिनेट में जगह भी नहीं मिली. वरिष्ठ भाजपा नेता ने मार्च में सैनी के शपथग्रहण समारोह से भी दूरी बना ली थी. अप्रैल में अंबाला में जनसभा को संबोधित करते हुए विज ने किसी का नाम लिए बिना कहा था कि कुछ लोगों ने उन्हें अपनी पार्टी में अजनबी बना दिया है. विज ने उस समय कहा था, 'माना कुछ लोगों ने मुझे मेरी पार्टी में ही बेगाना बना दिया है, पर कई बार बेगाने अपने लोगों से भी ज्यादा काम कर जाते हैं.'