Meat Consumption In India: उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक सात साल के लड़के को कथित तौर पर अपने लंचबॉक्स में मांसाहारी बिरयानी लाने और अपने सहपाठियों को परोसने के कारण एक प्राइवेट स्कूल से निकाल दिया गया. लड़के की नाराज मां और स्कूल के प्रिंसिपल के बीच बातचीत अब वायरल हो गई है. इसके बाद अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है. हालांकि, प्रिंसिपल ने साफ कहा कि लड़के द्वारा "अपने सहपाठियों को मांसाहारी बिरयानी परोसना" आपत्तिजनक था.


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गहरी धार्मिक मान्यताओं से संचालित होती है भोजन की थाली


ऐसे देश में जहां कई लोग शाकाहारी भोजन को "शुद्ध" और मांसाहारी खाने को "गंदा" मानते हैं और जहां कई लोग अपनी थाली में क्या डालना है इस मुद्दे पर गहरी धार्मिक मान्यताओं से संचालित होते हैं, वहां इस तरह का विवाद कोई नया मामला नहीं है. इस मामले में,  लेकिन भारत की आबादी का कितना हिस्सा शाकाहारी है? क्या भारत वास्तव में शाकाहारियों का देश है, या यह महज एक लोकप्रिय मिथक है? आइए, जानते हैं कि इस बारे में सरकारी यानी आधिकारिक डेटा क्या कहता है.


कितना शाकाहारी देश है भारत? (How vegetarian is India?)


ज्यादातर भारतीय किसी न किसी रूप में अंडे, चिकन, मांस या मछली खाते हैं. उनमें से लगभग आधे लोग सप्ताह में कम से कम एक बार ऐसा करते हैं. राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-V (2019-21) के आंकड़ों के मुताबिक, देश की 29.4 प्रतिशत महिलाओं और 16.6 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे कभी भी मछली, चिकन या मांस का सेवन नहीं करते हैं. वहीं, 45.1 फीसदी महिलाओं और 57.3 फीसदी पुरुषों ने कहा कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार मछली, चिकन या मांस का सेवन करते हैं. 


भारत में मांस की खपत बढ़ रही है, सरकारी आंकड़ों में कंफर्म


डेटा एनालिसिस के आधार पर छपे रिपोर्ट्स के मुताबिक, साफ पता चलता है कि हकीकत में, भारत में मांस की खपत बढ़ रही है. क्योंकि इससे पांच साल पहले राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)-IV (2015-16) के अनुसार, देश की 29.9 प्रतिशत महिलाओं और (विशेष रूप से) 21.6 फीसदी पुरुषों ने कहा कि वे कभी भी मछली, चिकन या मांस का सेवन नहीं करते हैं. वहीं, 42.8 फीसदी महिलाओं और 48.9 फीसदी पुरुषों ने कहा कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार मछली, चिकन या मांस का सेवन करते हैं


एनएफएचएस IV और एनएफएचएस V के आंकड़ों की तुलना


पांच साल के अंतराल पर एकत्र किए गए एनएफएचएस IV और एनएफएचएस V के आंकड़ों की तुलना करें तो देश में ऐसी महिलाओं की संख्या में 1.67 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिन्होंने बताया कि वे कभी मछली, चिकन या मांस नहीं खाती हैं. वहीं, ऐसे पुरुषों की संख्या में 23 फीसदी की भारी गिरावट आई है, जिन्होंने बताया कि वे कभी मछली, चिकन या मांस नहीं खाते हैं. इसी बीच, देश में मछली, चिकन या मांस का सेवन करने वाली महिलाओं की संख्या में 5.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और मछली, चिकन या मांस का सेवन करने वाले पुरुषों की संख्या में 17.18 प्रतिशत की बढ़त दर्ज हुई है.


लैक्टो-शाकाहार और क्षेत्रीय विविधताओं का मौजूदा समीकरण


वास्तव में, जो लोग खुद को शाकाहारी कहते हैं, वे भी संभवतः लैक्टो-शाकाहारी होते हैं, यानी वे गाय और भैंस से मिलने वाले दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन करते हैं. एनएफएचएस-V डेटा के अनुसार, केवल 5.8 प्रतिशत महिलाओं और 3.7 प्रतिशत पुरुषों ने बताया कि उन्होंने कभी दूध या दही का भी सेवन नहीं किया. 48.8 फीसदी पुरुषों और महिलाओं ने कहा कि वे प्रतिदिन दूध या दही का सेवन करते हैं. वहीं, 72.2 प्रतिशत महिलाओं और 79.8 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि वे सप्ताह में कम से कम एक बार दूध या दही का सेवन करते हैं.


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दूध और दूध उत्पादों का सेवन करने वाले लोग कम या नहीं खाते हैं मांस


घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-2023 के आंकड़ों के अनुसार, दूध की खपत शाकाहार की घटनाओं से सीधे संबंधित प्रतीत होती है. जो लोग बहुत अधिक दूध और दूध उत्पादों का सेवन करते हैं, वे बेहद कम या बिल्कुल भी मांस नहीं खाते हैं. दरअसल, भारत में दूध को मांस के लिए एक पोषण से जुड़े विकल्प की तरह देखा जाने लगा है. कुल मिलाकर, देश में 14 राज्य ऐसे हैं जहां दूध पर प्रति व्यक्ति मासिक खर्च (MPCE) मछली, मांस या अंडे पर व्यय से अधिक है, और 16 राज्य ऐसे हैं जहाँ यह इसके उलट है.


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दूध और मछली, चिकन या मांस पर खर्च के मामले में कई राज्य अपवाद


एनएफएचएस-V के आंकड़ों के अनुसार, कुल मिलाकर, इन दूध उपभोग करने वाले राज्यों में (राष्ट्रीय औसत की तुलना में) कम अनुपात में लोगों ने बताया कि वे मछली, चिकन या मांस खाते हैं. इस मामले में सिक्किम, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य अपवाद की तरह थे, जहां दूध पर होने वाला खर्च मांस पर व्यय से अधिक था. भले ही राष्ट्रीय औसत (पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए) से अधिक लोगों ने सप्ताह में कम से कम एक बार मछली, चिकन या मांस खाने की सूचना दी है.


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