Explainer: इजरायल-हमास जंग में कतर कैसे बन गया बिचौलिया? समझिए किसके पक्ष में गया सौदा
Qatar Mediate: असल में मध्य पूर्व एक जटिल और बहुत ही डाइवर्स क्षेत्र है, जहां अक्सर संघर्ष और तनाव का माहौल रहता है. ऐसे में, मध्यस्थ की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. अब सवाल यह है कि कतर कैसे इस जंग का बिचौलिया बन गया. आइए समझते हैं.
Israel Hamas Ceasefire: इजरायल और हमास की जंग अब निर्णायक मोड़ पर है. इस जंग में समझौता कराने में मदद करने वाले कतर ने बुधवार को घोषणा की है कि चार दिनों के युद्धविराम की प्रभावी तारीख 24 घंटों के भीतर घोषित की जाएगी. कतर सरकार के एक बयान के हवाले से कहा गया है कि विराम के शुरुआती समय की घोषणा 24 घंटों के भीतर की जाएगी. बयान में कहा गया है कि यह ठहराव चार दिनों तक रहेगा. यह सब तब हुआ जब इजरायली कैबिनेट ने एक लंबी बैठक के बाद 7 अक्टूबर के हमले के बाद से गाजा में रखे गए 50 बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हमास के साथ युद्ध विराम के समझौते को मंजूरी दी है. अब सवाल यह है कि कतर कैसे इस जंग का बिचौलिया बन गया. आइए समझते हैं.
कैसे बना समझौते का पूरा समीकरण
इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि इजरायल सरकार सभी बंधकों को घर लौटने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के पहले चरण की रूपरेखा को मंजूरी दे दी है. इसके अनुसार कम से कम 50 बंधकों को चार दिनों में रिहा कर दिया जाएगा. इस दौरान लड़ाई नहीं होगी. यह भी कहा गया कि हर अतिरिक्त 10 बंधकों की रिहाई के परिणामस्वरूप एक अतिरिक्त दिन लड़ाई रुकी रहेगी. यह समझौता मानवीय, चिकित्सा और ईंधन सहायता की सैकड़ों गाडि़यों को मिस्र के राफा क्रॉसिंग के माध्यम से गाजा पट्टी के सभी हिस्सों में प्रवेश करने की अनुमति देगा. इजरायल सरकार के प्रवक्ता ने यह भी चेतावनी दी कि उन्हें डर है कि हमास लड़ाई में विराम का उपयोग फिर से आपूर्ति करने और फिर से संगठित होने के लिए करेगा. वहीं इस कदम की सराहना करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक बयान में कहा कि हमास द्वारा बंधक बनाए गए बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के समझौते का स्वागत करता हूं.
कतर की भूमिका को ऐसे समझिए
इस जंग के बीच कतर की भूमिका कैसे और क्या रही यह समझने की जरूरत है. असल में मध्य पूर्व एक जटिल और बहुत ही डाइवर्स क्षेत्र है, जहां अक्सर संघर्ष और तनाव का माहौल रहता है. ऐसे में, मध्यस्थता की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. मध्यस्थता के माध्यम से, दो या दो से अधिक पक्षों के बीच आम सहमति पर पहुंचने में मदद मिल सकती है. इन सबके बीच मध्य पूर्व में कई देश मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं. इनमें मिस्र, ओमान और कुवैत प्रमुख हैं. इन देशों ने यमन युद्ध, लेबनान संघर्ष और अफगानिस्तान संकट जैसे मामलों में मध्यस्थता की भूमिका निभाई है.
कतर और मिस्र ही क्यों?
इन सबके बीच कतर भी मध्य पूर्व में मध्यस्थता की भूमिका निभाने में सक्रिय है. कतर की मध्यस्थता यमन, लेबनान और अफगानिस्तान मामलों में काफी सफल रही है. इसके पीछे कई कारण हैं. एक कारण यह है कि कतर एक आर्थिक रूप से समृद्ध देश है. इसका मतलब है कि कतर के पास मध्यस्थता के लिए आवश्यक संसाधन हैं. दूसरा कारण यह है कि कतर संवाद और सहयोग की रणनीति का पालन करता है. यह रणनीति मध्यस्थता के लिए आवश्यक है. कतर की मध्यस्थता की सफलता का एक उदाहरण है हमास और इजरायल के बीच बातचीत.
संवाद और सहयोग की रणनीति
कतर की मध्यस्थता के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच कुछ समझौते हुए हैं. इन समझौतों के तहत, हमास ने कुछ अगवा किए गए इजरायली नागरिकों को रिहा किया है. एक और बात कि संवाद और सहयोग की रणनीति ने कतर को दुनिया भर में पहचान और सम्मान दिलाया है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक खाड़ी के इस छोटे से देश में ही हमास का ऑफिस है, इसलिए क़तर की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. वहीं मिस्र भी इसमें थोड़ा बहुत सक्रिय है. मिस्र मध्य पूर्व में मध्यस्थता की भूमिका निभाने वाला एक महत्वपूर्ण देश है. मिस्र इजरायल और गाजा दोनों से अपनी सीमा साझा करता है. इस कारण, मिस्र को दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने में आसानी होती है.
सौदा किसके पक्ष में गया?
फिलहाल अब देखना होगा कि इस समझौते का असर कितने दिन तक रहता है. यह कहना अभी जल्दबाजी है कि सौदा किसके पक्ष में गया है. क्योंकि समझौता जरूर हुआ है. लेकिन इजरायल ने साफ किया है कि यह पूर्ण युद्ध विराम नहीं है. इजरायली सरकार ने कैबिनेट बैठक के बाद बताया है कि वे समझौते के करीब हैं. इसमें कतर का भी जिक्र किया गया है लेकिन आगे कोई विवरण नहीं दिया गया है.