Indian tanker in Red Sea: इजराइल और आतंकवादी संगठन हमास के बीच जंग की शुरुआत के बाद से शिपिंग इंडस्ट्री को निशाना बनाए जाने से दुनिया भर में टेंशन बढ़ती जा रही है. हमास के समर्थक आतंकवादी संगठन हूती ने लाल सागर (Red Sea) में भारत का तिरंगा लगे ऑयल टैंकर एमवी साईबाबा को निशाना बना दिया. इस ऑयल टैंकर के क्रू में 25 भारतीय तैनात थे. अमेरिकी सेना के मुताबिक, ड्रोन गिरते ही टैंकर में मौजूद टीम ने कुछ दूरी पर मौजूद अमेरिकी युद्धपोत (US Warship) को खतरे का अलर्ट और ड्रोन अटैक की सूचना भेजी थी. बाद में यूएस सेंट्रल कमांड और भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने टैंकर में तैनात 25 भारतीय लोगों के क्रू के सुरक्षित होने की पुष्टि की है. 


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दुनिया के प्रमुख शिपिंग कंपनियों को क्यों बदलना पड़ रहा है रास्ता


इससे पहले यूएस सेंट्रल कमांड ने रविवार सुबह दावा किया था कि हूती आतंकियों दो युद्धपोतों पर हमला बोला. इसमें से एक जहाज पर भारत का झंडा लगा हुआ था. हालांकि, बाद में भारतीय नौसेना ने एक बयान जारी कर साफ किया कि जहाज गैबॉन-ध्वजांकित है. इसे भारतीय शिपिंग रजिस्टर से प्रमाणन प्राप्त हुआ है. इन हमलों को लेकर दुनिया के कई देशों ने चिंता जताई है. लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों पर आतंकी हमलों ने दुनिया के प्रमुख शिपिंग कंपनियों को अफ्रीका के दक्षिणी सिरे के आसपास अपने मालवाहक जहाजों का रूट बदलने पर मजबूर किया है. ताकि जान और माल के नुकसान से बचा जा सके. इस रूट पर कमर्शियल जहाजों की सुरक्षा के लिए लाल सागर में अमेरिका और दूसरे नौसैनिक बल गश्त करते रहते हैं. आइए, जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर समुद्र क्यों वॉर जोन बनता जा रहा है?


इजरायल- हमास में जारी जंग की आंच समुद्र में फैली


मध्य पूर्व में इजरायल और हमास में जारी जंग की आंच समंदर तक फैल गई है. ईरान समर्थक यमन के हूती (Houthi ) ने हमास के खुले समर्थन का एलान किया है. समुद्र में हूती आतंकी इजरायल जा रहे हैं या इजरायल से किसी भी तरह का रिश्ता रखने वाले देशों के कमर्शियल जहाजों को लगातार निशाना बना रहे हैं. इस तरह दुनिया के कई देशों के लिए समुद्र अब एक नया वॉर जोन बन गया है. समुद्र में कारोबारी जहाजों पर बढ़ते हूती के हमलों की वजह से दुनिया के कई देशों की टेंशन बढ़ गई है. हूती इन हमलों के जरिए गाजा पट्टी और फिलिस्तीन पर इजरायल के हमले का विरोध और कुख्यात आतंकी संगठन हमास का समर्थन कर रहा है. यमन के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा रखने वाले ईरान समर्थित हूती आतंकी लाल सागर के दक्षिणी छोर पर बाब अल-मंदेब जलडमरूमध्य से गुजरने वाले जहाजों को खास तौर पर निशाना बना रहे हैं.


लाल सागर में जहाजों पर हूती का ज्यादा निशाना


लाल सागर से गुजरने वाले कई जहाजों को हूती ने अपना निशाना बनाया है. हूती जहाजों को तोड़ा यानी सीधे हमले किए, कुछ जहाजों पर ड्रोन से हमले किए और कई जहाजों में लूटपाट को अंजाम दिया है. 19 दिसंबर को पहले हमले के एक महीने के भीतर हूती ने लाल सागर में एक दर्जन से अधिक बार कमर्शियल जहाजों को निशाना बनाया है. हूती ने लाल सागर में अपने पहले हमले के दौरान यूके के कार्गो शिप ' गैलेक्सी लीडर' को अपने कब्जे में ले लिया. हूती आतंकी इस हाईजैक को अंजाम देने के लिए समंदर में बढ़ते मालवाहक जहाज 'गैलेक्सी लीडर' पर हेलिकॉप्टर से उतरे और चालक दल समेत पूरे क्रू को बंधक बना लिया. 


भारत से जुड़े जहाजों पर दो बार हमले की कोशिश


इसके बाद 3 दिसंबर को अपने कब्जे के यमन वाले इलाके से बाब अल मंदेब स्ट्रेट में दो इजरायली जहाज को निशाना बनाया. 12 दिसंबर को नॉर्वे के टैंकर स्ट्रिंडा पर एंटी शिप मिसाइल से हमला किया. 13 दिसंबर को बाब अल मंदेब स्ट्रेट में ही भारतीय मालवाहक जहाज पर दो मिसाइलें दागीं. हालांकि, हुतियों का निशाना चूक गया. 22 दिसंबर को अरब सागर में सऊदी अरब के एक बंदरगाह से भारत के मंगलौर आ रहे एक जहाज पर ड्रोन से हमला किया. 23 दिसंबर को भी दक्षिणी लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग लेन में हूती ने एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलें दागी. हालांकि, इससे किसी भी जहाज के प्रभावित होने की सूचना सामने नहीं आई.


लाल सागर को हमले के लिए हूती ने क्यों चुना


दुनिया का 12 फीसदी कारोबार लाल सागर के रास्ते से होता है. एक अनुमान के मुताबिक, हर साल करीब 10 अरब डॉलर से अधिक की कीमत के सामान का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट लाल सागर के इसी रूट से होता है. वैश्विक अर्थव्यवस्था में लाल सागर की इतनी अहमियत देखकर ही हूती ने जहाजों पर हमले केलिए इस समुद्र का चुनाव किया है. हूती वाले आतंकी जानते हैं कि इस इलाके में हमले का असर दुनिया के कई देशों पर पड़ेगा. इससे इजरायल पर हमास के खिलाफ की जा रही सैन्य कार्रवाई को खत्म करने के लिए दवाब बढ़ सकेगा. क्योंकि हूती के हमले की वजह से लाल सागर वाले समुद्री मार्ग से होने वाला अंतरराष्ट्रीय व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. लाल सागर से पश्चिम एशिया, अरब, यूरोप, अफ्रीका और भारत भी बड़ा कारोबार करते हैं. हूतियों के हमले से दुनिया के कई देशों के बीच जरूरी सामानों की सप्लाई बाधित होने लगा है. दुनिया के कई देशों की बड़ी मालवाहक शिपिंग कंपनियां अब अपने जहाजों को लाल सागर के बदले दूसरे लंबे रूट से भेजने लगी है. इससे लागत में बढ़ोतरी हुई है और उसका सीधा असर आम लोगों तक पहुंचने लगा है. इस युद्ध के चलते दुनिया के कई देशों में महंगाई बढ़ने लगी है.


भारत की चिंता क्यों? 20 देशों के साथ अमेरिका ने बनाया नौसैनिक गठबंधन


लाल सागर समेत समुद्र के जिन रास्तों से गुजरने वाले जहाजों पर हूती आतंकी हमले कर रहे हैं उससे भारत की भी चिंता बढ़ी है. भारत भी इन रास्ते के जरिए सबसे ज्यादा कच्चा तेल और अन्य जरूरी उत्पादों को मंगवाता है. रास्ता बाधित होने से कारोबार और अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने लगा है.  पेट्रोलियम समेत कई जरूरी सामानों की कीमतें बढ़ने लगी है. इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 दिसंबर को इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से समुद्री यातायात की सुरक्षा को लेकर फोन पर बातचीत की. रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों नेताओं ने हमले रोकने को लेकर भी चर्चा की है. वहीं, लाल सागर में कारोबारी जहाजों को हूती के हमले से बचाने में मदद के लिए अमेरिका ने 20 देशों को शामिल करते हुए एक नौसैनिक गठबंधन की घोषणा की है. इस नौसैनिक गठबंधन में शामिल देश जहाजों की सुरक्षा के लिए एक-दूसरे का सहयोग करेंगे. मौजूदा नौसैनिक समझौतों के हिस्से तहत ही कोई ऑपरेशन चलाया जाएगा. इस बीच, अमेरिकी नौसेना ने दक्षिणी लाल सागर में अमेरिकी विध्वंसक की तरफ बढ़ रहे चार ड्रोनों को मार गिराया और हूती के कब्जे वाले इलाके पर नकेल कसी.